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'7 दिन लिव-इन पार्टनर और 7 दिन पत्नी के साथ', रेप का आरोपी इस तरह रिहा हुआ

कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में उसे रेप और जबरन गर्भपात का दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

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Rape case court verdict
कोर्ट ने कहा कि आरोपी को रेप का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. (सांकेतिक फोटो)
8 मई 2024
Updated: 8 मई 2024 22:48 IST
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मध्य प्रदेश में इंदौर की एक कोर्ट ने एक 'समझौते' के बाद शादीशुदा व्यक्ति को रेप के आरोपों से बरी कर दिया. 34 साल के इस व्यक्ति पर अपनी लिव-इन पार्टनर से रेप, जबरन गर्भपात और जान से मारने की धमकी का आरोप था. 25 अप्रैल को कोर्ट में फैसले के दौरान रेप का आरोप लगाने वाली लिव-इन पार्टनर ने सहमति जताई कि आरोपी सात दिन उसके साथ और सात दिन अपनी पत्नी के साथ रहेगा.

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला ने इस व्यक्ति के खिलाफ साल 2021 में शिकायत दर्ज करवाई की थी. एक अधिकारी ने PTI को बताया कि महिला की शिकायत पर 27 जुलाई 2021 को भंवरकुआं पुलिस थाने में FIR दर्ज हुई थी. आरोप लगा कि उस व्यक्ति ने "शादी का झांसा" देकर बार-बार रेप किया, जबरन गर्भपात करवाया और महिला को जान से मारने की धमकी दी.

केस दर्ज होने के बाद 15 अगस्त 2021 को आरोपी को गिरफ्तार किया गया. उसके खिलाफ IPC की धारा-376 (2)(n) (महिला से बार-बार रेप), धारा-313 (महिला की सहमति के बिना उसका गर्भपात कराना) और धारा-506 (धमकी देना) के तहत केस दर्ज हुआ था. करीब 200 दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहने के बाद वो 2 मार्च 2022 को जमानत पर रिहा हुआ.

समझौते के आधार पर कोर्ट ने बरी कर दिया

25 अप्रैल को एडिशनल सेशन्स जज जयदीप सिंह ने उसे इन आरोपों से बरी कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि FIR दर्ज कराने वाली महिला ने आरोपी व्यक्ति के साथ 15 जून 2021 को समझौता किया था. इसमें साफ-साफ लिखा गया था कि आरोपी व्यक्ति पहले से शादीशुदा है और वह एक हफ्ते उसके साथ और एक हफ्ते अपनी पत्नी के साथ रहेगा.

ये भी पढ़ें- 'पत्नी से अप्राकृतिक सेक्स रेप नहीं, सहमति का महत्व नहीं', हाई कोर्ट ने ऐसा कहा है

समझौते में ये भी लिखा गया था कि महिला और आरोपी पिछले दो साल से रिलेशनशिप में हैं. जज ने कहा कि इस समझौते से साफ है कि लिव-इन रिलेशन में रहने के दौरान महिला और आरोपी ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे. आरोपी पहले से शादीशुदा होने के कारण उसके साथ शादी करने की स्थिति में नहीं था.

कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में उसे रेप और जबरन गर्भपात का दोषी नहीं ठहराया जा सकता. ये भी कहा कि जान से मारने की धमकी को लेकर कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है.

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