The Lallantop
Advertisement

बिना नेटवर्क होंगे कॉल और SMS, कैसे काम करेगी ये टेक्नोलॉजी?

iPhone के लाने से पहले एंड्रॉयड ने इस फीचर का ऐलान कर दिया.

Advertisement
what is satellite connectivity and how its work iphone 14
मुसीबत में हेल्प मिलेगी अब. (image-pexels and apple)
19 सितंबर 2022 (Updated: 19 सितंबर 2022, 01:06 IST)
Updated: 19 सितंबर 2022 01:06 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पिछले साल आईफोन 13 (iPhone 13) के लॉन्च से पहले जिस एक फीचर की चर्चा सबसे ज्यादा हुई. आईफोन 14 (iPhone 14) लॉन्च होता, उसके ठीक पहले एंड्रॉयड ने इस फीचर को अपने फोन में देने का डंका पीट दिया. आखिरकार ऐप्पल (Apple) ने इस फीचर को अपने नए आईफोन के साथ उतार ही दिया. हम बात कर रहे हैं इमरजेंसी एसओएस (Emergency SOS) सर्विस की. अगर आप मुसीबत में हैं और आपके आईफोन में नेटवर्क भी नहीं है, तो चिंता की कोई बात नहीं. 

नया फीचर SMS भेजकर आपको सैटेलाइट से कनेक्ट करेगा और मुसीबत में आपको हेल्प मिल सकेगी. लेकिन आपने कभी सोचा कि ये होगा कैसे. जब नेटवर्क ही नहीं तब एसएमएस जाएगा कैसे? सब फ्री फोकट में होने वाला है या फिर इसके पैसे लगेंगे? सौ टके का सवाल, इंडिया में भी मिलेगी क्या ये सर्विस? चलिए समझने की कोशिश करते हैं. 

सैटेलाइट कम्युनिकेशन है क्या?

आईफोन 14 सीरीज (iPhone 14 series) एक विशेष हार्डवेयर के साथ आती है, जो आकाश में उपग्रहों के साथ संचार करने में सक्षम है. ये सारे उपग्रह या सैटेलाइट लो ऑर्बिट में होते हैं. मतलब धरती के आसपास चक्कर लगाते हैं. Apple ने Globalstar नाम की कंपनी के साथ साझेदारी की है, जिसके 48 लो ऑर्बिट सैटेलाइट आसमान में घूमते रहते हैं. हालांकि, ये सैटेलाइट पूरी धरती को कवर करने में सक्षम हैं, लेकिन अभी हाल फिलहाल के लिए ये सर्विस अमेरिका और कनाडा के यूजर्स के लिए ही उपलब्ध होगी. इसके पीछे दुनिया जहान के देशों के अपने-अपने नियम हैं. 

वैसे अमेरिका में भी सभी जगह ये सर्विस नहीं मिलने वाली. जैसे नॉर्थ अमेरिका के कुछ हिस्से. ऐसे ही कनाडा में नॉर्थ कनाडा और अलास्का में शायद सर्विस नहीं मिले. इस साल नवंबर से मिलने वाली ये सर्विस पहले दो सालों के लिए मुफ़्त रहेगी. नए आईफोन में इसके लिए विशेष किस्म के एन्टीना लगाए गए हैं, जो Apple के मुताबिक सबसे मुश्किल का काम था. Apple का कहना है कि उसे सैटेलाइट के माध्यम से आपातकालीन SOS के लिए एक स्पेशल एल्गोरिद्म विकसित करनी पड़ी, जो SMS को उनके मूल आकार के एक तिहाई तक सिकोड़ देता है. 

इसके बाद भी इसको पहुंचने में कुछ सेकंड लग सकते हैं. कंपनी ने इसके लिए पहले से कुछ टेम्पलेट्स बनाए हैं, जिससे बात करने में आसानी हो. उदाहरण के लिए, क्या आप मुसीबत में हैं? आप कितने लोग हैं आदि. एक बेहद जरूरी बात. इस फीचर के लिए जरूरी है कि आप खुले मैदान में हों. बेसमेंट में, अंडरग्राउन्ड या कोई भी ऐसी जगह, जहां आप खुला आसमान नहीं देख सकते, वहां ये फीचर काम नहीं करने वाला.  

इमरजेंसी एसओएस (image-Apple)
आईफोन में काम कैसे करेगा?

आसमान में सैकड़ों किलोमीटर दूर सैटेलाइट से तालमेल करना कोई आसान भी नहीं है. ये बात कंपनी को भी पता है, इसलिए एक विशेष किस्म का इंटरफेस बनाया गया है. फाइन्ड माई आईफोन जैसा. अमेरिका में हैं तो 911 डायल करने पर ये इंटरफेस ओपन होगा. हां, शर्त है कि फोन में नेटवर्क नहीं होना चाहिए. साइड बटन होल्ड करके भी स्क्रीन पॉप अप की जा सकती है. स्क्रीन पर सबसे नजदीकी सैटेलाइट नजर आएगा. एक बार जुड़ जाने पर आईफोन आपकी लोकेशन, एलिवेशन, मेडिकल डिटेल्स शेयर करेगा जो सबसे नजदीकी आपातकालीन सेवा के सेंटर पर जाएंगे. सबसे कमाल बात. फर्ज करो SMS नहीं पहुचा तो Apple आपके बिहाफ पर आपातकालीन सेवा को फोन भी घुमा देगा.

फीचर तो बहुत काम का दिख रहा है, लेकिन दो साल के बाद पैसे कितने लगेंगे वो सबसे बड़ा मुद्दा है. दूसरा क्या पुराने स्मार्टफोन इस फीचर का इस्तेमाल कर पाएंगे? इसका जवाब अभी नहीं मिला है.   

वीडियो: 'बी रियल ऐप' क्या है जिसने इंस्टाग्राम को हिला दिया?

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement