गांधी को दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे से नीचे फेंक दिया गया था. कारण था उनका भारतीय होना, ब्लैक होना. अब उसके 125 साल से ऊपर हो गए हैं. भारत के आज़ाद होने से पहले तक बड़े-बड़े पब्स के बाहर लिखा होता था, डॉग्स एंड इंडियंस आर नॉट अलाउड. आप सोच रहे होंगे हम आपको मॉडर्न हिस्ट्री क्यों पढ़ाने लगे? दरअसल मामला ही कुछ ऐसा है.
सतीश शाह ने लंदन एयरपोर्ट के स्टाफ को भारतीय होने का एहसास कराया, जनता लहालोट हो गई
ट्विटर पर कुछ लोग सतीश शाह के रिप्लाई को सराह रहे हैं और कुछ उनकी कहानी को बनावटी भी बता रहे हैं.

वेटरन ऐक्टर Satish Shah ने यूके के Heathrow airport का अपना एक अनुभव साझा किया है. उन्होंने ट्वीट किया कि उनके बारे में हीथ्रो एयरपोर्ट का स्टाफ कुछ आपत्तिजनक डिस्कस कर रहा था. उन्होंने एक कर्मचारी को अपने साथी से चर्चा करते हुए सुना कि सतीश शाह जैसे लोग फर्स्ट क्लास का टिकट कैसे खरीद सकते हैं. खुले तौर से ये एक रेसिस्ट कमेन्ट था. कैसे अफोर्ड कर सकते हैं. इस पर उनका रिप्लाई बड़ा बेहतरीन है. इसी पर सब लहालोट हुए जा रहे हैं. उनका रिप्लाई था, हम टिकट अफोर्ड कर सकते हैं क्योंकि भारतीय हैं.
उनका पूरा ट्वीट ये था कि
मैंने हीथ्रो स्टाफ के एक कर्मचारी को अपने साथी से बात करते हुए सुना कि ऐसे लोग फर्स्ट क्लास का टिकट कैसे अफोर्ड कर सकते हैं? मैंने एक गर्वित मुस्कान के साथ उत्तर दिया, 'क्योंकि हम भारतीय हैं.'
हालांकि इस ट्वीट पर हीथ्रो एयरपोर्ट के ऑफिशियल हैंडल से रिप्लाई भी आया:
गुड मॉर्निंग, सॉरी आपके साथ ऐसा कुछ हुआ इसके लिए हम माफ़ी चाहते हैं. क्या आप हमें डीएम कर सकते हैं?
सतीश शाह के ट्वीट पर कई यूजर्स के रिएक्शन भी आए. एक ने लिखा कि
मैं इसमें और एक लाइन जोड़ता कि 'अब आप इसके आदी हो जाइए.'
एक और यूजर ने लिखा:
अगली बार एक और लाइन ऐड करिएगा कि वो लोग(अंग्रेज) जो भी आज अफोर्ड कर पा रहे हैं, वो भी सिर्फ भारतीय धन के कारण, जो उनके पूर्वज यहां से लूटकर ले गए.
एक और यूजर ने लिखा:
अब भी ऐसा कर रहे हैं, जबकि उनका प्रधानमंत्री भारतीय मूल का है. क्या वो दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पिछड़ने के बाद भी हमें हीन भाव से देखना अफोर्ड कर सकते हैं.
एक और यूजर ने सतीश शाह का पुराना ट्वीट साझा करते हुए लिखा:
ये स्टोरी बनाई हुई लग रही है. आप ये वाला ट्वीट कैसे भूल सकते हैं.
दरअसल सतीश शाह ने 9 अगस्त 2022 को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने अशोक चक्र वाला भारतीय ध्वज का फोटो शेयर करते हुए लिखा था:
ये वही तिरंगा है जो मेरी मां को भारत छोड़ो आंदोलन 1942 के समय मिला था.
जबकि जिस फॉर्म में अभी भारतीय ध्वज है, उसे 1947 में अपनाया गया था.
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