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Google AI: सेहत से लेकर खेती-किसानी तक गूगल का इकोसिस्टम

Google इंडिया में हेल्थ केयर से लेकर खेती-किसानी और एजुकेशन में AI का इकोसिस्टम डेवलप कर रहा है. इसके लिए कंपनी टेक सपोर्ट तो दे ही रही है, साथ में मोटी फंडिंग भी प्रबंध कर रही है.

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गूगल का इंडिया में AI पर बड़ा दाव
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सूर्यकांत मिश्रा
17 दिसंबर 2025 (Updated: 17 दिसंबर 2025, 04:55 PM IST)
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पिछले कुछ सालों से AI खूब जोर से आई हुई है. हर टेक कंपनी AI का राग आलाप रही है. हर डिवाइस में AI घुसेड़ी जा रही है. ChatGPT, Google Gemini, Samung AI का जलवा है. लेकिन क्या चैट बॉट से सवालों का जवाब लेना, इमेज बनवाना या मेल लिखवाना ही AI है. शायद नहीं क्योंकि यह सब काम तो दूसरे तरीके से हो सकता है. फिर AI का काम क्या है. इंसान को वह बनाना जो वह इंसान के तौर पर सबसे (enabling humans to do what humans do best) अच्छा कर सकता है. बोले तो AI का इस्तेमाल, हेल्थ, शिक्षा, खेती जैसी जगह पर करना.

Google यही कर रहा है. टेक दिग्गज इंडिया में हेल्थ केयर से लेकर खेती-किसानी और एजुकेशन में AI का इकोसिस्टम डेवलप कर रहा है. इसके लिए कंपनी टेक सपोर्ट तो दे ही रही है, साथ में मोटी फंडिंग भी प्रबंध कर रही है. बताते कैसे.

Google’s Lab to Impact

गूगल, Health, Science से लेकर समाज के लिए AI का इकोसिस्टम बना रहा है. कंपनी इसके लिए देश के चार बड़े संस्थानों को 8 मिलियन डॉलर (800 करोड़) की फंडिंग देने वाली है. गूगल IIT Bombay की Indic Language Technologies Research Hub को भी 2 मिलियन डॉलर की फंडिंग दे रही है. यह लैब भारत में भाषाओं के बीच का अंतर पाटने के लिए सिस्टम डेवलप करेगी. ठीक बात, यह सब तो अच्छा है मगर हम बात करेंगे हेल्थ सेक्टर की. देखते वहां क्या होने वाला है.

Google’s Lab to Impact
Google’s Lab to Impact
हेल्थ के लिए MedGemma

गूगल के Gemini और Gemma जैसे टूल्स का इस्तेमाल करके MedGemma जैसा सिस्टम डेवलप किया जायगा. Ajna Lens और All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) मिलकर मरीजों के लिए AI बेस्ड सिस्टम डेवलप करेंगे. बेंगलरू का IISc भी क्लीनिकल ऐपलीकेशन डेवलप करेगा. गूगल National Health Authority (NHA) के साथ मिलकर भी मरीजों के हेल्थ डेटा को इंटरनेशनल स्टेंडर्ड के हिसाब से बनाने वाला है.

MedGemma
MedGemma

विविधताओं भरे देश में भाषाओं की कोई कमी नहीं. लेकिन यही अलग-अलग भाषाएं बातचीत का बैरियर भी हैं. इसलिए गूगल और Gnani.AI, CoRover.AI जैसे स्टार्ट अप मिलकर AI मॉडल बनाने वाले हैं. फ्रन्टलाइन हेल्थ वर्कर्स से लेकर नवजात बच्चों के स्वास्थ और किसानी के डेटाबेस पर काम करने वाली Wadhwani AI को भी गूगल बाबा फंड देने वाले हैं. Wadhwani AI, आशा वर्कर्स और आंगनवाड़ी वर्कर्स के लिए HealthVaani नाम से वॉयस असिस्टेंट डेवलप कर रहा है. किसानों के लिए Garuda के नाम से स्मार्टफोन ऐप भी बनाया जा रहा है.

Wadhwani AI
Wadhwani AI

इतना पढ़कर शायद आपको लगेगा कि यह सब तो कहने की बातें हैं. असल में कुछ होता है क्या? होता है. गूगल की मदद से Khushi Baby नाम की संस्था ने राजस्थान में 3 करोड़ से ज्यादा tuberculosis की स्क्रीनिंग की है. माने बात भले CSR की क्यों ना हो, AI के इकोसिस्टम को फंडिंग मिल रही है.

हेल्थ और किसानी को हेल्प मिलेगी तो मौज ही आएगी. 

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