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Zomato से खाना मंगाना पड़ेगा महंगा? ज्यादा कमीशन मांग रही है कंपनी

कमीशन को लेकर जोमैटो और रेस्तरां मालिकों के बीच मामला गर्माता जा रहा है.

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जोमैटो डिलीवरी ब्यॉय (फाइल फोटो)

आने वाले दिनों में अपने पसंदीदा रेस्तरां से घर बैठे खाना मंगाने की हसरत आपकी जेब पर बोझ डाल सकती है. इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो ने कई रेस्तरां चेन से अपने कमीशन में 2 फीसदी से लेकर 6 फीसदी तक की बढ़ोतरी की मांग की है. ये रिपोर्ट बताती है कि घाटा बढ़ने, प्रॉफिट में कमी आने और फूड डिलीवरी बिजनेस में ग्राहकों की घटती संख्या के चलते जोमैटो को यह कदम उठाना पड़ रहा है. 

कैसे होती है ZOMATO की कमाई?

आगे बढ़ने से पहले समझते हैं कि जोमैटो जैसे फूड डिलीवरी एग्रीगेटर की कमाई का जरिया क्या होता है. दरअसल, जोमैटो या स्विगी वगैरह की सबसे ज्यादा कमाई रेस्तरां की लिस्टिंग यानी अपने प्लेटफार्म पर रेस्तरां को जोड़ने और विज्ञापनों से होती है. 

यहां विज्ञापन का मतलब है कि जब हम किसी कंपनी के फूड प्लेटफार्म में जाकर रेस्तरां सर्च करते हैं, तो कई रेस्तरां हमें टॉप पर नजर आते हैं क्योंकि फूड डिलीवरी कंपनियां अपने ऐप पर रेस्तरां को शामिल करने और उसके प्रचार प्रसार के एवज में मोटा पैसा लेती हैं. इसी तरह फूड एग्रीगेटर की कमाई का दूसरा बड़ा जरिया है डिलीवरी फीस. यानी रेस्तरां के ऑर्डर को डिलीवर करने के लिए जो पैसा मिलता है. फूड एग्रीगेटर की कमाई का तीसरा बड़ा रास्ता रेस्तरां से लिया जाने वाला मोटा कमीशन है. कमाई का चौथा रास्ता है ग्राहकों से प्रीमियम सब्सक्रिप्शन के नाम पर मिलने वाला पैसा. कुल मिलाकर फूड एग्रीगेटर की कमाई के ये मोटा मोटी चार प्रमुख रास्ते हैं. 

कमीशन को लेकर जोमैटो और रेस्तरां मालिकों के बीच मामला गर्माता जा रहा है. इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस मांग को मानने से रेस्तरां मालिको ने इनकार कर दिया है. कई शहरों में अपने रेस्तरां चलाने वाली कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर ईटी से कहा, 

"यह मामला करीब हफ्तेभर से गर्म है.  हममें से कुछ रेस्तरां मालिकों को बताया गया है कि अगर हम उनकी मांग नहीं मानते हैं, तो उन्हें ऐप से हटा (डीलिस्ट) दिया जाएगा या ज्यादा दूरी के ऑर्डर डिलीवर नहीं किए जाएंगे. इसके अलावा ये भी कहा गया है कि ऐप पर रेस्तरां की विजिबिलिटी को कम किया जा सकता है. इसके बावजूद भी हम लोग कमीशन बढ़ाने के लिए राजी नहीं हैं.” 

इस मामले पर नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के प्रेसिडेंट कबीर सूरी ने कहा, 

"हम अपने रेस्तरां मालिकों की ओर से जोमैटो के साथ इस मुद्दे को उठाएंगे."

फूड टेक कंपनी घोस्ट किचन के फाउंडर करण तन्ना ने कहा, 

"यूनिट-लेवल प्रॉफिटेबिलिटी पर जोमैटो का फोकस अच्छा है, लेकिन यह रेस्तरां के अर्थशास्त्र को बिगाड़ सकता है." 

