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मलयालम सिनेमा की ये 8 शानदार फिल्में अगर आपने नहीं देखी, तो कर क्या रहे हो ब्रो?

'मलयालम सिनेमा' की वो फिल्में, जो आपके सिनेमा देखने के अनुभव को रिच कर देंगी. कुछ फिल्में प्यार सिखायेंगी, तो कुछ सस्पेंस और थ्रिलर का मारक मज़ा देंगी.

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वो मलयालम फिल्में जिन्हें एकबार ज़रूर देखना चाहिए

साल 2022 ने लगभग 6 महीने का अपना सफर पूरा कर लिया है. इस दौरान हिंदुस्तान के सिनेमा घरों में बहुत कमाल की फिल्में आई. अब तक साल 2022 की दो बड़ी फिल्में 'आरआरआर' और 'केजीएफ 2' रहीं. जिन्होंने दर्शकों से प्यार और पैसा दोनों कमाया. लेकिन इनकी रिलीज़ ने पूरी फिल्म इंडस्ट्री को एक बहस पर लाकर खड़ा कर दिया और वो ये कि कौन ज्यादा अच्छी फिल्में बनाता है, ‘बॉलीवुड’ या ‘साउथ फिल्म इंडस्ट्री’? इसी के साथ पैन इंडियन फिल्म वाली डिबेट भी शुरू गई है. हम सब इधर बहसबाज़ी में उलझे रहें. वहीं दूसरी ओर 'मलयालम सिनेमा' ने अच्छे कंटेन्ट और दिलचस्प कहानियों पर काम करना जारी रखा. आज हम ऐसी ही कुछ मलयाली फिल्म्स की बात करेंगे. जिन्हें आप एकबार देख लें तो ये कहने को मजबूर हो जाएंगे, ‘क्या ज़बरदस्त काम है’! भाषा को समझने की टेंशन ना हो इसके लिए सबटाइटल्स का भी बंदोबस्त है. और सबसे बड़ी बात इसके लिए आपको सिनेमा हॉल का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं. क्योंकि सारी फिल्म्स ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर ही मिल जाएंगी.

 

1.  फिल्म  :-  हृदयम
डायरेक्टर  :- विनीत श्रीनिवासन 
कास्ट :- प्रणव मोहनलाल, कल्याणी प्रियदर्शन, दर्शन राजेन्द्र

फिल्म में क्या है ?  

अपने अंदर मासूमियत समेटे हुए, फिल्म की प्यारी-सी कहानी है. जो बिल्कुल आम कहानियों जैसी ही है और यही बात फिल्म को खूबसूरत बनाती है. फिल्म की कहानी सरल है. लेकिन जब कलाकारों की ऐक्टिंग, लाइटिंग और साउन्ड ट्रैक के साथ मिलकर स्क्रीन पर आती है, तो आपके मन में खुशनुमा माहौल बनाती है. यहां ऐसा कुछ भी नहीं है, जो हमने पहले ना देखा हो. कॉलेज लाइफ के इर्द-गिर्द घूमती इसकी कहानी से सभी को जुड़ाव महसूस होगा. यहां पहले प्यार की प्यारी-सी कहानी है. जिससे लोग आसानी से जुड़ जाते हैं. फिल्म दिखाती है कि किस तरह अलग-अलग रास्तों पर चलते हुए, हम खुद को समझने के एक कदम और नज़दीक पहुंचते हैं. किसी वक्त पर की गई, ऐसी गलतियां जिनका पछतावा हमें जीवनभर रहता है. इस पछतावे के साथ भी आगे बढ़ा सकता है. प्यार दोबारा भी प्यार किया जा सकता है और ज़िन्दगी को फिर से एक सही रास्ते पर लाया जा सकता है. 

कहां मिलेगी? :- डिज्नी + हॉटस्टार

 

2. फिल्म :- सैल्यूट
निर्देशक :- रोशन एंड्रयूज
कास्ट  :- दुलकर सलमान, डायना पेंटी, मनोज के. जया

फिल्म में क्या है ?

