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स्मार्टफोन लेना है तो इसी वक्त जाकर ले लो, कीमतें आसमान फाड़ने वाली हैं!

ऑनलाइन मार्केट में मेमोरी कार्ड के दामों पर (Smartphones going to be expensive) नजर डालिए. 128 जीबी वाले SanDisk के कार्ड की कीमत ऐमजॉन पर 1599 रुपये है. सैमसंग का कार्ड 1909 रुपये का है. 256 और 512 जीबी का दाम तो पूछिए ही मत. सोचिए यह तो मेमोरी कार्ड है. असल वाली मेमोरी मतलब रैम (RAM) का क्या भाव होगा?

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Smartphones going to be expensive as memory chip prices surge
स्मार्टफोन महंगे होने वाले हैं
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सूर्यकांत मिश्रा
15 दिसंबर 2025 (Updated: 15 दिसंबर 2025, 05:49 PM IST)
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स्मार्टफोन महंगे होने वाले हैं. मतलब भयंकर महंगे. मुमकिन है कि जब तक यह खबर आप तक पहुंचे तब तक कुछ कंपनियां अपने स्मार्टफोन के दाम (Smartphones going to be expensive) बढ़ा चुकी हों. वैसे दुखी करने वाली बात यहां तक नहीं है. अगले साल हो सकता है कि 16 जीबी रैम वाले स्मार्टफोन मार्केट में उपलब्ध ही न हों. यही नहीं, अभी और पढ़िए. पूरे चांस हैं कि मार्केट में 4 जीबी रैम वाले स्मार्टफोन फिर से नजर आने लगें, वो भी 6 और 8 जीबी रैम वाले डिवाइस के दाम पर. ऐसा क्यों होगा?

इसके लिए जरा आप ऑनलाइन मार्केट में मेमोरी कार्ड के दामों पर नजर डालिए. 128 जीबी वाले SanDisk के कार्ड की कीमत ऐमजॉन पर 1599 रुपये है. सैमसंग का कार्ड 1909 रुपये का है. 256 और 512 जीबी का दाम तो पूछिए ही मत. यहीं गरारी फंस गई है.

रैम रगड़ने वाली है

मेमोरी कार्ड शायद आप इस्तेमाल भी नहीं करते होंगे, क्योंकि फोन में ही पर्याप्त स्टोरेज आता है. लेकिन मेमोरी कार्ड के दामों में आग लगी हुई है. महज कुछ महीनों में इनके दाम पांच गुना तक बढ़ गए हैं. सोचिए यह तो मेमोरी कार्ड है. असल वाली मेमोरी मतलब रैम (RAM) का क्या हाल होगा? 

हाल बेहाल है. मार्केट में RAM इन्फ्लेशन आई हुई है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 512GB मेमोरी के दाम में पिछले कुछ महीनों में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अकेले सैमसंग ने मेमोरी चिप का दाम 60 फीसदी तक बढ़ा दिया है. 

कंपनियों ने रैम का प्रोडक्शन कम कर दिया क्या?

नहीं जनाब, प्रोडक्शन कम नहीं हुआ. बल्कि खपत बढ़ गई है. रैम को सुरसा की तरह निगलने वाले का नाम है AI. रैम की डिमांड पिछले 18 महीनों में तीन गुना हो गई है. दरअसल AI का पूरा गेम ही रैम बोले तो मेमोरी पर टिका हुआ है.

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रैम की 'राम कहानी'

डिवाइस का वो पार्ट जिसका काम चीजों को याद रखना है. हमारे शरीर के दिमाग जैसा. डिवाइस का दिल है प्रोसेसर और मेमोरी है रैम. इसी प्रोसेसर से डेटा कितनी तेजी से ट्रांसफर होगा, वही रैम का काम है. इस स्पीड को clock rate कहते हैं. क्लॉक रेट इसलिए क्योंकि खेला सेकंड में ही होता है. 0 से 1 सेकंड के बीच डेटा की स्पीड जितनी ज्यादा, रैम उतनी तगड़ी. 

