मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार, 17 जून को तमिलनाडु के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एचएम जयराम को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया. इसके कुछ ही देर बाद पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर एक नाबालिग लड़के के अपहरण में शामिल होने का आरोप है. आरोप किल्वैथिनंकुप्पम के विधायक पूवई एम जगन मूर्ति पर भी है, लेकिन कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश नहीं दिया. खबर के मुताबिक कोर्ट ने उन्हें जांच में पुलिस का सहयोग करने को कहकर छोड़ दिया.
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तमिलनाडु के एडीजीपी एचएम जयराम को मंगलवार 17 जून को गिरफ्तार कर लिया गया. अपहरण के एक मामले में आरोपी होने के कारण मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के बाद ये गिरफ्तारी हुई है.

ये पूरा केस एक ‘लव स्टोरी’ से जुड़ा है, जो एक प्रेमी जोड़े की शादी से शुरू होता है और एडीजीपी की गिरफ्तारी तक पहुंच जाता है.
‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के हवाले से ‘बार एंड बेंच’ ने बताया कि ये कानूनी मामला लक्ष्मी नाम की एक महिला की शिकायत से शुरू होता है. रिपोर्ट के मुताबिक महिला के बड़े बेटे को थेनी जिले की एक लड़की से प्यार हो गया था. दोनों ने शादी भी कर ली, लेकिन लड़की के पिता वनराजा को ये रिश्ता मंजूर नहीं था. वह इस शादी को हर हाल में खत्म करना चाहते थे. इसके डर से लड़का और लड़की कहीं छिप गए.
इधर अपनी बेटी को वापस लाने के लिए बेचैन वनराजा ने एक पूर्व महिला कॉन्स्टेबल माहेश्वरी से मदद मांगी.
माहेश्वरी मामला लेकर तमिलनाडु एडीजीपी एचएम जयराम के पास गई. वहां से मामला ‘पुरैची भारतम पार्टी’ के विधायक पूवई एम जगन मूर्ति के पास ले जाया गया. आरोप है कि विधायक के आदमी प्रेमी जोड़े की तलाश में लक्ष्मी के घर पहुंच गए. वे उनका अपहरण करना चाहते थे. लेकिन दोनों घर पर मिले नहीं, इसलिए उन्होंने लड़के के नाबालिग छोटे भाई यानी लक्ष्मी के 16 साल के छोटे बेटे का अपहरण कर लिया.
एडीजीपी की गाड़ी से अपहरण?लक्ष्मी ने इसकी शिकायत पुलिस से की तो अपहरणकर्ताओं ने युवक को घायल अवस्था में बस स्टैंड के पास छोड़ दिया. बाद में दावा किया गया कि जिस गाड़ी से नाबालिग को बस स्टैंड पर छोड़ा गया वह एडीजीपी जयराम की ऑफिशियल गाड़ी थी. इस गाड़ी में कथित तौर पर वनराजा और माहेश्वरी दोनों मौजूद थे.
मामले में वनराजा और माहेश्वरी समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
पुलिस पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए कुछ आरोपियों ने विधायक मूर्ति के भी अपहरण में शामिल होने की बात कही, जिसके बाद 15 जून को पुलिस विधायक को गिरफ्तार करने के लिए उनके आवास पर गई.
रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस के पहुंचते ही विधायक के घर पर करीब 2 हजार पुरैची भारतम पार्टी के कार्यकर्ता जुट गए. उन्होंने जमकर बवाल काटा और पुलिस को विधायक के पास पहुंचने ही नहीं दिया.
‘छिपते फिर रहे’ विधायक ने इसी दौरान मद्रास हाई कोर्ट में जमानत की याचिका डाल दी. उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि अपहरण में विधायक शामिल नहीं थे. कोर्ट ने विधायक और एडीजीपी दोनों को सोमवार 16 जून को कोर्ट में बुला लिया. इस दौरान अदालत ने एडीजीपी को गिरफ्तार करने का मौखिक आदेश दे दिया.
हालांकि, विधायक को गिरफ्तारी से छूट दे दी लेकिन कोर्ट ने उन्हें जमकर फटकार लगाई.
विधायक को कड़ी फटकारजज ने विधायक से कहा कि लोगों ने उन्हें वोट इसलिए दिया है ताकि वे जनता की सेवा करें. न कि 'कंगारू कोर्ट' चलाएं.
इस दौरान एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने कोर्ट को बता दिया कि पुलिस जब विधायक को पूछताछ के लिए बुलाने गई थी तो 2 हजार लोगों ने उनके घर को घेर लिया था. इस पर जज ने कहा,
ये ठीक नहीं है. आप इतने सारे लोगों को अपने साथ क्यों ले जाना चाहते हैं. आप विधायक हैं. आप क्यों शर्मा रहे हैं?
अंत में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दो आरोपियों ने एडीजीपी के खिलाफ इकबालिया बयान दिया है. ऐसे में उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. इसके बाद कोर्ट से बाहर आते ही एडीजीपी जयराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
जज ने मामले की अगली सुनवाई 26 जून को तय की है.
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