साफ-सुथरे Android का जमाना गया, Nothing और Motorola भी फोन में ठूंस दिए बकवास ऐप्स!
लंदन बेस्ड टेक कंपनी Nothing ने लेटेस्ट अपडेट के साथ अपने बजट स्मार्टफोन में third-party partner apps ठूंस दिए हैं. मोटोरोला के स्मार्टफोन में भी पिछले एक महीने से ऐसा ही हो रहा है. माने अब बजट में स्टॉक एंड्रॉयड का कोई जुगाड़ नहीं है. आप क्या करेंगे. बताते हैं लेकिन BOM (Bill of Materials) फोड़ने के बाद.

अगर आप बजट में Stock Android वाला स्मार्टफोन तलाश रहे तो आपके लिए बुरी खबर है. बजट तो छोड़िए , अगर आप ठीक-ठाक पैसा लगाकर भी ऐसा कोई स्मार्टफोन सर्च करेंगे तो अब नहीं मिलेगा. काहे से स्टॉक एंड्रॉयड बनाने वाली दो कंपनियों ने भी अब उल्टी करने वाला ऐप बोले तो Bloatware अपने फोन में ठूंस दिए हैं. बुक्का फाड़कर स्टॉक एंड्रॉयड करने वाली इन दो कंपनियों ने एक महीने में बिना बताए अपने स्मार्टफोन में थर्ड पार्टी ऐप्स घुसेड़ दिए. माने जो अब आपको साफ-सुथरा एंड्रॉयड यूजर इंटरफेस चाहिए तो बड़ी जेब ढीली करना पड़ेगी.
लंदन बेस्ड टेक कंपनी Nothing ने लेटेस्ट अपडेट के साथ अपने बजट स्मार्टफोन में third-party partner apps ठूंस दिए हैं. मोटोरोला के स्मार्टफोन में भी पिछले एक महीने से ऐसा ही हो रहा है. आप क्या करेंगे. बताते हैं लेकिन BOM (Bill of Materials) फोड़ने के बाद.
क्या है स्टॉक एंड्रॉयडएक शब्द में कहें तो गूगल पिक्सल स्मार्टफोन. पिक्सल फोन में पहले दिन से ही सिर्फ गूगल के ऐप्स और कुछ जरूरी सिस्टम को चलाने वाले ऐप्स ही आते हैं. माने इंस्टाग्राम से लेकर WhatsApp जैसे लोकप्रिय ऐप्स भी आपको प्ले स्टोर से ही डाउनलोड करना पड़ेंगे. पेमेंट ऐप से लेकर बैंकिंग ऐप भी पहले से फोन में नहीं होते हैं. यूजर इंटरफेस एकदम साफ-सुथरा होता है.
थर्ड पार्टी ऐप्स मसलन गेम से लेकर वॉलपेपर ऐप्स, रैम मैनजमेंट ऐप्स और बैटरी ऐप्स के लिए पिक्सल फोन में कोई जगह नहीं होती. हां आपने डाउनलोड करना तो अलग बात. सैमसंग के फ्लैग्शिप डिवाइस और कुछ साल पहले तक OnePlus के फोन भी स्टॉक एंड्रॉयड के साथ ही आते थे. हालांकि OnePlus भी थर्ड पार्टी ऐप्स के साथ आता है तो सैमसंग के बजट फोन में भी मामला ऐसा ही है. बात करें Vivo, Oppo, Xiaomi, Redmi, Realme, Tecno और Infinix की तो इनकी दुकान थर्ड पार्टी ऐप्स के दम पर ही चल रही है.
इनके यूजर इंटरफेस को देखकर लगेगा कि फालतू ऐप्स के बीच में कहीं फोन फंसा हुआ है. मगर ये सारी कंपनियों ने पहले से बताया हुआ है कि भईया हम ऐसा करते हैं. मतलब यूजर के साथ ठगी नहीं की. अब बात मोटोरोला और Nothing की.
Nothing ने निराश कियानथिंग की बात करना पहले इसलिए जरूरी है क्योंकि इस कंपनी ने तो जन्म ही स्टॉक एंड्रॉयड के नाम पर लिया था. महज कुछ साल पुरानी कंपनी के सीईओ Carl Pei फोन में थर्ड पार्टी ऐस्प नहीं रखने की वकालत करते रहे हैं. दूसरी कंपनियों को नीचा दिखाने का कोई मौका भी उन्होंने नहीं छोड़ा. कंपनी ने अपने सभी फोन में ऐसा स्टॉक एंड्रॉयड दिया कि एक पल को गूगल भी डर गया होगा.
