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बैलेट पेपर से चुनाव ना कराने वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ, एक क्लिक में सब जानिए

चुनाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए VVPAT का प्रयोग किया जाता है. Supreme Court ने EVM और VVPAT से जुड़ीं सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

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EVM और VVPAT की ट्रेनिंग प्राप्त करते चुनाव अधिकारी. (फाइल फोटो: PTI)

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने EVM और VVPAT को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने उन सारी याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिनमें EVM से दिए गए वोट और VVPAT की पर्चियों के शत-प्रतिशत मिलान की मांग की गई थी. उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया गया है जिसमें EVM की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की गई थी.

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दिपांकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस खन्ना ने कहा,

"बैलेट पेपर से मतदान कराने, EVM-VVPAT का मिलान करने, वोटर्स को VVPAT की पर्चियां देने और नियम 49MA के संबंध में याचिकाएं दायर की गई थीं. मौजूदा प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं के साथ-साथ रिकॉर्ड पर मौजूद डेटा पर गौर करने के बाद हमने इन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है."

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कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के नियम 49MA के तहत, अगर कोई वोटर ये दावा करता है कि EVM या VVPAT में उसका वोट सही ढंग से रिकॉर्ड नहीं हुआ है तो उसे एक टेस्ट वोट डालने का मौका दिया जाता है. इसे और आसान शब्दों में ऐसे कह सकते हैं कि अगर आपने EVM पर किसी को वोट दिया लेकिन VVPAT पर पर्ची किसी और के नाम की निकल गई. ऐसे में शिकायत के बाद आपको एक टेस्ट वोट डालने का मौका दिया जाएगा. लेकिन अगर आप गड़बड़ी या बेमेल साबित नहीं कर पाते हैं तो आप पर कार्रवाई की जाएगी. चुनाव अधिकारी शिकायत करने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 177 (झूठी जानकारी देना) के तहत कार्रवाई शुरू कर सकते हैं. ऐसे मामलों में किसी व्यक्ति को छह महीने तक की जेल या 1,000 रुपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है.

कोर्ट ने दो महत्वपूर्ण निर्देश दिए-

  1. एक मई 2024 को या उसके बाद VVPAT में सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने पर, सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) को सील कर दिया जाएगा और कंटेनरों में सुरक्षित कर दिया जाएगा. उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि मुहर पर हस्ताक्षर करेंगे. सीलबंद कंटेनरों को परिणामों की घोषणा के बाद कम से कम 45 दिनों तक EVM के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा. उन्हें EVM की ही तरह खोला जाएगा और जांचा जाएगा.
  2. संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5% EVM के जले हुए मेमोरी सेमी-कंट्रोलर, यानी कंट्रोल यूनिट के साथ बैलेट यूनिट और VVPAT की जांच और सत्यापन किया जाएगा. ये काम EVM के निर्माताओं के इंजीनियरों की एक टीम द्वारा किया जाएगा. वोटों की गिनती के बाद कोई भी उम्मीदवार लिखित रूप से जांच का अनुरोध कर सकता है. ये अनुरोध परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर होना चाहिए. शिकायत करने वाले उम्मीदवार को ठीक ठाक वोट मिले हों और वो वोटों की गिनती के मामले में नंबर 1, 2 या 3 पर हो. इस सत्यापन में कितना खर्च आएगा? ये ECI तय करेगा और ये पैसा शिकायत करने वाले को देना होगा. अगर EVM में गड़बड़ पाई जाती है तो उम्मीदवार का पैसा वापस कर दिया जाएगा.

बेंच ने ECI को ये भी देखने का सुझाव दिया कि VVPAT की पर्चियों की गिनती के लिए कोई मशीन लगाई जा सकती है क्या? प्रत्येक सिंबल के साथ-साथ प्रत्येक पार्टी के लिए एक बार कोड हो सकता है क्या?

इस दौरान जस्टिस दत्ता ने कहा,

"किसी भी सिस्टम पर आंख मूंदकर अविश्वास करने से अनुचित संदेह पैदा हो सकता है. इससे आगे बढ़ने में बाधा आ सकती है."

ADR की मांग क्या थी?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने ये याचिकाएं दायर की थी. मांग की गई थी कि ये सुनिश्चित किया जाए कि जो वोट डाले जाए वो वोट के रूप में दर्ज हो और फिर रिकॉर्ड किए गए वोट की गिनती भी हो. इसके लिए ECI की तरफ से EVM और VVPAT के शत प्रतिशत मिलान की मांग की गई थी. 

कोर्ट में चुनाव आयोग ने इन याचिकाओं का विरोध किया. कहा कि इन याचिकाओं से EVM और VVPAT से चुनावी प्रक्रिया पर संदेह पैदा किया जा रहा है. ECI ने तर्क दिया कि VVPAT की पर्चियों को मैन्यूअली गिनने में न केवल मेहनत बल्कि बहुत ज्यादा समय भी लगेगा. साथ ही इस प्रक्रिया में मानवीय गलती और गड़बड़ी करने का खतरा ज्यादा होगा. चुनाव आयोग ने कहा कि EVM से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और याचिकाओं में जो मांग की गई है, वोटर्स के पास ऐसा कोई मौलिक अधिकार नहीं है.

क्या होता है VVPAT?

चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए VVPAT का प्रयोग किया जाता है. इसे EVM से जोड़ा जाता है. वोटर जब EVM पर किसी उम्मीदवार के नाम के सामने का बटन दबाता है तो VVPAT से उस उम्मीदवार के नाम और उसके चुनाव चिन्ह वाली एक पर्ची निकलती है. इससे वोटर ये सत्यापित कर सकता है कि उसका वोट उसी को गया है या नहीं जिसके नाम का बटन उसने EVM पर दबाया था. वोट देने वाले को ये पर्ची 7 सेकेंड तक दिखाई देती है और फिर नीचे VVPAT के ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: EVM-VVPAT पर 5 घंटे सुनवाई के बाद क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?