कभी सोचा नहीं था पॉलिटिक्स जॉइन करूंगा, अभी जो समय है उसमें एक मजबूत लीडरशिप की जरूरत है. मैं प्रधानमंत्री से प्रेरित हुआ और लगा कि देश की सेवा में जो सहयोग कर सकता हूं करना चाहिए. मेरा 39 साल का करियर रहा है, जितना बीजेपी ने फौज के लिए किया, किसी और ने नहीं किया. बीजेपी किसी भी फौजी की पहली चॉइस है.यह बयान बीजेपी में शामिल होने वाले रिटायर्ड उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सरथ चंद का है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मौजूदगी में उन्होंने 6 अप्रैल को बीजेपी का दामन थाम लिया. भले ही आज वह पीएम मोदी की तारीफ कर रहे हों, लेकिन एक साल पहले उन्होंने रक्षा बजट को लेकर सवाल उठाए थे.
2018-19 के रक्षा बजट में हुई मामूली वृद्धि ने हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. बजट में सेना के आधुनिकीकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह रकम सेना के पास पहले से चल रही 125 योजनाओं और डील्स के लिए जरूरी 29,033 करोड़ रुपये की किस्तों के लिए भी पर्याप्त नहीं है. धन के अपर्याप्त आवंटन से सेना की आधुनिकीकरण की योजना प्रभावित होगी. लड़ाई के दौरान सेना के पास सिर्फ 10 दिनों तक के लिए हथियार बचे हुए हैं.तत्कालीन उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सरथ चंद ने सेना के सामने मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा था,
खतरे की आशंका पहले की अपेक्षा कई गुना बढ़ गई है. पिछले एक साल में बाहरी संघर्ष और आंतरिक असंतोष की विभिन्न घटनाएं देखी गई हैं. डोकलाम विवाद अब तक जारी है और चीन की आक्रमकता में भी तेजी दिखी है. इस दौरान सेना की पेट्रोलिंग में भी बढ़ोतरी हुई और सीमा पर पड़ोसी मुल्क की गतिविधियां भी बढ़ी हैं. बीते कुछ सालों में तिब्बत में भी चीन की गतिविधियों में वृद्धि हुई है. सेना के 68 प्रतिशत बेहद पुराने हो चुके हैं. फंड का अभाव मौजूदा साजो-सामान के रखरखाव और कार्यशीलता पर तो प्रभाव डालेगा ही, साथ ही पुरानी खरीदों की किश्तों के भुगतान को भी प्रभावित कर सकता है.सेना की इस जानकारी के बाद बीजेपी सांसद बीसी खंडूरी (जो खुद सेवानिवृत्त सैनिक हैं) की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति ने संसद में पेश की गई अपनी कई रिपोर्टों में कहा था कि हमें इस निराशाजनक हालात की जानकारी मिलने से बड़ा धक्का लगा. हमारी सेनाओं के ही प्रतिनिधियों ने खुद स्पष्ट किया है कि पर्याप्त फंड नहीं होने के कारण किस तरह के नेगेटिव परिणाम सामने आ सकते हैं. हालात काफी गंभीर हैं. सरथ तब कहना क्या चाहते थे? सरथ ने तब जो कहा था, उसका वज़न इस तरह समझिए. फौज के पास 40 दिन तक एक सघन लड़ाई के लिए हथियार और गोला बारूद होना चाहिए. इसे कहा जाता है वार वेस्टेज रिज़र्व या WWR. अगर इतना गोला-बारूद न भी हो तो मिनिमम एक्सेप्टेड रिस्क लेवल (MARL) के तहत 20 दिन की सघन लड़ाई लायक हथियार और गोला-बारूद होने चाहिए. इसके अलावा किसी फौज के पास एक-तिहाई से ज़्यादा ऐसे हथियार-उपकरण नहीं होने चाहिए जो बहुत पुराने हों. तो सरथ सेना में दूसरे सबसे बड़े पद रहते हुए मोदी सरकार के चौथे साल में संसद की एक कमेटी को ये बता रहे थे कि सेना तैयारी, उपकरण और बजट के मामले में बेहद बुरी स्थिति में है. तय सीमा से दोगुने उपकरण पुराने हैं और गोला-बारूद तय ज़रूरत का चौथाई है. सरथ का आज का बयान इसके ठीक उलट सुनाई देता है.
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