मगर अब इनके बजट फोन में third-party partner apps मिलेंगे. मतलब जो आपके पास Nothing Phone 2a, (3a) और (3a) Pro या CMF डिवाइस हैं तो अपडेट के बाद इसमें बेकार के ऐप्स मिलेंगे ही. कुछ दिनों पहले आए अपडेट के बाद फोन को आप जब भी अनलॉक करेंगे तो एक नया वॉलपेपर नजर आएगा.
बाहर से ये कूल लगेगा मगर जैसे जी आप इसके ऊपर टैप करेंगे तो वो न्यूज आर्टिकल में बदल जाएगा. कंपनी ने इसके लिए Boyuan नाम की कंपनी से हाथ मिलाया है. ये कुछ glance जैसा ही है जो दूसरे एंड्रॉयड डिवाइस में मिलता है. इसे glance स्क्रीन कहते हैं. अब बताने की जरूरत नहीं कि ऐसा करने के लिए वो कंपनियों को भुगतान करते होंगे. अभी तो कंपनी ने इस फीचर को बंद करने का बटन दिया है मगर फ्यूचर का क्या पता. कंपनी कई और ऐसे ऐप्स बजट फोन में लगाने वाली है.
मोटोरोला की बात नहीं करें तो अच्छा क्योंकि इनके डिवाइस में तमाम दिक्कतें हैं. पुराने चिपसेट से लेकर बेकार कैमरा तक. सॉफ्टवेयर अपडेट का तो पूछिए ही मत. कब आएगा ये कंपनी को भी पता नहीं होता. बचा था स्टॉक एंड्रॉयड जिसे अब खत्म कर दिया है. अजीब-अजीब नाम वाले गेम का फ़ोल्डर मिलता है.
एक यूजर के तौर पर ये उसके साथ ठगी जैसा है क्योंकि आपके फोन तो हमने खरीदे ही स्टॉक एंड्रॉयड के लिए हैं. उसी फीचर वाले दूसरे फोन के मुकाबले ज्यादा पैसा भी दिया है. मगर आपने अब बेकार ऐप्स ठूंस दिए. इतना जान लीजिए कि अब आपको स्टॉक एंड्रॉयड के लिए गूगल पिक्सल का रुख करना होगा या फिर सैमसंग के फ्लैग्शिप डिवाइस का. वैसे कंपनियां अपने फोन में ऐप्स क्यों घुसेड़ती हैं, उसका तर्क भी जान ही लीजिए.
BOM(Bill of Materials) का चक्करस्मार्टफोन कोई एक प्रोडक्ट से बना हुआ डिवाइस तो है नहीं. मतलब चिप से लेकर प्रोसेसर, कैमरा और एंड्रॉयड के लिए भी हर स्मार्टफोन मेकर को पैसा देना होता है. रिसर्च से लेकर डिजाइन और सप्लाई पर भी पैसा खर्च होता है. इसके बाद कंपनी को डिवाइस की कीमत भी कम रखना होती है. मतलब जो आप एप्पल नहीं हैं तो आपको अपने डिवाइस पर कम प्रॉफ़िट रखना ही होता है. जैसे एक बार Carl Pei ने बताया था कि वो 30 हजार में फोन बनाकर 36 हजार में बेंच रहे.
अब मुनाफा कम है तो जाहिर है कि कहीं और से भरपाई होगी. इसी के लिए थर्ड पार्टी ऐप्स का सहारा लिया जाता है. ऐसे ऐप्स कंपनियों को पैसे देते हैं. डाउनलोड से लेकर इस्तेमाल पर पैसा. उदाहरण के लिए glance के आज 40 लाख यूजर हैं. जबकि असल में किसी ने इस ऐप को खुद से डाउनलोड नहीं किया होगा.
तो लबो-लुबाव ये कि अब बजट में स्टॉक एंड्रॉयड नहीं मिलने वाला. वैसे देसी लावा है जरूर मगर उनके डिवाइस में काफी कुछ बदलने की तत्काल जरूरत है.
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