लाल सागर में ऐसा क्या हुआ था, जो आधी दुनिया में इंटरनेट बंद होने की कगार पर आ गया?
हमारे देश में भी इंटरनेट बंद होने वाला था!

घर के किसी कोने में, टीवी यूनिट के ऊपर, टेबल के नीचे एक डिवाइस अक्सर दिख जाता है. वाईफाई (Wi-Fi) राउटर कहते हैं इसको. घर से लेकर ऑफिस तक इंटरनेट, इसी चीज से हमें मिलता है. खुदा ना खास्ता, अगर ये खराब हो जाए तो हम संबंधित कंपनी को बोलकर चेंज करा लेते हैं. कई बार तो हम खुद भी नया राउटर लगा लेते हैं. ये तो हुई आपके घर की बात.
लेकिन राउटर भैया तो बस एक माध्यम हैं. असल में तो इंटरनेट आता है समुद्र में फैली हुई हजारों किलोमीटर लंबी केबल से. सोचकर देखिए, अगर ये केबल किसी वजह से टूट जाए तो क्या होगा? आपके घर का इंटरनेट बंद हो जाएगा. ना केवल आपके घर का, बल्कि आधी दुनिया का कार्यक्रम बिगड़ जाएगा. आपके मन में सवाल होगा कि अभी इन सब बातों का जिक्र क्यों हो रहा है? सबकुछ बताते हैं.
दरअसल, समुद्र में हजारों किलोमीटर लंबी केबल का जाल बिछा हुआ है. ये केबल्स पूरी दुनिया में हाई स्पीड वाले इंटरनेट के लिए सबसे जरूरी हैं. ऐसी ही एक लाइन है एशिया-अफ्रीका-यूरोप-1 (AAE-1), जो समुंदर के अंदर लगभग 25,000 किलोमीटर तय करती है. लाइन कितनी लंबी है, उसका अंदाजा इसी बात से लग जाएगा कि ये लाइन मलेशिया से लेकर फ्रांस तक और साउथ चाइना सी से लेकर यूरोप को कवर करती है. दुनिया भर के दर्जनों देशों को सांप जैसी इसी केबल से इंटरनेट मिलता है. जिसमें हमारा देश भी शामिल है.
टूट गई थी केबलइस केबल (AAE-1) का एक बड़ा हिस्सा मिस्र से होकर गुजरता है, जिसका कुछ हिस्सा कुछ महीनों पहले टूट गया था. वैसे कहने को तो ये एक हिस्सा था, लेकिन इसका दायरा कई किलोमीटर का था. अब इससे हुआ ये कि लाखों लोगों की जिंदगी में इंटरनेट का ब्लैक आउट हो गया था. दुनिया के सात देश बाकी दुनिया से अलग-थलग हो गए थे. हालत कितनी खराब थी, वो इसी बात से समझ आता है इथियोपिया और सोमालिया जैसे कई देशों में 90 प्रतिशत इंटरनेट सेवा कई घंटों तक बंद रही. एमेजॉन, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों की क्लाउड सर्विस पर भी गहरा असर रहा. अगर बात हमारे देश की करें तो कह सकते हैं कि हम किस्मत वाले निकले.
वैसे तो कुछ ही घंटों में सर्विस को फिर से बहाल कर दिया गया, लेकिन ये घटना अपने पीछे एक सवाल छोड़ गई. सवाल ये कि आखिर ये हुआ कैसे. केबल आखिर टूटी कैसे, क्योंकि इसको बिछाते समय वो सारी तकनीक इस्तेमाल होती है जो एक पनडुब्बी के लिए जरूरी है. मतलब सेफ़्टी के गोल्ड स्टैंडर्ड. महीनों की जांच के बाद कुछ नहीं मिला और अब इसके लिए लाल सागर मे हुए किसी अंदरूनी बदलाव को जिम्मेदार माना जा रहा है.
समुद्र के अंदर केबल का ये जाल इंटरनेट की बैकबोन है, इसलिए दुनिया भर के एक्सपर्ट को एक चिंता खाए जा रही. अगर भविष्य में ऐसा कुछ हुआ तो क्या होगा? न्यूयॉर्क से लेकर लंदन और ऑस्ट्रेलिया से लेकर लॉस एंजेलिस तक इंटरनेट की गरारी अटक सकती है. इसलिए अगली बार जब बहुत देर के वाईफाई नहीं चले तो राउटर से पहले जरा दरिया का हाल -चाल ले लेना.
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