जेल से बाहर आए अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव पर कितना असर डालेंगे?
Arvind Kejriwal को Supreme Court ने 1 जून तक जेल से बाहर रहने की छूट दी है.
बीच चुनाव CM अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलना आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए ‘संजीवनी’ से कम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण तक जेल से बाहर रहने की छूट दी है. एक जून को चुनाव के सातवें और अंतिम चरण की वोटिंग होगी. अरविंद केजरीवाल को एक जून की शाम या दो जून की सुबह सरेंडर करना होगा. मगर चुनाव के लिहाज से आम आदमी पार्टी के लिए यह सुखद खबर है कि बचे हुए चरणों के दौरान उनकी पार्टी के मुखिया प्रचार की कमान संभाल रहे होंगे.
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अरविंद केजरीवाल की रिहाई AAP, विपक्ष और पूरे चुनाव पर असर डालेगी. हालांकि, उनकी पार्टी और 'INDIA' ब्लॉक इसे कितना भुना पाएगा, ये तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे. मगर कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर एक नज़र डालते हैं.
- सुप्रीम कोर्ट ने ED से सवाल किया कि अरविंद केजरीवाल को चुनाव से ठीक पहले ही क्यों गिरफ्तार किया गया. केस 2022 से चल रहा था, तब से अब तक क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया. या फिर चुनाव के बाद भी गिरफ्तार किया जा सकता था. जनता के सामने कोर्ट की इस दलील को AAP और विपक्ष सरकार के खिलाफ पेश करने की कोशिश करेंगे. कोर्ट ने केजरीवाल को केस के संबंध में कुछ भी बोलने से मना किया है. मगर उनकी पार्टी और दूसरे नेता इस विषय को अच्छे से भुना सकते हैं.
- बीजेपी इस मामले पर कह रही है कि केजरीवाल को सिर्फ कुछ दिनों की जमानत मिली है. उन्हें फिर जेल जाना होगा. केजरीवाल समर्थक इसे अपनी जीत के रूप में पेश कर रहे हैं. दलीलें दोनों तरफ से दी जाएंगी. मगर केंद्र में केजरीवाल ही होंगे. जिसका असर चुनाव में देखने को मिल सकता है.
- AAP के संयोजक के तौर पर बात करें तो अरविंद केजरीवाल के नहीं होने से पार्टी एक तरह के लीडरशिप क्राइसिस से भी गुज़र रही थी. अब चुनाव भर के लिए वो आ गए हैं तो इससे कम से कम पार्टी का चुनावी संकट बहुत हद तक कम होगा. हालांकि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के ना होने का असर प्रचार पर दिख सकता है, लेकिन जमानत पर छूटे पार्टी के दो सबसे बड़े नेताओं - केजरीवाल और संजय सिंह - के होने से ये नकारात्मक असर कम हो सकता है. बीच चुनाव अपने नेताओं की वापसी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरेगी.
- पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने स्तर पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. लेकिन अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी का चेहरा हैं. पार्टी के हर पोस्टर से लेकर हर पॉलिसी तक अरविंद केजरीवाल का ही चेहरा नज़र आता है. बिल्कुल वैसे ही जैसे केंद्र सरकार के पोस्टर बॉय नरेंद्र मोदी हैं. इसलिए जब केजरीवाल लोगों के बीच प्रचार करने जाएंगे, रोड शो करेंगे, रैली करेंगे तो इसका असर चुनाव पर भी पड़ सकता है.
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कितनी सीटों पर केजरीवाल महत्वपूर्ण?केजरीवाल के लिए सबसे अहम है दिल्ली. जहां उनकी सरकार है. चुनावी राजनीति में आने के बाद केजरीवाल की पार्टी को दिल्ली में एक भी लोकसभा सीट नहीं मिली है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई. इस बार उन्होंने 'INDIA' ब्लॉक के तले कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है.
बीजेपी की बात करें तो पिछले दो चुनावों से सभी सीटें उसके ही खाते में गई हैं. मगर इस बार माहौल को भांपते हुए सतारूढ़ पार्टी ने दिल्ली के 7 में से 6 उम्मीदवार बदल दिए. विपक्ष की बात करें तो 3 सीटों पर AAP और चार पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है. लेकिन पूरे चुनाव प्रचार से केजरीवाल का गायब हो जाना उनकी पार्टी के साथ कांग्रेस के लिए भी झटका था. अब केजरीवाल को कोर्ट ने जेल से छोड़ा ही इसलिए है कि वो जनता के बीच अपनी पार्टी की बात रख सकें.
दिल्ली के साथ-साथ पंजाब दूसरा ऐसा राज्य है जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है. केजरीवाल जब जेल से निकल रहे थे तब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी तिहाड़ पहुंचे. तो केजरीवाल के लिए जितनी जरूरी दिल्ली है उतना ही पंजाब भी. लोकसभा चुनाव में पंजाब में AAP की स्थिति दिल्ली से ज्यादा बेहतर है. 2014 में इस पार्टी को पंजाब में 4 सीटें मिली थीं, वहीं 2019 में एक सीट से संतोष करना पड़ा था. दोनों ही चुनाव में भगवंत मान लोकसभा पहुंचे थे. ऐसे में केजरीवाल का फोकस दिल्ली के साथ-साथ पंजाब में भी रहेगा. गौर करने वाली बात ये है कि पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं. और आम आदमी पार्टी सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
दिल्ली और पंजाब के पड़ोसी हरियाणा में भी केजरीवाल की पार्टी इस बार आस लगाए बैठी है. हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं. आम आदमी पार्टी कुरुक्षेत्र सीट पर चुनाव लड़ रही है. बाकी की नौ सीटों कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान में हैं. केजरीवाल चुनाव प्रचार के लिए हरियाणा भी जाएंगे.
वीडियो: अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी शर्त रख दी!