The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

राहुल गांधी या रॉबर्ट वाड्रा? अमेठी में देरी की वजह कांग्रेस की उलझन या रणनीति?

Lok Sabha Election के लिए Amethi से Congress ने अब तक अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है. Rahul Gandhi के नाम की चर्चा चल रही है, लेकिन अटकलें Robert Vadra के नाम की भी हैं.

post-main-image
अमेठी में 20 मई को वोटिंग होनी है. (फाइल फोटो: PTI/इंडिया टुडे)

केरल के वायनाड से कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी के अमेठी (Amethi Rahul Gandhi) से चुनाव लड़ने की चर्चा फिर तेज हो गई है. इंडिया टुडे इनपुट्स के मुताबिक, राहुल गांधी की टीम अमेठी में कैंप कर रही है. कांग्रेस सूत्रों ने बताया है कि UP कांग्रेस की टीम को कहा गया है कि राहुल 1 मई को अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं. हालांकि, अभी तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. सूत्रों ने ये भी बताया है कि 30 अप्रैल के पहले इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की जाएगी. अमेठी से रॉबर्ट वाड्रा के भी चुनाव लड़ने की चर्चा उठी थी.

सवाल उठता है कि आखिर किस वजह से कांग्रेस अमेठी के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा करने में देरी कर रही है? पार्टी के लिए राहुल गांधी का अमेठी से चुनाव लड़ना कितना जरूरी है? और इस सबको लेकर रॉबर्ट वाड्रा का क्या स्टेक है?

करीब दो सप्ताह पहले न्यूज एजेंसी ANI पर रॉबर्ट वाड्रा का एक आया. इंटरव्यू में उन्होंने अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की. इसके बाद अमेठी से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हो गई.

इंटरव्यू में रॉबर्ड वाड्रा ने कहा था,

"अमेठी के लोग चाहते हैं कि वहां गांधी परिवार से कोई वापस आए. लोग उनको भारी बहुमत से जिताएंगे. वो मुझसे भी यही प्रेरणा (उम्मीद) रखते हैं. अमेठी के लोग चाहते हैं कि अगर मैं राजनीति में कदम रखता हूं और सांसद बनने की सोचता हूं तो अमेठी को ही रिप्रेजेंट करूं."

ये भी पढ़ें: कन्नौज से अखिलेश यादव के नामांकन की नौबत क्यों आई?

इसके बाद 24 अप्रैल को खबर आई कि अमेठी के गौरीगंज में कांग्रेस दफ्तर के बाहर रॉबर्ट वाड्रा के पोस्टर्स लगाए गए हैं. इनमें वाड्रा की उम्मीदवारी की मांग की गई. लिखा था,

'अमेठी की जनता करे पुकार, रॉबर्ट वाड्रा अबकी बार.'

इसके बाद चर्चा और तेज हो गई. चर्चा इसलिए भी क्योंकि राहुल गांधी केरल के वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं और अमेठी से कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

कांग्रेस की कंफ्यूजन या रणनीति?

इस सवाल पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रेम कुमार कहते हैं,

"कांग्रेस उम्मीदवार के नाम की घोषणा में हो रही देरी को कुछ लोग ‘कंफ्यूजन’ कह रहे हैं. लेकिन मेरा मानना है कि ये उनकी रणनीति हो सकती है. पहला कारण तो वायनाड का चुनाव हो सकता है. राहुल वहां से भी चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में वायनाड के चुनाव के बाद अमेठी से उनके नाम की घोषणा हो सकती है. इस रणनीति से कांग्रेस को फायदा हो सकता है. एक तो वायनाड के लोगों में ये मैसेज नहीं जाएगा कि राहुल चुनाव जीत कर अमेठी चले जाएंगे. ये एक साइकोलॉजिकल कारण हो सकता है. अभी उम्मीदवारी की घोषणा करने से वायनाड के लिए वो थोड़े गैर-जिम्मेवार लग सकते हैं. दूसरा कारण ये हो सकता है कि देरी करने से BJP को उनके खिलाफ तैयारी करने के लिए कम समय मिलेगा. वैसे भी अमेठी की सीट पर वोटिंग होने में अभी काफी समय है."

ये भी पढ़ें: पहले चरण में बिहार की इन सीटों पर वोटिंग, NDA और 'INDIA' में किसका पलड़ा भारी?

