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अग्निवीर : वरुण गांधी ने वो ऐलान किया है कि देश के सारे सांसद-विधायक टेंशन में आ जाएं!

अपनी पेंशन छोड़ने की बात करते हुए वरुण गांधी ने सांसदों और विधायकों से क्या कहा?

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सांकेतिक तस्वीर

अग्निवीर योजना (Agniveer Scheme) को लेकर देश में काफी बवाल मचा पड़ा है. इसी बीच भाजपा नेता वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने अग्निवीरों को पेंशन या ग्रेच्युटी न मिलने पर. बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है.  उन्होंने ट्वीट कहा,

अल्पावधि की सेवा करने वाले अग्निवीर पेंशन के हकदार नहीं हैं तो जनप्रतिनिधियों को यह ‘सहूलियत’ क्यों? राष्ट्र रक्षकों को पेंशन का अधिकार नहीं है तो मैं भी खुद की पेंशन छोड़ने को तैयार हूं. क्या हम विधायक/सांसद अपनी पेन्शन छोड़ ये नहीं सुनिश्चित कर सकते कि अग्निवीरों को पेंशन मिले?
 


 दरअसल, भारतीय सेना में भर्ती को लेकर बड़ा बदलाव हुआ है. आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में अब अग्निपथ स्कीम के तहत अग्निवीर की भर्ती होगी. इनकी भर्ती केवल चार साल के लिए होगी. 4 साल बाद अधिकतम 25 परसेंट को स्थायी नौकरी दी जाएगी और 75 फीसद युवाओं को रिलीज कर दिया जाएगा. अग्निवीर के तौर पर सेना की सर्विस करने वालों को कई सुविधाएं सरकार की तरफ से दी जाएंगी, लेकिन साफ तौर पर कहा गया है कि अग्निवीरों को पेंशन का अधिकार नहीं होगा, जैसे कि सेना में भर्ती होने के बाद रिटायर हुए सैनिकों को होता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि अग्निवीर केवल 4 साल के लिए सेना में सेवा देंगे. इसके बाद, भविष्य में उनके लिए कई दरवाजे खुल जाएंगे.

वरुण पहले भी उठा चुके हैं सवाल

कुछ समय पहले वरुण गांधी ने कहा था, 

“जब एक नौजवान का सपना मरता है, तो पूरे देश का सपना मरता है. क्या 4 साल के बाद अग्निवीरों का सम्मानजनक पूनर्वास होगा? मेरा मानना है कि जब तक समाज के आखिरी व्यक्ति की आवाज न सुनी जाए, तब तक कोई भी कानून का निर्माण न हो. किसान जब अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरें तो वो खालिस्तानी, युवा सेना में बहाली को लेकर सड़कों पर आये तो वे जेहादी. देशभक्त युवा मां भारती की सेवा का भाव मन में लिए दधीचि की तरह अपनी हड्डियां गलाता है तब जा कर फ़ौज में नौकरी पाता है. लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन सबका अधिकार.”

 

20 फीसदी खर्च सिर्फ पेंशन पर 

आजतक की खबर के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय का 20 फीसदी से ज्यादा खर्च सिर्फ पेंशन पर होता है. 2022-23 में रक्षा मंत्रालय के लिए 5.25 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जिसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये पेंशन पर खर्च होंगे. यानी रक्षा के कुल बजट का 23% हिस्सा सिर्फ पेंशन पर खर्च हो जाएगा. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि रक्षा के लिए जितना बजट हथियारों की खरीद के लिए रखा जाता है, लगभग उतना ही बजट पेंशन के लिए रखा जाता है. यही वजह है कि अक्सर पेंशन खर्च को कम करने की बात कही जाती रही है. इसलिए इस नई योजना को भी पेंशन खर्च की कटौती से जोड़कर देखा जा रहा है.