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पड़ताल: इस पर्चे में वैक्सीन के बारे में लिखे दावे भ्रामक हैं, पढ़िए पूरी सच्चाई

सोशल मीडिया पर वैक्सीनेशन से जुड़ा एक दावा वायरल है.

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वैक्सीन ना लगवाने की सलाह देता पर्चा वायरल है. इसे जारी करने वाले लोग कोरोना महामारी को षड्यंत्र बताते रहे हैं.
दावा

भारत में कोरोना दूसरी लहर भयंकर रूप ले चुकी है. सरकारी आंकड़ों में कोविड के रोज़ाना लाखों केस सामने आ रहे हैं. हज़ारों की मौत कोरोना महामारी की वजह से हो रही है. कुछ राहत की बात ये कि 1 मई से देश में 18 से ज़्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है. यही वर्ग है जिसे सबसे ज़्यादा घर से बाहर निकलना पड़ता है.
इस बीच सोशल मीडिया पर एक पर्चा वायरल हो रहा है जिसमें लखा गया है-

"वैक्सीन किसे नहीं लगवाना है"

इस पर्चे में 6 पॉइंट्स लिखे हुए हैं-
1. अविवाहित युवतियाँ टीके से दूर रहें, (विवाह बाद संतानहीनता) 2. बच्चों को इससे दूर रखें, (भविष्य में अनेक बीमारियाँ संभव) 3. जिन्हें कभी निमोनिया, अस्थमा, या ब्रोंकाईटीज जैसे श्वसन तंत्र सम्बन्धी बीमारियाँ थीं, (साइड इफ़ेक्ट में मौत संभव) 4. शराब, सिगरेट, तम्बाकू का सेवन करने वाले, (कैंसर की संभावना) 5. मानसिक व न्यूरल समस्याओं के मरीज, (बीमारी बढ़ सकती है) 6. डायबिटीज के मरीज भूल कर भी न लगवाएं. (हल्के साइड इफ़ेक्ट में भी मौत संभव)
सोशल मीडिया पर वायरल ये पर्चा भ्रामक है. पर्चे में जिन लोगों का नाम लिखा है, वो कोरोना को षड्यंत्र मानते हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल ये पर्चा भ्रामक है. पर्चे में जिन लोगों का नाम लिखा है, वो कोरोना को षड्यंत्र मानते हैं.


इस पर्चे के आखिर में कुछ लोगों के नाम ​भी लिखे हैं. पर्चे में वैक्सीन को वैक्सीन निर्माताओं और राजनेताओं की आपसी साजिश बताते हुए इससे दूर रहने की हिदायत दी गई है. किसान आंदोलन और नेताओं की रैलियों को आधार बनाते हुए कहा गया है कि कोरोना महामारी नहीं है.
फेसबुक
-वॉट्सऐप समेत लगभग हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये दावा वायरल है.

पड़ताल

हम एक-एक कर इस पर्चे में किए जा रहे दावों की सच आपको बताते हैं.
दावा 1: अविवाहित युवतियों को वैक्सीन लगवाने पर शादी के बाद उन्हें संतानहीनता की समस्या हो सकती है.
सच्चाई: वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए, इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय
 ने विस्तार से जानकारी दी है. इसके अलावा ‘सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया
’ और ‘भारत बायोटेक
’ ने भी बाकायदा फैक्ट शीट जारी की है. फैक्ट शीट में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा कि अविवाहित लड़कियों को वैक्सीन से बचना चाहिए या इससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के निदेशक वीजी सोमानी ने बयान
दिया था कि कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद हल्के बुखार, दर्द और एलर्जी जैसे छोटे-मोटे साइड इफेक्ट तो हो सकते हैं, लेकिन इसके प्रजनन क्षमता प्रभावित करने की बात कोरी बकवास है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी जानकारी आप नीचे पढ़ सकते हैं.
 