इस फिल्म के लिए डायरेक्टर रोशन एंड्रयूज और राइटर बॉबी-संजय ने सातवीं बार एक साथ मिलकर काम किया हैं. 'रोशन एंड्रयूज' की ये फिल्म मशहूर कोरियन डायरेक्टर बोंग-जो-हू की 'मेमोरीज ऑफ मर्डर' की याद दिलाती है. जितनी शानदार फिल्म की स्क्रिप्ट हैं, उतना ही शानदार दुलकर सलमान का परफॉरमेंस. फिल्म किसी तरह की मिस्ट्री पैदा करने में अपना वक्त ज़ाया नहीं करती बल्कि उसके प्रेडिक्टबल होने से आपके अंदर एक अलग-सा रोमांच पैदा होता है जो आपको स्क्रीन से हटने नहीं देता. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक ग़ज़ब माहौल बनाता है. आसान भाषा में कहें, तो इसे देखते हुए स्क्रीन से नज़रे हटा पाना मुश्किल हो जाता है. यहां आप पुलिस की बर्बरता से भी वाकिफ़ होते हैं. इसके साथ किसी इंस्टिट्यूट के अंदर की राजनीति का असल चेहरा भी देखते है. लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं, “साल की सबसे अंधरी रात भी सवेरा होने से नहीं रोक सकती.” ठीक ऐसा ही यहां भी होता हैं, तमाम बुराइयों, घोटालों और झूठ के बावज़ूद सच इनके बीच भी कहीं ना कहीं ज़िन्दा रहता है. फिल्म खत्म होने के काफी देर बाद भी, ये दर्शकों को खुद से जोड़े रखती है. कुल मिलकर अगर एक लाइन में बात कही जाए, तो फिल्म बहुत बेहतरीन है.    

कहां मिलेगी ? :- सोनी लिव

 

3. फिल्म :- पुझु
निर्देशक :- रथीना
कास्ट :- मामूट्टी और पार्वती

फिल्म में क्या है ?  

रथीना की ‘पुझु’ मलयाली फिल्म इंडस्ट्री में साल 2022 की एक बड़ी हिट रही है. जो समाज और समाज की जाति व्यवस्था पर तगड़ी टिप्पणी करती है. मामूटी और पार्वती ने हमेशा की तरह बेहतरीन काम किया है. मामूटी इस फिल्म में कुट्टन नाम के एक रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर के किरदार में नजर आएंगे. जो अपने पिता के लिए अच्छा बेटा है और उनकी परवाह करता है. जबकि अपने बेटे के लिए थोड़े प्रोटेक्टिव नेचर का पिता है. जिस वजह से ऑफिसर का बेटा कहीं ना कहीं एक दबाव महसूस करता है. वह अपने बेटे को सभी पर आसानी से भरोसा करने से रोकता है. इन सभी की वजह ये है कि ऑफिसर अपने पिछले दिनों के बुरे अनुभवों से और पूर्वाग्रहों से जूझते हुए आगे के फैसले लेता है और इसके साथ ही वह जातिवाद का कट्टर समर्थक भी है. कैसे वो इन पूर्वाग्रहों से बाहर आता है, इसी को बताते हुए कहानी आगे बढ़ती है. इस फिल्म में बहुत अच्छे ढंग से फिल्माया गया है, जहां कलकारों और मेकर्स की मेहनत साफ़ नज़र आती है.  

कहां मिलेगी ? :- सोनी लिव

 

4. फिल्म :- सीबीआई5 
निर्देशक :- के मधु
कास्ट  :- मामूटी, मुकेश, जगती श्रीकुमार और सौबिन शाहीर


फिल्म में क्या है ?

