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9 से सफर शुरु होकर 6 पर आ पहुंचा लेकिन रहा 10 के आसपास, कहानी पढ़ी तो पढ़ते रह जाएंगे!

किस देश में कितने डिजिट के मोबाइल नंबर होंगे, वो पहले से तय होता है. तय भले पहले से होता है मगर इसका सीधा संबंध हमारे फ्यूचर से होता है. फ्यूचर ऐसा जो अभी कम से कम 30 साल तो ऐसे ही बना रहेगा. पूरी कैलकुलेशन होती है इसके पीछू. हम आपको पूरा गुणा-गणित बताते हैं.

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India has 10-digit mobile numbers because the government's National Numbering Plan (NNP) assumes that every citizen will have a mobile phone
भविष्य का ख्याल है बाबू भईया. (सांकेतिक फोटो)
5 फ़रवरी 2024
Updated: 5 फ़रवरी 2024 11:39 IST
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बातचीत शुरु हुई थी 9 से और अब 6 तक आ पहुंची है. लेकिन फिर भी अंकों का फेरा 10 से बढ़कर 11 नहीं हुआ. 10 से घटकर 9 भी नहीं हुआ. बूझो तो जानें. आप कहेंगे- हम क्यों बुझें? चलिए, कोई नहीं. हम बताते हैं. हम बात कर रहे हैं भारत में उपलब्ध मोबाइल नंबर की. इंडिया में मोबाइल नंबर की सीरीज 9 से स्टार्ट हुई और 6 तक आ पहुंची है. लेकिन डिजिट आज भी 10 ही हैं. अब ऐसा यूं ही तो नहीं होगा. मतलब इंडिया में 10 डिजिट और अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया में कुछ और.

इसके पीछे बड़ा सा कारण है. किस देश में कितने डिजिट के मोबाइल नंबर होंगे, वो पहले से तय होता है. तय भले पहले से होता है मगर इसका सीधा संबंध हमारे फ्यूचर से होता है. फ्यूचर ऐसा, जो अभी कम से कम 30 साल तो ऐसे ही बना रहेगा. पूरी कैलकुलेशन होती है इसके पीछे. हम आपको पूरा गुणा-गणित बताते हैं.

सब गणित का खेल है!

पहले सरल सी गणित से समझते हैं. 2 को 2 से गुणा करेंगे तो 4 आएगा. मतलब, अधिकतम वैल्यू 4 होगी. 6 से करेंगे तो 12 और 8 से करेंगे तो 16. ऐसे में अगर मोबाइल नंबर सिर्फ 2 डिजिट का होगा सीरीज को अगर 9 से लेकर 0 के बीच रखा जाता मतलब जैसे अभी 9 से 8 हुआ फिर 7 और अब 6 तो सिर्फ 100 मोबाइल नंबर का कॉम्बिनेशन बन पाता. आप के मन में सवाल होगा कि 2 डिजिट तो छोटा नंबर है. 3 या 4 या 5 क्यों नहीं? तो जनाब 5 क्या सीधे 9 डिजिट का गणित जान लीजिए.

अगर मोबाइल नंबर 9 डिजिट का भी होता तो भी 100 करोड़ यानी 1 बिलियन से ज्यादा कॉम्बिनेशन नहीं बन पाते. अब जरा देश की जनसंख्या पर गौर फरमायें. आज की तारीख में 1.4 बिलियन बोले तो 140 करोड़. 1 बिलियन तो हम साल 2000 में हो गए थे. मतलब देश में पहला मोबाइल कॉल होने के पांच साल के अंदर ही. विषय से नहीं भटक रहे, लेकिन सिर्फ आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि देश में पहला मोबाइल कॉल 31 जुलाई 1995 को तब के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने कोलकाता से तब के केन्द्रीय संचार मंत्री सुखराम को दिल्ली में लगाया था.

वापस आते हैं 9 डिजिट पर. मतलब अगर 9 डिजिट का मोबाइल नंबर होता तो साल 2000 में ही नेटवर्क जाम हो जाता. मतलब, पब्लिक के लिए मोबाइल नंबर बचते ही नहीं. अब आपके मन में पक्का सवाल आया होगा कि ऐसा तो उसी कंडीशन में हो सकता है जब देश के हर नागरिक के पास एक मोबाइल नंबर हो. क्या बात है, आप तो चाचा चौधरी हो. मतलब आपका दिमाग कंप्यूटर से तेज चलता है. आप एकदम सौ टका खरी बात कह रहे.

सांकेतिक इमेज

यही है असली बेस किसी देश में मोबाइल नंबर के डिजिट का. सरकार ये मानकर चलती है कि देश के हर नागरिक के पास एक मोबाइल नंबर होगा. साल 2000 में भले मोबाइल देश में अपने शैशव काल में था, मगर साल 2023 में ये अपनी जवानी पर है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मुताबिक साल 2022 में ही देश में 1.2 बिलियन मतलब 120 करोड़ एक्टिव मोबाइल यूजर थे. असल मोबाइल नंबर तो इससे ज्यादा ही होंगे क्योंकि कई लोग दो मोबाइल नंबर रखते हैं. इसके साथ बंद होने वाले नंबर भी करोड़ों में होते हैं. तो फिर 9 डिजिट के मोबाइल नंबर से अपना काम कैसे चलता?

इसलिए 10 डिजिट का मोबाइल नंबर पहले दिन से रखा गया. इसके सारे गुणा-गणित कर लें तो 1000 करोड़ कॉम्बिनेशन का जुगाड़ है. मतलब आज के एक्टिव मोबाइल यूजर का मोटा-माटी 10 गुणा. और आजकल तो सभी के पास मोबाइल है तो नए नंबर उतनी तेजी से नहीं भरते. आसान भाषा मे कहें तो आज से आगे के 30 साल का जुगाड़ है अपने पास.

फिर क्या टेंशन नक्को. खूब बतियाओ. काहे से बतियाने से हर समस्या का हल मिल जाता है. मौन रहने से नहीं.     

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