Aditya Dhar. बतौर डायरेक्टर ये नाम बस दो फिल्म पुराना है. लेकिन इतने में ही इन्होंने बॉक्स ऑफिस पर फोड़ डाला. आदित्य की डेब्यू फिल्म ‘उरी’ बड़ी हिट रही. उसके डायलॉग How’s the Josh ने पॉपुलर कल्चर में अपनी जगह बनाई. ‘उरी’ की कामयाबी के बाद आदित्य ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट The Immortal Ashwatthama बनाने की कोशिश की. लुक टेस्ट पर काम शुरू हुआ. प्रॉस्थेटिक पर काम आगे बढ़ने लगा. लेकिन फिर दबी आवाज़ में खबरें आने लगीं कि ये फिल्म बंद हो गई है. कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट्स ने छापा कि फिल्म का बजट इतना ज़्यादा था कि स्टूडियो के कदम डगमगा गए. उन्हें भरोसा नहीं था कि ये बजट रिकवर हो पाएगा.
'धुरंधर' वाले आदित्य धर की वो फिल्में, जिनका नाम तक आपने नहीं सुना होगा!
'धुरंधर' से पहले भी आदित्य धर और अक्षय खन्ना साथ में काम कर चुके हैं.


आदित्य ने धीरज नहीं खोया. वो पूरे जोर–शोर के साथ अपनी अगली फिल्म पर जुट गए. तीन-चार साल तक खुद को इस फिल्म में झोंका. जो बनकर निकला उसे आज पूरी दुनिया ‘धुरंधर’ के नाम से पहचान रही है. रिलीज़ के बाद से हर सुबह ‘धुरंधर’ बॉक्स ऑफिस पर किसी-न-किसी पुराने रिकॉर्ड की इमारत को गिराकर अपने नाम को पुख्ता कर रही है. ये 600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की कमाई कर चुकी है और अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है.
अगर किसी ने आदित्य की जर्नी को फॉलो नहीं किया तो उन्हें लग सकता है कि वो टू हिट वन्डर टाइप केस हैं. मगर ऐसा नहीं है. साल 2006 में पहली बार मुंबई शहर में कदम रखने के बाद से आदित्य लगातार खुद पर काम कर रहे हैं. सीनियर स्क्रीनराइटर रॉबिन भट्ट, आदित्य से जुड़ा एक वाकया बताते हैं. उन्होंने आदित्य को मेहनत करते देखा और कहा कि इस शहर में बहुत लोगों की पीठ बोल जाती है. मुझे लग रहा है कि तुम्हारी भी पीठ बोलेगी, बस खुद को बदलना मत. रॉबिन कहते हैं कि आदित्य ने इस पर अमल किया और अब तक वैसे ही हैं.
‘उरी’ और ‘धुरंधर’ वाले आदित्य धर ने इससे पहले कई फिल्मों पर काम किया. सालों तक फिल्ममेकिंग को बारीकी से समझा, खुद की क्राफ्ट पर काम किया, अपनी आवाज़ ढूंढी. इन दोनों फिल्मों से पहले आईं वो कौन-सी फिल्में थीं जो आदित्य को इस क्राफ्ट के करीब लेकर गईं, उनके बारे में बताएंगे. ‘उरी’ और ‘धुरंधर’ से पहले आईं उन फिल्मों के बारे में बताएंगे जिन पर आदित्य ने काम किया. बहुत सारे लोग नहीं जानते कि आदित्य ने उन फिल्मों पर काम किया था.
#1. आक्रोश
‘हेरा फेरी’ और ‘हंगामा’ जैसी कॉमेडी फिल्में बना चुके प्रियदर्शन की फिल्म. लेकिन ये कॉमेडी फिल्म नहीं थी. बल्कि आपको विचलित करती है. अक्षय खन्ना और अजय देवगन के किरदारों को बिहार के एक गांव लेकर जाती है. तीन लड़के अचानक से गायब हो गए और उन्हें जांच का ज़िम्मा सौंपा गया है. ये दोनों पाते हैं कि ज़मीनी हकीकत उनकी कल्पना से बेहद भयावह है. जिस जातिवाद को बीते ज़माने का दाग मान बैठे थे, वो यहां पांव पसार कर बैठा. एक सीन है जहां अक्षय खन्ना का किरदार बाल कटवाने जाता है. वहां एक नेता बैठा है जो घनघोर जातिवादी है. सामने टीवी पर इंडिया का क्रिकेट मैच चल रहा है. अचानक इंडिया की टीम एक विकेट लेती है और सभी झूम उठते हैं. इस पर अक्षय खन्ना का किरदार कहता है,
नेताजी, ये जिसने बॉल करी है न, ये मुसलमान है. और जिसने कैच पकड़ी है वो दलित. उन दोनों को जो गले लगा रहे हैं, उनमें ब्राह्मण भी हैं, सिख भी हैं, क्षत्रिय भी हैं. काश हम क्रिकेट से कुछ सीख पाते.
अक्षय खन्ना के मुख से निकली इस लाइन को आदित्य धर ने लिखा था. आदित्य ‘आक्रोश’ के डायलॉग राइटर थे. इसी सीन में एक और सिम्पल पर दमदार डायलॉग है. जब अक्षय का किरदार दुकान में घुसता है तो उससे पूछा जाता है, “केश बनवाने आए हो?” इस पर उसका जवाब था,
गांव में बहुत धूल उड़ती है न. सोचा बाल बना लूं. खुद को साफ रखना बड़ा मुश्किल हो जाता है.