दावा 2: बच्चों को कोरोना वैक्सीन से दूर रखें क्योंकि इससे भविष्य में उन्हें बीमारियां हो सकती हैं.
सच्चाई: फिलहाल कोरोना वैक्सीन सिर्फ 18 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को ही लगाई जा रही है.
एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने बयान दिया था
 कि भारत बायोटेक कंपनी एक स्प्रे वैक्सीन की अनुमति लेने की कोशिश कर रही है. अगर ये अनुमति मिल जाती है तो बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए उनका टीकाकरण आसानी से किया जा सकेगा.
‘इंडिया टुडे’
की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन कंपनियां बच्चों की वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल कर रही हैं और इस साल (2021) के अंत तक ये वैक्सीन आ सकती हैं. यानी फिलहाल वयस्कों के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, बच्चों के लिए वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है.
दावा 3: "जिन लोगों को कभी निमोनिया, अस्थमा, या ब्रॉन्काइटिस जैसी श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियां रह चुकी हों, उन्हें वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. इससे उनकी मौत भी हो सकती है."
सच्चाई: भारत में वैक्सीन सप्लाई कर रहीं दो कंपनियों- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने ऐसा कोई भी परहेज़ नहीं बताया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियों के मरीजों को वैक्सीन लेने से नहीं रोका है. ना ही कोई ऐसे मामले या शोध सामने आए हैं जिसमें श्वसन तंत्र संबंधी परेशानियों का कोई जुड़ाव वैक्सीन से हो.
ब्रिटिश लंग फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक
, सांस की बीमारियों से जूझ रहे मरीज़ों को लिए वैक्सीन सुरक्षित है.
दावा 4: शराब, सिगरेट, तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. इससे उन्हें कैंसर हो सकता है.
सच्चाई: भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक
, शराब के इस्तेमाल से वैक्सीन पर कोई असर पड़ने के सबूत नहीं है. सिगरेट तंबाकू का इस्तेमाल करने वाले लोगों को अमेरिका के कुछ राज्यों में प्राथमिकता दी जा रही है. NPR की एक रिपोर्ट में
ड्यूक यूनिवर्सिटी में मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सोनाली आडवाणी का कहना है कि कि धूम्रपान करने वाले लोगों को जब भी वैक्सीन उपलब्ध हो, उन्हें लगवानी चाहिए.
दावा 5: मानसिक समस्याओं के मरीजों को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए क्योंकि इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है.
सच्चाई: सितंबर 2020 में ब्रिटिश-स्वीडिश वैक्सीन कंपनी एस्ट्राजेनेका को अपना ट्रायल रोकना पड़ा था
, जब एक महिला के शरीर में न्यूरल यानी तंत्रिका तंत्र से जुड़े कुछ लक्षण नजर आए थे.
दुनिया भर में वैक्सिनेशन शुरू होने के बाद ऐसे और भी मामले
सामने आए हैं जिनमें वैक्सीन लेने के बाद लोगों ने मानसिक समस्या होने का आरोप लगाया है.
हालांकि, भारत या किसी अन्य देश में मानसिक समस्या से पीड़ित लोगों को कोरोना वैक्सीन लेने से मना किए जाने की कोई रिपोर्ट हमें नहीं मिली.
दावा 6: डायबिटीज के मरीजों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए क्योंकि इससे उनकी मौत तक हो सकती है.
सच्चाई: हमें किसी भी सरकारी वेबसाइट या विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. इसके ठीक उलट, भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि डायबिटीज, हायपरटेंशन या दिल की बीमारियों से पीड़ित लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए
.
पर्चे में जिनका नाम है, वो कौन हैं?
इस पर्चे पर पांच लोगों के नाम का ज़िक्र है. इनमें से डॉ. बी.के तुमाने के अलावा लिखे गए चार नामों से हमारा संपर्क हो पाया. उनका क्या दावा है और हमसे बातचीत में क्या कहा, आपको बताते हैं.
