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10 साल में राज्यों का कर्ज तीन गुना बढ़ा, पंजाब सबसे बड़ा कर्जदार, CAG की रिपोर्ट में खुलासा

साल 2022-23 के अंत में पंजाब का कर्ज अपने GSDP का सबसे ज्यादा 40.35% था. उसके बाद नागालैंड (37.15%) और पश्चिम बंगाल (33.70%) थे. वहीं सबसे कम कर्ज वाली लिस्ट में ओडिशा (8.45%), महाराष्ट्र (14.64%) और गुजरात (16.37%) थे.

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CAG ने राज्यों के कर्ज को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में राज्यों के कर्ज को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट बताती है कि पिछले 10 सालों में सभी 28 राज्यों का कर्ज तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है. फाइनेंशियल ईयर 2013-14 में जहां कुल कर्ज 17.57 लाख करोड़ रुपये था, साल 2022-23 में यह बढ़कर 59.60 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह रिपोर्ट पिछले 10 साल में राज्यों की आर्थिक स्थिति का एनालिसिस पेश करती है.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह रिपोर्ट शुक्रवार, 19 सितंबर को जारी की गई. CAG संजय मूर्ति सभी राज्यों के वित्त सचिव के साथ मीटिंग ले रहे थे. जहां उन्होंने बताया कि साल 2022-23 के अंत तक 28 राज्यों का कुल सार्वजनिक कर्ज 59.60 लाख करोड़ रुपये था. जो कि देश के कुल सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 22.96% है. बता दें कि GSDP उस राज्य में एक साल में बनी सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है.

कौन से राज्य सबसे ज्यादा कर्ज में?

साल 2022-23 के अंत में पंजाब का कर्ज अपने GSDP का सबसे ज्यादा 40.35% था. उसके बाद नागालैंड (37.15%) और पश्चिम बंगाल (33.70%) थे. वहीं सबसे कम कर्ज वाली लिस्ट में ओडिशा (8.45%), महाराष्ट्र (14.64%) और गुजरात (16.37%) थे. रिपोर्ट में बताया गया कि 31 मार्च 2023 तक आठ राज्यों का कर्ज उनके GSDP का 30% से ज्यादा था. छह राज्यों का 20% से कम था. बाकी 14 राज्यों का कर्ज 20% से 30% के बीच था.

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रिपोर्ट के अनुसार साल 2022-23 में सभी राज्यों का कुल कर्ज देश की GDP का लगभग 22%, यानी 2,68,90,473 करोड़ रुपये था. राज्य सरकार कर्ज के लिए खुले बाजार में बांड और ट्रेजरी बिल, भारतीय स्टेट बैंक और अन्य बैंकों, भारतीय रिजर्व बैंक से विशेष अग्रिम (WMA), तथा LIC या NABARD जैसी संस्थाओं से उधार लेते हैं.

रिपोर्ट ने बताया कि उधार लेने की कुछ शर्तें हैं. इसमें कर्ज का इस्तेमाल वहां विकास पर खर्च होना चाहिए, न कि दैनिक खर्च या राजस्व घाटा पूरा करने में. लेकिन 11 राज्यों (आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल) ने अपने दैनिक खर्च को पूरा करने के लिए भी कर्ज का इस्तेमाल किया. इसमें आंध्र प्रदेश और पंजाब में यह खर्च 17% और 26% रहा, वहीं हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यह लगभग 50% था.

रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक दशक में राज्यों पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ा है. कई राज्यों ने राजस्व घाटा पूरा करने के लिए भी कर्ज का सहारा लिया. जबकि नियम सिर्फ विकास कार्य को पूरा करने के लिए उधार की इजाजत देता है.

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