
भावनगर में कई जगहों पर अब भी मोखड़ाजी के मंदिर बन रहे हैं. (फोटो: Facebook)
7. सूचना मिलने पर उन्होंने खंभात बंदरगाह पर दिल्ली सल्तनत का पूरा खजाना और गोला-बारूद लूट लिया. इस खजाने से उन्होंने अपनी नौसेना को और भी मजबूत किया था. 8. मोखड़ाजी ने जेठवा राजपूत इलाके पर भी कब्जा कर लिया. राज्य को कब्जे में लेने के बाद मोखड़ाजी ने जेठवा की बेटी से शादी कर ली थी. इससे पहले उन्होंने राजपिपला की राजकुमारी से भी शादी की थी. इसके बाद मोखड़ाजी ने खंभात से लेकर सोमनाथ तक पूरे समुद्र तट पर कब्जा कर लिया. 9. दिल्ली सल्तनत के लिए जब खंभात बंदरगाह से कारोबार करना मुश्किल हो गया, तो तुगलक की सेना ने मोखड़ाजी की राजधानी पिराम को चारों ओर से घेर लिया. तुगलक की सेना को समुद्री तट पर लड़ने की आदत नहीं थी, इसलिए वो हार गई और मोखड़ाजी जीत गए. 10. इसके बाद खुद मोहम्मद बिन तुगलक ने मोर्चा संभाला और पिराम के चारों ओर सेना तैनात कर दी. यह साल था 1347. 11. अपने राज्य को बचाने के लिए मोखड़ाजी सैनिकों के साथ खुद वहां लड़ने के लिए गए. उनकी सेना समुद्र में लड़ने के लिए तो मजबूत थी, लेकिन लड़ाई समुद्र तट पर हुई. 12. इस लड़ाई में मोखड़ाजी के सैनिक तुगलकी सैनिकों के आगे नहीं टिक सके. लड़ाई में खुद मोखड़ाजी की गर्दन कट कई और वो शहीद हो गए. 13. उनकी वीरता की कहानी आज भी समुद्र तट पर सुनाई जाती है. समुद्र तट पर उनके मंदिर बने हैं. मछली पकड़ने के लिए जाने वाले मछुआरे पहले मोखड़ाजी दादा को नारियल चढ़ाते हैं, उसके बाद ही अपनी नावें उतारते हैं.
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