1. डॉ. तरुण कोठारी- तरुण कोठारी खुद को MBBS, MD बताते हैं. तरुण कोठारी कोरोना वायरस को षड्यंत्र बताते हैं और लोगों से मास्क जला देने की अपील करते रहे हैं. संपर्क करने पर उनकी टीम ने 'लल्लनटॉप' को बताया कि पर्चा तरुण कोठारी ने जारी किया है.
हमने इन दावों के पीछे तरुण कोठारी के तर्क जानने चाहे तो कई बार संपर्क करने के बावजूद उनकी टीम ने तरुण कोठारी से बात नहीं करवाई. लेकिन तरुण कोठारी की कोविड-19 के बारे में कही गई बातों से स्पष्ट होता है कि वो कोविड-19 को बीमारी नहीं मानते और वैक्सीन प्रोग्राम उनकी नज़र में षड्यंत्र है.
2. डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी- चौधरी ने पर्चे में खुद को मेडिकल एक्टिविस्ट बताया है. पर्चे के आखिर में बाईं ओर छपा- N.I.C.E लोगो इनके संस्थान का है. बिस्वरूप चौधरी कोरोना के बारे में भ्रामक जानकारियां फैलाने के लिए कुख़्यात हैं. 2020 में भी इन्होंने कई भ्रामक और वैज्ञानिक आधार पर ग़लत बयान दिए थे. इनके कंटेंट को सोशल मीडिया कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म्स से हटा चुकी हैं. बिस्वरूप की www.coronakaal.tv नाम की वेबसाइट पर बहुत-सा भ्रामक कंटेंट आज भी मौजूद है.
लल्लनटॉप से बातचीत में उनकी टीम ने बताया कि वायरल पर्चा उनके संस्थान ने जारी नहीं किया है. हालांकि लोगो उनका ही है. इसमें बिना इजाज़त चौधरी का नाम, लोगो और वेबसाइट का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि, चौधरी और उनकी टीम वैक्सीन को षड्यंत्र मानती है.
3. डॉ. विलास जगदाले- जगदाले खुद को MD और मेडिकल एक्टिविस्ट बताते हैं. हालांकि जब हमने संपर्क किया तो उनके भाई ने विलास जगदाले की जगह हमसे बात की. उनका दावा है कि इस ये पर्चा विलास जगदाले ने जारी नहीं किया है. हमने वैक्सीन पर उनकी राय जाननी चाही तो जगदाले ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
4. डॉ रियो रिबेलो- मुंबई में नेचुरल हेल्थ सेंटर चलाने वाले रियो रिबेलो वैक्सीन के ख़िलाफ़ हैं. वो पर्चे में लिखी एक-एक बात से सहमत हैं. उनका दावा है कि वैक्सीन लगाने से संतानहीनता हो जाएगी. हालांकि जब हमने उनसे तथ्य और रिसर्च मांगी तो वो कुछ भी तथ्यपरक हमें मुहैया नहीं करवा पाए. उनके पास सिर्फ दावे थे, तथ्य और तर्क नहीं.
भारत में कोविड से बचाव के लिए दो तरह की वैक्सीन दी जा रही है. एक है ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ की- कोविशील्ड और दूसरी है ‘भारत बायोटेक’कंपनी की- कोवैक्सीन. कोविड वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए और इसके साइड इफेक्ट क्या-क्या हैं, इससे जुड़ी इंडिया टुडे की एक संकलित रिपोर्ट वेबसाइट पर आप देख सकते हैं. अब तक इसके कोई बड़े साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं. हालांकि लंबे समय में क्या असर होंगे, इसपर विस्तृत रीसर्च जारी है.

नतीजा

वायरल हो रहे पर्चे में लिखी गई बातें भ्रामक हैं. हमने पर्चा जारी करने वाले लोगों से संपर्क किया. उनके पास सिर्फ दावे हैं, सबूत मांगने पर कोई भी ठोस जानकारी वे साझा नहीं कर पाए. पर्चा जारी करने वाले कोविड को षड्यंत्र बताते रहे हैं और मास्क की होली जलाने की वक़ालत करते आए हैं. ये दावे मनमाने हैं, वैक्सीनों के साइड-इफेक्ट्स के बारे में खुद वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने जानकारी दी है जिसमें पर्चे में लिखी बातों जैसी कोई जानकारी शामिल नहीं है. इन वैक्सीनों की रिसर्च पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने तसल्ली ज़ाहिर की है.
'दी लल्लनटॉप' अपील करता है कि ज़रूरी हो तो ही घर से बाहर निकलें. मास्क पहनें और साबुन या सेनिटाइज़र से हाथ साफ करते रहें. बाहर जाएं तो शारीरिक दूरी का ख़्याल रखें.