यह एक मूवी सीरीज़ हैं. जिसमें कुल पाँच फिल्में हैं. पाँचवी फिल्म 17 साल बाद रिलीज़ हुई है. इस कमाल की मूवी सीरीज़ को के. मधू ने डायरेक्टर किया है और एस. एन. स्वामी ने लिखा है. मामूटी इस फिल्म में एक सीबीआई ऑफिसर सेतुराम अय्यर के रोल में वापस देखने को मिलेंगे. केरल के गृहमंत्री की मौत से हत्याओं का एक सिलसिला शुरू होता है. इस बास्केट किलिंग्स नाम के केस को मामूटी अपनी टीम के साथ सुलझाते हुए नज़र आते हैं. फिल्म का फर्स्ट हाफ रोमांच से भरा हुआ है. फिल्म देखते वक्त इन सभी हत्याओं के पीछे के मास्टर माइंड का नाम को जानने के लिए मन मचलने लगता है. सेकंड हाफ में राइटर और डायरेक्टर बिखरी हुई चीजों को समेटते हुए आगे बढ़ते हैं. केस सॉल्व होने की तरह बढ़ता है. सेतुरमन अय्यर किस तरह केस को हल करता है? यह देखते हुए, स्क्रीन से नजर हटा पाना मुश्किल हो जाता है. सस्पेंस और थ्रिलर पसन्द करने वाले लोगों को यह फिल्म जरूर पसन्द आएगी.  

कहां मिलेगी? :- नेटफलिक्स

 

5. फिल्म:- जन गण मन
निर्देशक :- डिजो जोस एंटनी
कास्ट :- सूरज वेंजारामूडु, पृथ्वीराज सुकुमारन 

फिल्म में क्या है ?

यह डिजो एंटनी की दूसरी फिल्म है.  ‘जन गण मन’ देखते हुए, यह किसी ज़िन्दा कहानी सी मालूम पड़ती है. फिल्म देखते समय आप सिर्फ दर्शक नहीं रहते बल्कि फिल्म का हिस्सा हो जाते हैं. इसमें हम बहुत बार गांधी जी को देखते है और एक सीन में हम देखते हैं कि एक लाइब्रेरी जिसे तोड़ दिया गया है. वहां एक पुलिस वाला फर्श से किताब उठता है, जोकि ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर होती है. फिल्म का सेकंड हाफ कोर्ट रूम ड्रामा है. जो फर्स्ट हाफ से थोड़ा कमजोर नज़र आता है. लेकिन कहानी यहां एक दिलचस्प मोड़ लेती है. इस फिल्म से हम सीखते हैं कि आधी जानकारी और आधे सच के बलबूते ही अपने फैसले नहीं करने चाहिये. फिल्म की एक लाइन जो अंत तक दिमाग में घूमती रहती है, जब पृथ्वीराज कहते हैं, ‘क्या यह सच है इसलिए मीडिया ने इसे दिखाया, या मीडिया में है इसलिए इसे सच होना चाहिए?’ इसी तरह की एक और लाइन जो मन में बैठ जाती है, जब एक नेता कहता है, ‘जब नोट बैन कर सकते हैं, तो वोट भी बैन कर सकते हैं’. फिल्म में ऐसे कई सीन हैं, जिन्हें देखकर आप सोचने को मजबूर हो जाते हैं. जैसे कर्नाटक के एक कॉलेज में हिजाबी लड़कियों को दिखाने से लेकर हैदराबाद बलात्कार मामले में एनकाउंटर में मारे गए लोगों तक. छात्रों के धरने, किसी संस्था के द्वारा दलित छात्रों का शोषण, जातिवाद पर टिप्पणी, पुलिस के द्वारा हो रही बर्बरता, साथ ही और भी बहुत कुछ. 
  
कहां मिलेगी ? :- नेटफलिक्स

 

6. फिल्म :- नारदन
निर्देशक :- आशिक अबू
कास्ट :- टोविनो थॉमस, अन्ना बेनो

फिल्म में क्या है ?

