निर्वाचन आयोग ने EVM के वोट और पोस्टल बैलेट की गिनती अलग-अलग करने के फैसले को पलट दिया है. 25 सितंबर को आयोग ने गिनती की नई प्रक्रिया जारी की. इसके तहत यह तय किया गया है कि EVM वोटों की गिनती तभी पूरी होगी जब सभी डाक मतपत्रों की गिनती खत्म हो जाएगी. इसका मतलब है कि ईवीएम और पोस्ट बैलेट की गिनती एक साथ खत्म होगी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आयोग ने कहा,
EVM काउंटिंग पर चुनाव आयोग ने क्या नया निर्देश दे दिया?
18 मई 2019 को चुनाव आयोग ने आदेश जारी कर कहा था कि ईवीएम गिनती डाक मतपत्र गिनती से अलग जारी रह सकती है.


“EVM/VVPAT गिनती का सेकेंड लास्ट राउंड तब तक शुरू नहीं होगा जब तक काउंटिंग सेंटर पर पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी नहीं हो जाती.”
आयोग ने कहा कि यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि गिनती की प्रक्रिया और स्पष्ट व व्यवस्थित हो सके. नए निर्देश के मुताबिक अगर किसी संसदीय क्षेत्र में विधानसभा-वार कई काउंटिंग सेंटर हैं, तो सभी केंद्रों पर गिनती रोकने की ज़रूरत नहीं होगी. केवल उसी केंद्र पर रोक लगेगी जहां डाक मतपत्रों की गिनती चल रही होगी.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह फैसला राजनीतिक दलों की मांग पर लिया गया है. विपक्षी दलों का कहना था कि यदि चुनाव बहुत करीबी हो तो डाक मतपत्रों को अमान्य या मान्य ठहराने से अंतिम समय में परिणाम प्रभावित हो सकते हैं.
2024 लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन ने भी यह मांग की थी कि आयोग 2019 का निर्देश वापस ले, पहले की प्रक्रिया लागू करे और EVM गिनती का दूसरा अंतिम राउंड तब तक हो, जब तक सभी पोस्टल बैलेट गिने न जाएं. 18 मई 2019 को आयोग ने आदेश जारी कर कहा था कि EVM काउंटिंग डाक मतपत्र गिनती से अलग जारी रह सकती है. उस समय आयोग ने कहा था कि डाक मतपत्रों की संख्या बढ़ने के कारण यह बदलाव ज़रूरी है.
विपक्ष ने दलील दी थी कि आयोग का 2019 का आदेश निर्वाचन नियम 1961 के नियम 54A के खिलाफ है, जिसमें साफ लिखा है कि “रिटर्निंग ऑफिसर सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती करेगा.” लेकिन उस समय के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने यह मांग ठुकरा दी थी, यह कहते हुए कि चुनाव बीच में हैं, इसलिए प्रक्रिया बदली नहीं जा सकती.
तब चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) के लागू होने के कारण पोस्टल बैलेट में बढ़ोतरी का हवाला दिया था. इस सिस्टम में, पोस्टल बैलेट इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सर्विसेज़ से जुड़े वोटरों को भेजे जाते हैं, न कि डाक से. हालांकि, भरे हुए बैलेट अभी भी डाक से ही वापस भेजे जाते हैं. चुनाव आयोग ने कहा था कि ETPBS के लिए QR कोड को अनिवार्य रूप से पढ़ने की आवश्यकता होने से पोस्टल बैलेट की गिनती में अधिक समय लगता है. 2020 में आयोग ने 80 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं को भी डाक मतपत्र से वोट देने की सुविधा दी थी.
रिपोर्ट के मुताबिक DMK ने हाल ही में 17 जुलाई को आयोग के साथ बैठक में फिर यह मुद्दा उठाया था. 25 सितंबर को आयोग ने कहा कि प्रक्रिया बदलने का मकसद है “एकरूपता और पूरी स्पष्टता सुनिश्चित करना.” आयोग ने माना कि पिछले निर्देश में यह संभावना रहती थी कि EVM गिनती पूरी हो जाए, जबकि डाक मतपत्रों की गिनती बाकी हो. हालांकि, आमतौर पर डाक मतपत्र पहले गिने जाते हैं, लेकिन विवाद से बचने के लिए अब नया नियम लागू कर दिया गया है.
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