पथरदेवा ग्राउंड रिपोर्ट: जब-जब ये नेता चुनाव जीतता है, यूपी में बीजेपी सरकार बनाती है
यहां बीजेपी के सूर्य प्रताप शाही के लिए एक वोटर रियासत अली कहते हैं, 'अबकी इनका वनवास खत्म कराना है'.
पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले तोहके खेतवा दिअइबो ओमें फसली उगइबो। बजडा के रोटिया देई-देई नुनवा सोचलीं कि अब त बदली कनुनवा। अब जमीनदरवा के पनही न सहबो, अब ना अकारथ बहे पाई खूनवा। - गोरख पांडे (जिनका जन्म देवरिया में हुआ था)
देवरिया की पथरदेवा सीट. जहां से भाजपा के बड़े नेता सूर्य प्रताप शाही, गठबंधन की ओर से सपा के विधायक शाकिर अली और बसपा के नीरज वर्मा उम्मीदवार हैं. सूर्य प्रताप शाही कहते हैं कि मायावती और मुलायम सिंह यादव ने जनता के हितों को नहीं देखा. हमने उनसे पूछा कि अगर उनकी पार्टी जनता के हितों को देख रही थी, तो फिर उसे यूपी की जनता ने इतने वक्त से क्यों नहीं चुना.
शाही ने कहा कि उन लोगों ने जनता को सुनहरा सपना दिखाया कि हम किसान को 480 रुपए कुंटल गन्ने का दाम देंगे. जब उनसे एक और सुनहरे सपने के बारे में पूछा गया, जो गन्ने से जुड़ा है और जिसे प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने दिखाया था पडरौना की एक चीनी मिल 100 दिन में चालू करवाने का, जो सरकार के ढाई साल बनने के बाद भी चालू नहीं हुई, तो वो कहते हैं,
शराब माफ़िया ने दी धमकी, तो बीजेपी नेता सूर्य प्रताप शाही ने पूरा सिंडीकेट ही उखाड़ फेंका:'ऐसा कोई वादा मोदी जी ने नहीं किया था. मोदी जी ने कहा था कि परिवर्तन लाएंगे, भारत से कांग्रेस को साफ करेंगे.' वो उस सवाल से कन्नी काटते हुए 'अच्छे दिन' की बात करने लगते हैं. ऊपर जिस कविता का एक अंश दिया गया है, उस कविता में और आगे भी इसका जिक्र है कि वोट मांगने के लिए कैसे-कैसे वादे किए जाते हैं.
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पीस पार्टी की सभा और सभा में खाली पड़ी कुर्सियां
तभी मोटरसाइकिलों पर सपा की रैली निकली, जिसमें शायद कई लोग मुस्लिम थे. और अब तक बैठे एक आदमी ने पहले से बोल रहे आदमी को हटाकर माइक थाम लिया. इनका नाम रेहान रजा था. रेहान जोर-जोर से बोलने लगे, 'ये गुलामों की टीम है. अरे ये कलमा पढ़ते हैं! जो जिसका झंडा उठाता है, वही हो जाता है. ये अब्दुर्रहमान घुरहू यादव हो गए हैं. किसी में दम हो, तो आकर मुझसे बहस करे. किसी ने मां का दूध पिया हो, तो आकर मुझसे बात करे, चाहे राजनीति पर, चाहे इस्लाम पर.'
पीस पार्टी की सभा के सामने से निकली सपा की बाइक रैली
महाराणा प्रताप स्कूल की बस गुजरी, तो उसे देखते हुए रेहान रजा ने कहा कि इस बस के जरिए भी समाजवादी पार्टी का प्रचार किया जा रहा है. बस के पीछे सपा का बैनर या स्टीकर लगा हुआ था. रेहान ने कहा, 'ये हिंदुस्तान है, पाकिस्तान नहीं. वहां जाओगे, तो औकात समझ में आ जाएगी. बम फटेगा, मर जाओगे.'
मैं रेहान साब से एक चीज सीखना चाहता हूं. नुक़्ते. उनके नुक़्ते बड़े दुरुस्त थे. मैंने वहीं खड़े बुजुर्ग मीर हसन से पूछा कि चचा, किन्हें वोट देंगे? उन्होंने कहा, 'जो जीत सकता होगा, ये तो जीत नहीं पाएंगे.'
