फिल्मों के मामले में एक टर्म चलती है. नो ब्रेनर. यानी दिमाग न लगाने वाली फ़िल्में. मेकर्स का आग्रह होता है कि अगर आप लॉजिक लगाने की ज़िद न करें, तो फिल्म आपको मज़ेदार लगेगी. कई मामलों में ये सच भी साबित हुआ है. लॉजिक से परे लेकिन भरपूर हास्य क्रिएट करनेवाली फ़िल्में काफी मात्रा में बना चुका है हिंदी सिनेमा. तो नो ब्रेनर से कोई ख़ास परहेज़ नहीं है जनता को. लेकिन कुछ फ़िल्में ऐसी होती हैं, जिनकी नो ब्रेनर की परिभाषा ही कुछ अलग होती है. उनका साफ़ कहना होता है कि हमने कोई दिमाग नहीं लगाया है, आगे आपकी मर्ज़ी. अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की 'थैंक गॉड' बिल्कुल इसी तरह की फिल्म है. देखिए वीडियो.