फिल्म देखते वक्त आप समझ जाते हैं कि खुद को साफ रखने वाली बात सिर्फ बालों के लिए नहीं कही गई.
#2. काबुल एक्सप्रेस
9/11 का आतंकी हमला. अमेरिका पर हुआ वो हमला जिसने पूरी दुनिया की पॉलिटिक्स को बदलकर रख दिया. अफगानिस्तान का उस पर क्या असर पड़ा, अमेरिका और बड़े देशों की नीतियों ने उसकी स्थिति कैसे खराब की, वहां के आम लोगों को क्या-कुछ खोना पड़ा, कबीर खान की ये फिल्म यही दर्शाने की कोशिश करती है. फिल्म में एक गाना है ‘काबुल फिज़ा’. उसके कुछ बोल पूरी फिल्म की थीम को बांध लेते हैं. ये बोल हैं:
"ये सफ़र ये इम्तिहान
बेज़ुबां मेरी दास्तान
जीने का ये है फ़लसफ़ा
ग़म में भी खुशियों की सदा
है यहां
जाने ख़ुदा, ना जाने ख़ुदा
ये जो हुआ, क्या जाने ख़ुदा
खोई-सी है यहां सबकी दुआ
काबुल फ़िज़ा, ये है काबुल फ़िज़ा"
ये बोल आदित्य धर की कलम से निकले थे. उन्होंने सिर्फ यही नहीं, बल्कि ‘काबुल एक्सप्रेस’ के सभी गाने लिखे थे.
#3. तेज़
अजय देवगन, कंगना रनौत और अनिल कपूर लीड कास्ट में थे. ‘आक्रोश’ के बाद ये प्रियदर्शन की अगली हिन्दी फिल्म थी. पिछली फिल्म की तरह आदित्य इससे भी जुड़े हुए थे. और ‘आक्रोश’ की तरह उन्होंने इस फिल्म के लिए भी डायलॉग लिखे. ‘तेज़’ को क्रिटिक्स और ऑडियंस दोनों की तरफ से कोई खास रिस्पॉन्स नहीं मिला था. नतीजतन ये बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हुई थी.
#4. डैडी कूल
साल 2005 से 2010 के बीच कुछ हिन्दी फिल्में आईं. ये बहुत हल्की-फुल्की कॉमेडी वाली फिल्में थीं जहां कहानी में कुछ भी हो रहा था. इस दौर में आई बहुत कम फिल्में ऐसी निकलीं जो समय के साथ यादगार बनीं. वरना अधिकांश आई-गई वाली श्रेणी में दर्ज हो गईं. ऐसी ही एक फिल्म थी ‘डैडी कूल’. ट्रेडमिल पर दौड़ते हुए एक आदमी की मौत हो जाती है. फ्यूनरल होने वाला है. पूरा परिवार जमा होता है. इस दौरान क्या-कुछ घटता है, मेकर्स ने उससे ही कॉमेडी निकालने की कोशिश की, मगर उनकी कोशिश रंग नहीं ला सकी. इस फिल्म का कोई भी पक्ष यादगार नहीं बन सका. ऐसा ही आदित्य धर के लिखे गानों के लिए भी कहा जा सकता है.
#5. हाल-ए-दिल
अजय देवगन के भाई अनिल देवगन फिल्म के डायरेक्टर थे. राजीव रवि फिल्म के सिनेमैटोग्राफर थे. फिल्म के म्यूजिक कम्पोज़र्स में विशाल भारद्वाज का नाम था. वहीं लिरिसिस्ट की क्रेडिट प्लेट के नीचे आदित्य धर का नाम था. इतने सारे कमाल के लोग एक साथ आए, मगर फिर भी फिल्म को बचा नहीं सके. क्रिटिक्स ने फिल्म की धज्जियां उड़ा दी थीं. इसे साल की सबसे खराब हिन्दी फिल्मों में शुमार किया.
इन फिल्मों से होते हुए आदित्य ने अपनी पहली फिल्म ‘उरी’ बनाई. हालांकि ये उनकी डेब्यू फिल्म नहीं होने वाली थी. वो ‘रात बाकी’ नाम की एक फिल्म बनाने वाले थे जिसे लीड में फवाद खान और कटरीना कैफ होते. लेकिन ये फिल्म नहीं बन सकी. हालांकि आगे जाकर इस फिल्म ने ‘धूम धाम’ की शक्ल ली. अब कास्ट बदल चुकी थी. यामी गौतम और प्रतीक गांधी के साथ इसे बनाया गया. आदित्य की जगह ऋषभ सेठ ने ये फिल्म डायरेक्ट की थी. आदित्य को स्क्रीनराइटर का क्रेडिट दिया गया. साल 2025 में ‘आर्टिकल 370’ और ‘बारामूला’ भी रिलीज़ हुईं. आदित्य इन दोनों फिल्मों के स्क्रीनराइटर और प्रोड्यूसर थे.
उनकी फिल्मोग्राफी में अगला नाम ‘धुरंधर 2’ होने वाला है. मेकर्स अनाउंस कर चुके हैं कि ये फिल्म 19 मार्च 2026 के दिन सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी.
वीडियो: रणवीर सिंह स्टारर 'धुरंधर' के शो कश्मीर में जा रहे हाउसफुल




















