"मैंने रामपुर की मनिहारन विधानसभा सीट और गाजियाबाद की एक सीट उनको दी थी, लेकिन उन्होंने किसी से फोन पर बात की और वो दोनों सीटें छोड़ दीं. मुझे नहीं पता उन्होंने किससे बात की. उसके बाद वो आए और कहा कि मेरा संगठन मेरे खिलाफ है, मैं चुनाव नहीं लड़ सकता हूँ. मेरी पार्टी इतनी सीटों से संतुष्ट नहीं है. ये बात हुई थी."
चंद्रशेखर के आरोपों पर अखिलेश का पलटवार, कहा 'दो सीटें दी थीं, उन्होंने खुद छोड़ दीं'
चंद्रशेखर ने कहा था- अखिलेश दलितों का वोट तो चाहते हैं, लेकिन नेतृत्व स्वीकार नहीं करते.
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चंद्रशेखर के आरोपों पर अखिलेश ने किया पलटवार (साभार: इंडिया टुडे)
उत्तर प्रदेश में बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के बीच चल रही गठबंधन की चर्चाओं पर अब विराम लग चुका है. शनिवार, 15 जनवरी को चंद्रशेखर आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद इस बात की घोषणा की. इस दौरान उन्होंने अखिलेश यादव पर दलितों का अपमान करने का आरोप भी लगाया था. कहा कि अखिलेश यादव को दलित समाज का वोट तो चाहिए, लेकिन उनका नेतृत्व स्वीकार नहीं. दूसरी तरफ, चंद्रशेखर के आरोपों पर अब अखिलेश यादव की भी प्रतिक्रिया आई है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने चंद्रशेखर को सीटें तो दी थीं, लेकिन वो खुद ही पीछे हट गए. अखिलेश यादव ने कहा,
अखिलेश यादव ने ये भी कहा कि उन्होंने चंद्रशेखर को बताया कि वो दो से अधिक सीट नहीं दे सकते. उनके पास देने के लिए इससे अधिक सीटें नहीं है. एक सीट तो आरएलडी से कहकर उन्हें देने की योजना बनाई थी. अखिलेश यादव ने चंद्रशेखर के आरोपों को षड्यंत्र भी बताया.
चंद्रशेखर ने क्या कहा था?
चंद्रशेखर आजाद ने 15 जनवरी की सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उनकी अखिलेश यादव से पिछले 6 महीनों में काफी मुलाकातें हुईं हैं. इस बीच सकारात्मक बातें भी हुईं लेकिन अंत समय में उन्हें लगा कि अखिलेश यादव को दलितों की जरूरत नहीं है. वो इस गठबंधन में दलित नेताओं को नहीं चाहते. चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उनका डर ये है कि अगर दलित वोट कर देंगे तो सरकार बनने के बाद वो अपने विषयों पर शायद बात ही न कर पाएं. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया कि उन्होंने बहुजन समाज का अपमान किया है. चंद्रशेखर ने आगे कहा कि उन्होंने बहुत कोशिश की लेकिन गठबंधन नहीं हो सका.
आजाद ने ये भी कहा कि बीजेपी को रोकने के लिए उन्होंने अपने स्वाभिमान से समझौता किया, लेकिन अब कार्यकर्ता अपनी लड़ाई खुद लड़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उनका काम बिखरे विपक्ष को एतजुट करना है. बात हिस्सेदारी की है. जितनी संख्या हमारी, उतनी हिस्सेदारी भी. हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे.
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