बाएं से दाएं. लखीमपुर में हुए घटनाक्रम की एक फोटो और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. ऐसे में दी लल्लनटॉप अपने राजनीतिक मंच 'जमघट' पर अलग-अलग नेताओं का इंटरव्यू कर रहा है. इसी सिलसिले में हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू (Yogi Adityanath Lallantop Interview) किया. इस इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ से तमाम मुद्दों के साथ-साथ लखीमपुर खीरी में हुए घटनाक्रम पर भी सवाल पूछे गए. ये पूरा घटनाक्रम पिछले साल अक्टूबर में हुआ था. इस मामले में प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठे थे. सुप्रीम कोर्ट ने भी पुलिस के रवैये पर सख्त टिप्पणी की थी. पूरे केस को लेकर संपादक सौरभ द्विवेदी ने सीएम योगी से पूछा,
"एक घटना होती है लखीमपुर खीरी में. देश के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे पर गंभीर आरोप लगते हैं. उस हिंसा में तीन भाजपा कार्यकर्ता भी मारे जाते हैं. किसान कुचले जाते हैं, ड्राइवर की भी हत्या होती है. सब सामने आता है. देश के सुप्रीम कोर्ट को टिप्पणी करनी पड़ती है कि क्या IPC की धारा 302 और 307 के मुजरिमों से पुलिस इतने ही अच्छे तरीके से बर्ताव करती है? और खबर ये चलती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो पहले ही दिन से चाहते थे कि सख्त कार्रवाई हो, लेकिन दिल्ली ने हाथ बांध रखे थे."
इस सवाल के जवाब में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,
"राज्य की कानून व्यवस्था राज्य के हाथ होती है, कहीं और नहीं होती है. कार्रवाई हमने शुरू कर दी थी. घटना हुई. घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी. लेकिन घटना की सच्चाई जाने बिना जब उसमें राजनीति होने लगती है और भावनाओं को भड़काकर वर्ग संघर्ष की स्थिति पैदा की जाती है. सरकार का दायित्व पहले होता है कि हम वर्ग संघर्ष की स्थिति नियंत्रित करें. हम लोगों ने घटना जितनी बड़ी थी, उसको वहीं पर टैकल किया, उसको रोका. बढ़ने नहीं दिया. दो समुदाय जो आमने-सामने आते, उसको पहले रोका. फिर इस मामले में जो चार सिख युवक मारे गए थे, उनके पोस्टमार्टम को लेकर परेशानी थी. हमने कहा कि आप जिस एक्सपर्ट से कहें, उनको बुला दीजिए हम भी उस प्रकार अपने एक्सपर्ट बुलाते... उन्होंने KGMU से लेकर AIIMS के एक्सपर्ट मांगे, हमने उन्हें भी बुला दिया. हमने उनके सामने दोबारा पोस्टमार्टम कराया. हमने कहा, लो भाई... ये सच्चाई है."
योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा,
"पोस्टमार्टम की रिपोर्ट, अंतिम संस्कार होने, स्थिति को पहले नियंत्रित किया गया. भीड़ को तितर-बितर किया गया. फिर व्यवस्थित तरीके से घटना की तह में गए. और फिर नियमानुसार, जो कार्रवाई हो सकती थी, वही कार्रवाई की. उसके लिए ज्युडिशियल कमीशन बनाया. SIT बनाई. सुप्रीम कोर्ट को लगा कि नहीं... इससे भी अच्छा बनना चाहिए. हमने कहा आप स्वयं बना लीजिए. उन्होंने स्वयं बनाया. जो नियमानुसार कार्रवाई थी, उसके बाहर तो कोई भी नहीं जा पाया. उसी चीज को लेकर लोग आगे बढ़े. तो यहां पर कहां किसी के बचाव की बात आती है और कहां पर किसी के खिलाफ कार्रवाई ना करने की बात आती है."
टिकैत से किसने बात की?
लखीमपुर खीरी घटनाक्रम के बारे में यूपी के मुख्यमंत्री से और भी सवाल किए. मसलन,
"आप एक बड़ी गंभीर बात कह रहे हैं कि वहां पर कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी. खासकर दो समुदाय को लेकर... और हम सब चाहते हैं कि देश और प्रदेश शांत रहे. तब लोगों ने एक बात और कही कि इस बार योगी सरकार का पॉलिटिकल क्राइसिस मैनेजमेंट दुरुस्त रहा. जिस तरह से राकेश टिकैत को आने दिया गया. बाकी जो नेता आ रहे थे, उनको अलग-अलग जगह रोका गया. राकेश टिकैत से कहा गया कि आप जाओ और बात करो. एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार भी पहुंचे और क्राइसिस वाली स्थिति मैनेज हो गई."
इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा,
"हमने एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) को एक दिन पहले ही वहां भेज दिया था. क्योंकि एडीजी (जोन) छुट्टी पर थे. इसलिए एक एडीजी स्तर का अधिकारी वहां जाए. इसलिए आईजी (रेंज) के साथ मैंने एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) को वहां भेजा था और कहा था कि आप वहां जाइए और पूरी स्थिति देखिए. फिर धीरे-धीरे सब नियंत्रित किया गया. हम लोगों ने उस पूरी व्यवस्था को... सिर्फ उसी को नहीं, हर एक घटना को गंभीरता से लिया है और फिर सरकार अपनी कार्यवाही आगे बढ़ाती है और व्यवस्थित तरीके से बढ़ाती है. उसमें ना तो किसी को पहले संदेश की गुंजाइश थी और ना आज होनी चाहिए."
इंटरव्यू में यूपी के मुख्यमंत्री से ये भी पूछा गया कि क्या स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए उन्होंने ही राकेश टिकैत से बात की थी या फिर केंद्रीय नेतृत्व ने ये योजना बनाई थी. योगी आदित्यनाथ ने इस सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. उन्होंने ये जरूर कहा कि ये मीडिया के लिए जरूर मुद्दा हो सकता है कि क्या राकेश टिकैत बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं.