Danny Denzongpa और Salman Khan को हमने Sanam Bewafa (1991) में स्क्रीन पर साथ देखा. उसके बाद इन दोनों ने 23 साल तक साथ काम नहीं किया. फिल्मों में ही नहीं, बल्कि अवॉर्ड फंक्शंस और निजी कार्यक्रमों में भी डैनी और सलमान कभी साथ नज़र नहीं आए. आखिर ऐसा क्या हुआ कि डैनी ने दो दशक तक सलमान की तरफ दोबारा मुड़कर नहीं देखा.
सलमान खान की इस हरकत की वजह से डैनी ने 23 साल तक उनके साथ किसी फिल्म में काम नहीं किया
1991 में सलमान खान और डैनी, 'सनम बेवफा' नाम की फिल्म में साथ नज़र आए थे.


दरअसल, ‘सनम बेवफ़ा’ के सेट पर ही कुछ ऐसा हुआ था कि डैनी उखड़ गए. ये उस दौर की बात है, जब सलमान इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने की कवायद में लगे हुए थे. जबकि डैनी स्थापित नाम थे. वो उनके अनुशासन और वक्त की पाबंदी के लिए मशहूर थे. न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के मुताबिक़ डैनी सेट पर समय से पहले पहुंच जाते थे, ताकि प्रोडक्शन टीम का एक पल भी ज़ाया न हो. इसके बिल्कुल उलट, सलमान उनसे काफी जूनियर होकर भी अक्सर सेट पर देरी से पहुंचते थे. कई बार डैनी को घंटों उनका इंतज़ार करना पड़ता. सलमान के इस गै़र-जिम्मेदाराना रवैये के चलते ही डैनी ने फैसला लिया कि अब वो सलमान के साथ कभी काम नहीं करेंगे.
डैनी को ऐसी कई फिल्मों के ऑफर आए, जिनमें सलमान लीड थे. तब तक सलमान बुलंदियों पर पहुंच चुके थे. मगर फिर भी डैनी ने सलमान के साथ काम करने का हर प्रस्ताव ठुकराया. ऐसा नहीं है कि डैनी ने उस दौरान फिल्में नहीं कीं. उन्होंने काम तो किया, मगर सलमान के साथ नहीं किया.
दोनों के बीच आई ये दूरियां साल 2014 में खत्म हुईं. और सलमान की ‘जय हो’ में डैनी विलन के रोल में नज़र आए. हालांकि फिल्म से जुड़े सूत्रों के हवाले से इस रिपोर्ट में लिखा गया,
“जय हो के सेट पर दोनों के बीच अनकही सी दूरी महसूस होती थी. दोनों बात तो करते थे, मगर संक्षेप में. जितनी ज़रूरत हो, बस उतनी ही. संभवत: डैनी अपना ख़राब तजुर्बा अब भी भुला नहीं सके थे.”
‘जय हो’ के कुछ समय बाद ही सलमान और डैनी के बेटे रिनजिंग डेन्ज़ोंग्पा की एक तस्वीर इंटरनेट पर दिखी. तब लगा कि अंतत: डैनी और सलमान के बीच फ़ासले कम हो गए हैं. बहरहाल, डैनी के वर्कफ्रंट की बात करें, तो उन्होंने हिंदी, तमिल, नेपाली और बंगाली फिल्मों में भी काम किया है. डैनी ने साल 1971 गुलज़ार की ‘मेरे अपने’ से करियर की शुरुआत की. BR चोपड़ा की ‘धुंध’ में खलनायक की भूमिका निभाई. और बाद में ‘चोर मचाए शोर’, ‘काला सोना’, ‘36 घंटे’ और ‘देवता’ जैसी हिट फिल्में दीं. ‘ख़ुदा गवाह’ और ‘सनम बेवफ़ा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड दिया गया. साल 2003 में उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया.
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