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Windows से Google ने इतना पैसा छाप लिया, जितना माइक्रोसॉफ्ट भी नहीं कमा पाई, खुद Satya Nadella ने माना

Microsoft के CEO Satya Nadella के मुताबिक़ Windows operating system से Google उतना पैसा छापता है, जितना खुद माइक्रोसॉफ्ट भी नहीं कमाता. मतलब ऑपरेटिंग सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट का, कई सारे डिवाइस भी उनके, कंट्रोल भी उनका मगर पैसा कमा रहा है गूगल.

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Satya Nadella highlights Google’s dominance in browser and search markets, earning more from Windows than Microsoft.
सत्य नडेला दुखी और सुखी दोनों चल रहे (तस्वीर: ग्रूक)
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सूर्यकांत मिश्रा
18 दिसंबर 2024 (Published: 12:23 PM IST) कॉमेंट्स
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आमतौर पर हम अपनी स्टोरी में कहावतों से लेकर शेर ओ शायरी का उपयोग बीच में या आखिर में करते हैं. मगर आज खबर की शुरुआत एक कहावत से करेंगे. ‘गुरु गुड़ ही रहा और चेला चीनी हो गया’. ये कहावत आपने सुनी होगी. ऐसा ही एक मामला टेक जगत से सामने आया है. कमाल बात ये है कि इसके बारे में खुद गुरु ने दुनिया को बताया. गुरु का नाम माइक्रोसॉफ्ट के CEO Satya Nadella और चेले नाम गूगल. पता है पता है आप कहोगे ये कहां से गुरु-चेले हुए. बल्कि ये तो आपस में प्रतिद्वंदी ठहरे.

ठीक बात है मगर जरा पहले CEO Satya Nadella का बयान सुनिए. उनके मुताबिक़ “विंडोज सिस्टम्स से गूगल उतना पैसा छापता है जितना खुद माइक्रोसॉफ्ट नहीं कमाता”. मतलब ऑपरेटिंग सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट का, कई सारे डिवाइस भी उनके, कंट्रोल भी उनका, मगर पैसा कमा रहा गूगल. कैसे?

ब्राउज़र का भौकाल

सीईओ सत्य नडेला ने कहा तो फिर बात खत्म हो गई. मगर हुआ क्या है वो जानना जरूरी है. लेकिन पहले जरा गुरु-चेले का संबंध बता देते हैं. दरअसल माइक्रोसॉफ्ट, गूगल से काफी पहले की कंपनी है. साल 1975 में बिल गेट्स और पॉल ऐलन ने इसकी स्थापना की थी. रही बात गूगल की तो 27 सितंबर, 1998 को एक किराए के गैराज में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे Larry Page और सर्गेई ब्रिन ने Google Inc. की आधिकारिक शुरुआत की थी.  मगर असल खेला तो तब हुआ जब गूगल क्रोम अस्तित्व में आया. 2008 से पहले तक इंटरनेट का ट्रैफिक Internet Explorer से आता था. लेकिन उसके बाद क्रोम आया और क्या ही आया. आज की तारीख़ में डिवाइस आपका कोई सा भी हो. माने विंडोज सिस्टम हो या MacBook. एंड्रॉयड हो या आईफ़ोन. ब्राउज़िंग मतलब क्रोम होता है और यही गूगल की कमाई का सबसे बड़ा सोर्स है. हां ये अलग बात है कि गूगल बाबा Apple डिवाइसेस में डिफ़ॉल्ट ब्राउज़र बने रहने के लिए बहुत मोटी रकम हर साल एप्पल को अदा करता है.

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खैर विषयांतर नहीं करते और सत्य नडेला और गूगल पर वापस आते. सत्य नडेला ने Bg2 चैनल के साथ पॉडकास्ट में गूगल क्रोम के प्रभाव पर बात की. उन्होंने माना कि क्रोम हर तरफ छाया हुआ है. नडेला ने कहा कि भले हम डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम में जीत रहे  हैं. मगर असल में तो हम गूगल से हार ही रहे हैं. हालांकि उन्होंने आज के समय को अपने लिए मुफीद बताया क्योंकि हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने एप्पल के साथ जुगलबंदी कर ही ली है.

अब ये कोई छिपा हुआ रहस्य तो है नहीं कि माइक्रोसॉफ्ट पिछले कई सालों से एप्पल डिवाइस में डिफ़ॉल्ट ब्राउजर होने का सपना संजोए हुए हैं. मगर ये हो नहीं पाया. मगर अब जाकर एप्पल डिवाइस में OpenAI का ChatGPT आने लगा है. ये एक किस्म का सर्च इंजन भी होगा. नडेला मानते हैं कि एआई वाली सर्च उनको गूगल क्रोम के मुकाबले खड़ा कर देगी.

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अब ऐसा होगा तो पता चल ही जाएगा. मगर तब तक गूगल ने पैसा छापते रहना है.      

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