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कांग्रेस से गठबंधन पर अखिलेश जो बोले, सुन राहुल-प्रियंका भन्ना जाएंगे!

सपा-बसपा गठबंधन 2022 तक चलाना चाहते थे अखिलेश यादव?

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2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले दी लल्लनटॉप को इंटरव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी ने अखिलेश यादव से अलग-अलग मुद्दों पर जरूरी सवाल पूछे. इसी सिलसिले में अखिलेश यादव से 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और अब राष्ट्रीय लोक दल और छोटे-छोटे दलों से गठबंधन पर सवाल पूछे गए. हमारे संपादक ने पूछा,
"कांग्रेस को लेकर इस तरह की अटकलबाजियां चल रही थीं कि कांग्रेस और सपा दोनों ने आखिर तक गठबंधन के लिए दरवाजे खुले रखे. क्या आप इस बारे में कांग्रेस से बात कर रहे थे?"
इस सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा,
"कांग्रेस से अनुभव अच्छा नहीं रहा. इसलिए समाजवादी पार्टी ने पहले ही दिन से कांग्रेस के साथ गठबंधन को मना कर दिया था. 2017 में जो परिणाम हमने सोचे थे, वो नहीं आए. कांग्रेस के पास वो वोट नहीं है, जो ट्रांसफर करा सके. हाल फिलहाल मेरी कांग्रेस के किसी बड़े नेता से बात नहीं हुई."
इसी तरह से अखिलेश यादव से पूछा गया कि इस बार-बार समाजवादी पार्टी ने छोटे-छोटे दलों से जो गठबंधन किया है, उसमें सीटों के बंटवारे को लेकर आंतरिक संघर्ष की खबरें आ रही हैं. आखिर अखिलेश यादव इस आंतरिक संघर्ष को किस तरह से मैनेज कर रहे हैं. जवाब में अखिलेश यादव ने कहा कि किसी भी तरह का आंतरिक संघर्ष नहीं है और सीटों पर बात तय होने के बाद ही गठबंधन हुआ है. सपा-बसपा गठबंधन हमारे संपादक ने अखिलेश यादव से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बारे में भी सवाल किया. अखिलेश यादव से पूछा गया,
"एक सांख्यिकी के विशेषज्ञ ने बड़ी मौजू टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ये जो 2019 का सपा-बसपा गठबंधन था, वो अगर 2022 तक कायम रहता, तो लोकसभा के मुकाबले विधानसभा का वोटिंग पैटर्न अलग होता, चीजें कुछ और होतीं. आपको क्या लगता है कि सपा-बसपा का गठबंधन चल सकता था? क्या ये ज्यादा बेहतर होता?"
जवाब में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा,
"मेरी कोशिश थी कि दोनों दल मिलकर आगे राजनीतिक सफर तय करें. और कोशिश इसलिए भी थी कि कभी इतिहास में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी और डॉक्टर राममनोहर लोहिया जी, दोनों साथ मिलकर काम करना चाहते थे. और एक बार नेता जी ने भी मान्यवर कांशीराम जी से समझौता किया था. सपा-बसपा को लेकर बड़े फैसले हुए थे. फिर मैने भी कोशिश की. तो ये कोशिश हमारी खत्म नहीं हुई है."
इस सवाल पर कि सपा और बसपा के गठबंधन में कहां गड़बड़ी हो गई, अखिलेश यादव ने कहा कि हो सकता है कि बसपा सुप्रीमो ने अपने दल के बारे में सोचा हो. अखिलेश यादव ने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी का लक्ष्य था कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी के सिद्धांत और मान्यवर कांशीराम जी ने जो लड़ाई लड़ी, उसको आगे बढ़ाया जाए. उन्होंने कहा कि जिस समय समाजवादी और अंबेडकरवादी साथ में आ जाएंगे, वैसे ही बीजेपी का उत्तर प्रदेश से सफाया हो जाएगा. इस बार ये होने जा रहा है. इसलिए होने जा रहा है कि क्योंकि लोकतंत्र को खतरा है. बाबा साहेब ने जो संविधान दिया, उसको खतरा है.