मलयालम सिनेमा जिस तरह के विषयों पर काम कर रहा है, वो काफी दिलचस्प और मज़ेदार है. ‘नारदन’ की कहानी में एक फेमस न्यूज़ एंकर है. जो अपनी रेटिंग्स को लेकर परेशान है. इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए वो क्या रास्ते अपनाता है? इस सवाल का जवाब आपको आगे फिल्म देखने पर मिलेगा. क्या इसे एक बायोपिक बोला जा सकता है? खैर ये एक मज़ाक था. आप खुद देखें और खुद फैसला करें. इस फिल्म को हमें इसलिए भी देखना चाहिए, क्योंकि हम समझ सके कि जो समाचार या मनोरंजन की चीजें हम टीवी से लेते हैं, वो हमें किस तरह से प्रभावित करते हैं. एक सीन में टोविनो का किरदार कहता है, “तुम्हारा कैमरा तुम्हारा हथियार है, तुम इससे एक नया केरल दिखा सकते हो. अभी तुम्हारे पास ये ताक़त है, तुम तय करोगे किसे क्या देखना है और कब देखना है?” फिल्म बहुत चालाकी से जाति व्यवस्था जैसे मुद्दे पर टिप्पणी करती है. फिल्म का एक सीन जो दिन के खाने और दोपहर के खाने के जरिए जाति व्यवस्था वाली बात को बयां कर जाता है. इस तरह के सिम्बोलिज़्म का इस्तेमाल नीरज घेवान भी अपनी फिल्मों में करते हैं.  

कहां मिलेगी ? :- अमेज़न प्राइम वीडियो

 

7. फिल्म  :-  पड़ा 
निर्देशक :- कमल के. एम. 
कास्ट :- कुंचाको बोबन, जोजू जॉर्ज, विनायकन, दिलेश पोथन

फिल्म में क्या है ?

यह फिल्म 1996 में केरल के पलक्कड़ में हुई एक असल घटना पर बनी है. जिसने उस वक्त काफ़ी सुर्खियां बटोरीं. सोशियो-पॉलिटिकल जोनर की ये फिल्म थ्रिल से भरी हुई है. इस फिल्म के नाम में ही इसका सार छुपा हुआ है. पड़ा का मतलब होता है, सेना. यह फिल्म एक हॉस्टेज ड्रामा है. ये कुछ ऐसे लोगों की कहानी है जो सरकार और सरकार के बनाए कुछ कानूनों से बहुत नाराज़ हैं. और अब उन लोगों ने कानून को अपने हाथ में लेने की ठान ली है. फिर वो हथियारबंद कलेक्टर ऑफिस में घुसकर वहां लोगों बंधक बना लेते हैं. कहानी में आगे क्या होता है ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी. असल घटना से आई इसकी कहानी में थोड़ा नाटकीय बदलाव जरूर किया गया है. लेकिन इसे सच के नज़दीक रखने की पूरी कोशिश की गई है.
   
कहां मिलेगी ? :- अमेज़न प्राइम वीडियो

 

8. फिल्म-  12th MAN
निर्देशक – जीतू जोसेफ
कास्ट - मोहनलाल

फिल्म में क्या है?

‘दृश्यम’ और ‘दृश्यम-2’ के निर्देशक रहे जीतू जोसेफ ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है. ये कहानी कुछ दोस्तों की है, जिनमें पांच आपस में शादीशुदा हैं और एक औरत जिसका तलाक हो चुका है. ये सभी अपने एक दोस्त की शादी के लिए एक रिसॉर्ट में पहुंचते हैं. इस दौरान अच्छा खास हंसी-मज़ाक चल रहा होता है कि खेल-खेल के बीच कहानी ऐसा मोड़ लेती है कि सब कुछ गड़बड़ हो जाता है. चीजें बिगड़ने और बिखरने लगती हैं. आप देखेंगे, आगे किस तरह दोस्ती और रिश्ते सुलझते हैं, कुछ राज़ खुलकर सामने आते हैं. और किस तरह किसी के भरोसे को परखा जाता है. फिल्म का सेकंड हाफ कॉन्फ्रेंस रूम ड्रामा है, जिसमें ‘मोहनलाल’ एक हत्या की गुत्थी को सुलझाते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं. रोमांच और सस्पेंस से भरी ऐसी फिल्म जब देखते हैं, तो आप आगे की कहानी जानने के लिए खुद को बेचैन पाते हैं. खुद कोशिश करते हैं, अंदाज़े लगाते हैं कि असली हत्यारा कौन हो सकता है? जिनकी सस्पेंस में थोड़ी भी दिलचस्पी है, उन्हें ये फिल्म मारक मज़ा देगी.  

कहां मिलेगी? :- अमेज़न प्राइम विडिओ

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