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मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भावुक हुए जज, कहा, 'अगर मेरी बेटी होती तो...'

Justice N Anand Venkatesh ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को 48 घंटे के भीतर तस्वीरों और वीडियोज का पता लगा कर उन्हें हटाने और ब्लॉक करने का निर्देश दिया. और साथ ही 14 जुलाई तक कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है.

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मद्रास हाईकोर्ट ने महिला की याचिका पर तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया है. (इंडिया टुडे)

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) में 9 जुलाई को एक महिला अधिवक्ता की सहमति के बिना प्रसारित निजी तस्वीरों और वीडियो को हटाने की याचिका पर सुनवाई चल रही थी. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश (Justice N Anand Venkatesh) भावुक नजर आए. उन्होंने महिला के प्रति सहानुभूति जताते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को 48 घंटे के भीतर संबंधित सामग्री हटाने के निर्देश दिए.

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यह सामग्री कथित तौर पर महिला के एक्स पार्टनर ने गुपचुप तरीके से रिकॉर्ड किया था. और फिर पोर्न साइट्स, मैसेजिंग एप्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर कर दिया था. जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को 48 घंटे के भीतर तस्वीरों और वीडियो का पता लगा कर उन्हें हटाने और ब्लॉक करने का निर्देश दिया. और साथ ही 14 जुलाई तक कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है.

जस्टिस वेंकटेश इस सुनवाई के दौरान भावुक नजर आए. उन्होंने कोर्ट में रुंधे हुए गले से कहा, 

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महिला वकील बेहद पीड़ा से गुजर रही है. मैं बस यही सोच रहा था कि अगर यह मेरी बेटी होती तो क्या होता? मैं याचिकाकर्ता से  मिलकर उसको हौसला देना चाहता था.

जस्टिस वेंकटेश ने आगे कहा कि महिला वकील की हिम्मत उनके वकालत की शिक्षा और कानूनी समुदाय से मिल रहे समर्थन का नतीजा है. लेकिन उन मूक पीड़ितों का क्या जो लड़ने का साहस नहीं जुटा पातीं?

उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति के सम्मान और मौलिक अधिकार को बनाए रखने के लिए राज्य और कोर्ट के संवैधानिक कर्तव्यों का भी जिक्र किया. साथ ही तमिलनाडु के डीजीपी को निर्देश दिया कि पुलिस अधिकारियों के बीच जागरूकता अभियान चलाए. और आईटी मंत्रालय के साथ समन्वय बनाए ताकि शिकायत आने पर तुरंत ऐसी सामग्री को हटाया जा सके. 

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पीड़ित महिला ने 1 अप्रैल को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें उन्होंने अपने एक्स पार्टनर और एक वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन का नाम दिया था. लेकिन शिकायत करने के बावजूद न तो पुलिस और न ही मंत्रालय की ओर से कोई ठोस कार्रवाई होती दिखी. इसके बाद उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

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