तन्ना ने कहा, कमीशन में GST समेत अचानक से 5-6 फीसदी का इजाफा काफी होने से स्विगी और ज़ोमैटो के बीच कमीशन में असमानता हो सकती है. अगर जोमैटो कमीशन में धीरे धीरे इजाफे करे तो ही रेस्तरां मालिकों के लिए कुछ राहत की बात होगी. इंडिगो डेली और नील रेस्तरां चलाने वाले इंडिगो हॉस्पिटैलिटी के संस्थापक अनुराग कटियार ने कहा,

“कमीशन बढ़ाने के लिए जोमैटो ने मुंबई, दिल्ली और कोलकाता सहित कई शहरों में विभिन्न रेस्तरां चेन से संपर्क किया है. रेस्तरां उद्योग इस बारे में एग्रीगेटर के साथ इस बारे में जल्द चर्चा करेंगे.”

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है

हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब फूड एग्रीगेटर्स की रेस्तरां मालिकों के साथ इस तरह की बहस हो रही है. पहले भी जोमैटो और स्विगी रेस्तरां पार्टनर्स के साथ इस मुद्दे पर झगड़ते रहे हैं. रेस्तरां मालिक आरोप लगाते रहे हैं कि फूड एग्रीगेटर्स अपने कस्टमर बेस को जोड़ने के लिए भारी छूट की पेशकश करते हैं, जिसके चलते उनका धंधा मंदा पड़ जाता है. इसके बाद फूड एग्रीगेटर्स रेस्तरां मालिकों से ज्यादा कमीशन चार्ज वसूल करना शुरू देते हैं. पहले भी रेस्तरां मालिकों ने ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, तब यह मामला भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पास भी गया था.

अब ये भी समझते हैं कि जोमैटो अचानक से रेस्तरां मालिकों से ज्यादा कमीशन क्यों चाहता है? जोमैटो की तरफ से कमीशन बढ़ाने की मांग को समझने के लिए पहले जोमैटो के कारोबार और बहीखातों को समझना होगा. दरअसल कोरोना काल में ऑनलाइन फूड डिलीवरी में जोमैटो का जलवा था. यानी जोमैटो के ऐप पर बंपर आर्डर मिल रहे थे. लेकिन अब ऑफलाइन रेस्तरां खुलने से कंपनी के प्लेटफार्म पर आर्डर्स की संख्या में कमी आई है. जोमैटो के फूड डिलीवरी कारोबार में बढ़ोतरी दिसंबर तिमाही में काफी धीमी हो गई है. इसके अलावा कंपनी की तरफ से जारी तिमाही वित्तीय नतीजों को देंखे, तो करेंट फाइनेंशियल ईयर की तीसरी तिमाही के दौरान जोमैटो को 347 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जो एक साल पहले दर्ज किए गए 63.2 करोड़ रुपये के नुकसान के मुकाबले काफी ज्यादा है. 

हालांकि, इस दौरान जोमैटो का रेवेन्यू एक साल पहले के मुकाबले 75 फीसदी बढ़कर 1,948 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था.  इस सबके बीच जोमैटो के प्रवक्ता ने कहा, 

'हम रेस्तरां पार्टनर्स के साथ-साथ अपने कमीशन को रिवाइज करते रहते हैं.' 

पिछले दो सालों से, जोमैटो रेस्तरां पार्टनर्स के साथ अपनी व्यवस्था के आधार पर हर डिलीवरी ऑर्डर पर 18 से 25 फीसदी का कमीशन ले रहा है, जबकि अन्य फूड एग्रीगेटर जोमैटो के मुकाबले ज्यादा कमीशन वसूलते हैं. आपको बता दें कि भारत में जोमैटो की शुरुआत दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा ने 2008 में की थी.

वीडियो: लल्लन टेक: जोमैटो ने बंद किया अपना 'Zomato Pro' प्रोग्राम