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चांदी की कीमत सैमसंग बढ़ा रही? रील देखी है तो ये जरूर पढ़ लें

सैमसंग Solid-State Batteries बनाने पर फोकस कर रही है. कंपनी जो बैटरी बना रही है वो कथित तौर पर एक बार में 900 किलोमीटर चलेगी और सिर्फ 9 मिनट में फुल चार्ज हो जाएगी. दावा किया जा रहा है कि इस बैटरी को बनाने में '1 किलो चांदी' (Silver Price) लगेगी.

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सिल्वर के पीछे सैमसंग
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सूर्यकांत मिश्रा
29 दिसंबर 2025 (Published: 05:22 PM IST)
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'आपकी तो चांदी है.' आम बोलचाल में यह बात तब कही जाती है जब किसी की मौज चल रही हो. भले उसके पास चांदी (Silver Price) नहीं हो. लेकिन आजकल जिसके पास चांदी है उसके लिए यह बात बरोबर से कही जा सकती है. क्योंकि जिसके पास चांदी है, उसकी वाकई में ‘चांदी’ है. चांदी ने बाजार में आग लगा रखी है. जितनी चांदी की डिमांड है, सप्लाई उससे कम है. यह सब तो आपको भी पता होगा ही. मगर क्या आपको यह पता है कि चांदी की इस भारी डिमांड के पीछू Samsung का हाथ है? हां जी, सैमसंग. टेक दिग्गज सैमसंग! बहुत बड़ा झोल है. इसलिए पूरी स्टोरी पढ़ना अनिवार्य है.

सैमसंग चांदी को लील रही?

सैमसंग पहले से ही बैटरी बनाती है. मगर अब वो Solid-State Batteries बनाने पर फोकस कर रही है. क्योंकि दुनिया अभी EV-EV खेल रही है. नई किस्म की बैटरी की क्षमता परंपरागत Li-on बैटरी से ज्यादा होती है और वो चार्ज भी जल्दी होती हैं. सैमसंग जो बैटरी बना रहा है वो कथित तौर पर एक बार में 900 किलोमीटर चलेगी और सिर्फ 9 मिनट में फुल चार्ज हो जाएगी.

अब दावा ये है कि इस बैटरी को बनाने में 1 किलो चांदी लगेगी! सैमसंग इस बैटरी के दम पर मार्केट का 20 फीसदी हिस्सा खाने वाली है. कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से कहा जा रहा है कि यह वाली बैटरी सालभर में बनने वाली चांदी को लील जाएगी. सैमसंग ने इसके लिए Mexico की Silver Storm के साथ साझेदारी भी की है. दावा है कि यही वजह है कि चांदी मिल नहीं रही और उसके दाम रॉकेट हो रहे हैं.

सच क्या है?

सच ये है कि ये सब रीलबाजी है. हमने ऊपर वही सब बताया जो रीलबाज कह रहे हैं. असल बात अब बताते हैं.

हकीकत इससे कोसों दूर है. सैमसंग Solid-State Batteries बनाने पर काम जरूर कर रही है, मगर अभी सब कुछ टेस्टिंग लेवल पर है. बैटरी की रेंज क्या होगी, चार्ज में कितना टाइम लगेगा, यह सब अभी पता नहीं. 

बैटरी बनाने में चांदी लगती जरूर है, मगर एक किलो नहीं. बैटरी बनेगी, टेस्ट होगी, तब जाकर सब पता चलेगा. अगर सब ठीक भी रहा तो भी एक बैटरी में 200 ग्राम से ज्यादा चांदी नहीं लगेगी. खुद सोचकर देखिए, अगर एक किलो चांदी लगी तो बैटरी का दाम 3 लाख रुपये से भी ज्यादा हो जाएगा. EV पहले से महंगी है और महंगी हो जाएगी. 

EV कंपनियों का चैलेंज इसके उलट हैं. उनको ऐसी बैटरी बनानी है जिसकी ज्यादा रेंज हो और लागत कम. इसलिए चांदी और सैमसंग का अभी कोई कनेक्शन नहीं. 

रही बात मेक्सिको वाली फैक्ट्री की तो सैमसंग एक दूरदर्शी कंपनी है. उसको भी पता है कि चांदी का भविष्य चमकदार है. फैक्ट्री मिल रही तो खरीद लो. चांदी के उत्पादन के मामले में मेक्सिको दुनिया में पहले स्थान पर है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 24 प्रतिशत हिस्सा पैदा करता है. सो वहां की फैक्ट्री में पैसा लगाना कौन सी बड़ी बात है. अपनी बैटरी बनी तो ठीक नहीं तो ऐसे ही बेच लेंगे. टोयोटा और BYD भी ऐसी बैटरी बनाने में लगी हुई हैं. 

चांदी के दाम बढ़ने के पीछे की वजह डिमांड और सप्लाई वाला गेम है. पिछले 5 साल से सप्लाई कम है और डिमांड ज्यादा. सौर ऊर्जा (सोलर पैनल), इलेक्ट्रिक वाहन (EV), इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल उपकरण और 5G तकनीक जैसे क्षेत्रों में चांदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. चूंकि इसका कोई सस्ता और अच्छा विकल्प मौजूद नहीं है, इसलिए इन उद्योगों के लिए चांदी बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए चांदी के भाव बढ़े हैं.  

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मस्क का पोस्ट 

कीमत अभी और बढ़ेगी क्योंकि चीन ने नई पाबंदी लगाई है. उसने घोषणा की है कि 1 जनवरी 2026 से चांदी (Silver) के सभी निर्यात के लिए सरकारी लाइसेंस अनिवार्य होगा. इसका मतलब है कि अब बिना सरकारी इजाजत के चांदी को चीन से बाहर नहीं भेजा जा सकेगा. मेक्सिको के बाद चीन दुनिया में सबसे ज्यादा चांदी का उत्पादन (13 प्रतिशत) करता है. उसके इस फैसले पर अरबपति एलन मस्क भी आपत्ति जता चुके हैं.

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