पीस पार्टी की सभा में बोलते रेहान
आगे जाने पर ऐनुल हक मिले, जिन्होंने अपना नाम डॉक्टर ऐनुल हक और फकरुद्दीन मिले. डिग्री-विग्री का तो नहीं पता, लेकिन ऐनुल हक इलाज करते हैं. उन्होंने कहा कि वो भाजपा के सूर्य प्रताप शाही के समर्थक हैं, उनके प्रचार में जाते हैं, उन्हें वोट देंगे. उन्होंने विधायक शाकिर अली के बारे में कहा कि वो सुनते नहीं हैं. कोई मामला पड़ने पर साथ नहीं देते. उनके मुताबिक सपा जिलाध्यक्ष राम इकबाल यादव ने उन लोगों पर फर्जी FIR करवाई हैं, लेकिन मदद मांगने पर विधायक ने कहा कि उनकी नहीं सुनी जा रही.
उन लोगों ने बताया कि मोहर्रम के दिन ताजियों के निकलने के लिए बिजली के तार उतार दिए जाते हैं और ताजियों के निकलने के बाद चढ़ा दिए जाते हैं. पीछे से बिजली काटी गई, एक आदमी चढ़कर तार उतारने लगा, बिजली आ गई और वो जल गया. लाश ऊपर खंभे पर. लोग प्रदर्शन करने लगे.
उसमें राम इकबाल यादव ने कोशिश की कि प्रदर्शन खत्म हो जाए और लाश नीचे उतार ली जाए. बाद में ADM के आने पर लाश उतारी गई. इस मामले में भी सपा नेताओं के रवैये से वो नाराज दिखे. उनसे बात करने के दौरान एक स्थानीय पत्रकार अख्तर शेख आ गए. वहां से हटने के बाद उन्होंने बताया कि वो लोग कुछ निजी वजहों से विधायक से नाराज हैं.
पथरदेवा में सपा की एक सभा
हम सूर्य प्रताप शाही के गांव पकहां पहुंचे. वो बिहार बॉर्डर है. गांव के बाद एक छोटी सी नदी है, जिसे खनवा नाला कहते हैं. वो पुल पार करते ही बिहार शुरू हो जाता है. पुल पर किनारे लेटे एक बुजुर्ग से मैंने पूछा कि वोट किसे देंगे, तो उन्होंने कहा, 'मोदिया क दियाई'.
पकहां में कुछ लोग सपा से जुड़े भी मिले. उन्होंने कहा कि विधायक शाकिर ने काम तो किया है, लेकिन वो क्षेत्र में नजर नहीं आए हैं.
सूर्य प्रताप शाही पिछली 3 बार से हार रहे हैं. पकहां में साइकिल की दुकान वाले रियासत अली कहते हैं, 'शाही जी का माहौल इसलिए है, क्योंकि भगवान रामचन्दरजी का बनवास 14 साल का था और जब अजोध्या में आए, तो सारे देश के लोग दीप जलाने और उसी खुशी में दिवाली मनी. वही समझ लीजिए कि शाही जी आए हैं तो सारे लोगों के शरीर में उमंग है कि दीप जलाना है शाही जी को जिताना है.' शाही 15 साल से हार रहे हैं.
बिजली के सामान की दुकान चलाने वाले मकसूद आलम कहते हैं कि शाही जी के गांव के हैं, तो उन्हें ही वोट देंगे. वो चाहे जाति-धर्म करें, हम इंसानियत को मानते हैं.
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अपनी एंबुलेंस के साथ गिरिजेश शाही
उनकी डेयरी भी है और वो गरीबों की शादी में मुफ्त में पनीर देते हैं. वो भाजपा से टिकट चाहते थे, लेकिन भाजपा से टिकट मिलने में देरी हुई, तो वो बसपा में चले गए. बसपा ने बाद में उनका टिकट काटकर राजीव कुमार सिंह पहाड़ी को दे दिया. भाजपा ने बसपा से आए कमलेश शुक्ला को टिकट दे दिया. लोग कहते हैं कि गिरिजेश शाही भाजपा से लड़ते, तो पक्का जीत जाते, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी वो जीत सकते हैं.
मार्च चल रहा है. गर्मी शुरू हो गई है. इलेक्शन की भी गर्मी है. लेकिन कोल्ड-ड्रिंक बेचने वाली कंपनी कह रही है- इलेक्शन की गर्मी में ठंड रख.
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