“हमारा मकसद था वैक्सीन को इस पैरामीटर पर जांचना कि वो इंसानों को सुरक्षा दे रही है या नहीं. वैक्सीन का ट्रायल पूरा हुआ. सफल रहा. जल्द ही ये बाज़ार में उपलब्ध होगी. जिन लोगों पर वैक्सीन ट्रायल किया गया था, वे अब स्वस्थ्य हैं. कुछ लोगों को 15 जुलाई और कुछ को 20 जुलाई को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा.”मास प्रॉडक्शन के लिए प्लान जल्द यूनिवर्सिटी ने 18 जून को वैक्सीन ट्रायल शुरू किया था. यूनिवर्सिटी का दावा है कि वैक्सीन कम से कम दो साल तक शरीर को कोरोना वायरस के ख़िलाफ इम्युनिटी देने में कारगर है. लुकाशेव का कहना है कि वैक्सीन के मास प्रॉडक्शन के लिए जल्द ही योजना तैयार की जाएगी. हालांकि वैक्सीन को अभी बाज़ार में आने और लोगों तक पहुंचने में तमाम प्रक्रियाओं से गुज़रना होगा. इधर, ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका की बायोटेक कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन भी एडवांस स्टेज में है और इससे भी उम्मीदें हैं.
वैक्सीन के लिए ह्यूमन ट्रायल में हिस्सा लेने वालों को पैसे दिए जाते हैं?