मार्केट में दो तरह की रैम चलती हैं. एक DDR और एक LPDDR. Double Data Rate रैम 90 के दशक से चलन में है. तब के दौर में 1 सेकंड में 1Mbps डेटा ही ट्रांसफर होता था. मगर जैसे-जैसे प्रोसेसर की ताकत बढ़ी, वैसे ही DDR की स्पीड भी. मसलन DDR2, DDR3, DDR4 और DDR5. आज तो सबसे ज्यादा चलन वाले DDR4 से 3200Mbps डेटा इधर से उधर हो जाता है. बोले तो एक सेकंड में 4 फिल्मों जितना डेटा.

ये भी पढ़ें: मोबाइल की स्पीड बढ़ानी है? RAM में LPDDR और DDR का मतलब जान लीजिए, क्लॉक स्पीड बढ़ जाएगी

Low Power Double Data Rate. मोबाइल में भी इनका क्रम MDDR, LPDDR2, LPDDR3, LPDDR4, LPDDR5 रहा. LPDDR5 आज के लेटेस्ट फ़्लैगशिप डिवाइस में लगी होती है. नाम से ही पता चल जाता है कि ये कम बैटरी खाती होगी. हालांकि ये फिक्स होती है और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है. साइज तो इनका होता ही नहीं.

यही रैम AI की असली ताकत है. हर AI मॉडल को सीखने और सिखाने के लिए मेमोरी की जरूरत होती है. फिर भले वो GPT हो या LLM (large language model). AI एक-एक मॉडल करोड़ों में नहीं बल्कि अरबों में जानकारी सेव करके चलता है. जैसे कि टेक्स्ट और तस्वीरें. यही सब जानकारी रैम में सेव होती है ताकि जरूरत पड़ने पर CPU और GPU इसका इस्तेमाल कर सकें.

जाहिर सी बात है कि डेटा कंपनियों को रैम की जरूरत पड़ रही है. इस समय हर टेक कंपनी का फोकस AI है. हर कंपनी बड़े-बड़े डेटा सेंटर बना रही है. उदाहरण के लिए, गूगल इंडिया में 88 हजार करोड़ रुपये से नया डेटा सेंटर बनाने जा रही है. इसमें लगे होंगे सुपर कंप्यूटर जो 1 गीगावाट का डेटा स्टोर करेंगे. 1 गीगावाट मतलब 1 अरब नंबर का स्टोरेज.

माइक्रोसॉफ्ट से लेकर, OpenAI, Apple, Meta भी दुनिया जहान में ऐसे डेटा सेंटर बना रही हैं. AI के लिए ग्राफिक कार्ड बनाने वाली कंपनी NVIDIA तो है ही. आजकल के लैपटॉप भी AI पावर वाले हैं तो उधर भी रैम चाहिए. बोले तो सबको रैम मांगता. यही डिमांड है जो पूरी नहीं हो रही है. ऊपर से रही सही कसर तब पूरी हो गई जब रैम बनाने वाली बड़ी कंपनी Micron ने अपना धंधा समेट लिया.

इसका असर बाजार पर पड़ा है. स्मार्टफोन के लिए रैम की कमी हो गई है. रैम उनको महंगी मिल रही है. इसके चलते स्मार्टफोन कंपनियां दाम बढ़ाने वाली हैं. बड़ी रैम वाले फोन कम हो सकते हैं. वैसे इतनी ज्यादा रैम की जरूरत भी नहीं होती है. खैर सैमसंग A सीरीज से और Vivo अपनी T सीरीज से इसकी स्टार्टिंग करेगा. iPhone 17 ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर आउट ऑफ स्टॉक है. समझ लीजिए. नया फोन लेना है तो अभी खरीद लीजिए. फिर मत कहना, बताया नहीं.    

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