प्रेम कुमार आगे बताते हैं,

"राहुल अमेठी से लगातार चुनाव जीतते आए हैं (हालांकि 2019 में हारे थे). ऐसे में वो अगर अब अमेठी छोड़ते हैं तो नॉर्थ-साउथ का एंगल भी आ सकता है. ऐसा हो सकता है कि लोगों में मैसेज जाए कि राहुल पूरी तरह से उत्तर भारत से दूर हो गए हैं और उनका पूरा ध्यान दक्षिण भारत की तरफ शिफ्ट हो गया है. इस कारण से भी लोगों ने उन्हें अमेठी से भी चुनाव लड़ने की सलाह दी होगी."

रॉबर्ट वाड्रा कांग्रेस पर दबाव डाल रहे?

अमेठी के लिए रॉबर्ट वाड्रा की उम्मीदवारी कितनी मजबूत है, क्या वो यहां से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी पर किसी तरह का दबाव बना सकते हैं, और खुद कांग्रेस में रॉबर्ट वाड्रा के नाम पर कितनी गंभीरता से चर्चा हुई है या हो रही है, इस पर प्रेम कुमार कहते हैं,

"रॉबर्ट वाड्रा को कांग्रेस के भीतर कम गंभीरता से लिया जाता है और पार्टी से बाहर ज्यादा गंभीरता से. उन्होंने इच्छा जरूर जाहिर की थी, लेकिन उनकी उम्मीदवारी की संभावना ना के बराबर है. हालांकि, चर्चा चलती है कि वो पार्टी पर दबाव बनाने की भी कोशिश करते हैं. चर्चा ये भी चलती है कि वाड्रा इस बात के भी संकेत देते हैं कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अन्य पार्टियों से ऑफर मिलते हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता इन दबावों का गांधी परिवार पर कोई असर पड़ेगा."

वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह भी मानते हैं कि अमेठी से राहुल गांधी के ही उम्मीदवार बनने की संभावना अधिक है. वो कहते हैं,

"कांग्रेस को अगर यहां से किसी और को चुनाव लड़ाना होता तो उनके नाम की घोषणा हो गई होती. वायनाड के चुनाव के बाद राहुल गांधी के नाम की घोषणा हो सकती है. इस बार स्मृति ईरानी के पिछले 5 साल के काम को लेकर थोड़ी एंटी इनकंबेंसी बनी है."

राजकुमार सिंह भी इस बात से सहमत होते हैं कि राहुल को अगर दो जगहों से चुनाव लड़ना है तो उम्मीदवारी की घोषणा में देरी से उनको फायदा होगा. वहीं रॉबर्ट वाड्रा के सवाल पर वो कहते हैं,

“भले ही उनके पोस्टर्स लग गए हों, लेकिन जमीन पर उनकी बहुत ज्यादा चर्चा नहीं है. कांग्रेस ने भी कोई संकेत नहीं दिया है कि उनको चुनाव लड़ाया जाएगा. और अगर किसी तरह वाड्रा को वहां से चुनावी मैदान में उतारा भी जाता है तो मामला फंस सकता है. BJP को मौका मिल जाएगा, कांग्रेस पर फिर से परिवारवाद का आरोप लगाने का.”

कांग्रेस नेता और KKC (असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शुभ्रांश राय ने लल्लनटॉप को बताया कि पार्टी की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (CEC) इस पर फैसला लेगी. उन्होंने कहा,

"एक-दो दिनों में CEC की बैठक होगी. उसके बाद तय होगा कि अमेठी से कौन चुनाव लड़ेंगे."

अमेठी में कांग्रेस

आज अमेठी से बीजेपी की स्मृति ईरानी सांसद हैं. लेकिन कभी ये इलाका कांग्रेस का गढ़ था. इतिहास देखें तो यहां कांग्रेस ही लगातार जीतती रही है. 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी को जीत मिली थी. इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह को यहां जीत मिली. 1980 में इस सीट से कांग्रेस के संजय गांधी जीते थे. फिर 1981 के उपचुनाव सहित 1984, 1989 और 1991 के आम चुनाव में राजीव गांधी यहां से विजयी रहे थे. उनकी हत्या के बाद 1991 के उपचुनाव में और 1996 के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस के सतीश शर्मा को जीत मिली थी.

लेकिन 1998 में इस सीट पर भाजपा जीती थी. फिर 1999 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को यहां से जीत मिली. आगे अगले तीन चुनावों तक राहुल गांधी जीतते रहे. 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में अमेठी की जनता ने उन्हें चुना. लेकिन 2019 में उन्हें स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा. वे इस बार भी यहां से भाजपा की उम्मीदवार हैं. और अब बारी है लोकसभा चुनाव 2024 की. अमेठी सीट पर 5वें चरण के तहत 20 मई को वोटिंग होनी है.

वीडियो: नेता नगरी: लोकसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग के बाद कौन आगे, किसकी सीट फंसी?