The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Technology
  • Data Brokers: companies who are smarter than social media agencies in your data collection

डेटा के 'दलालों' को पहचानते हैं आप?

आपके निजी डेटा के साथ असली खेल सोशल मीडिया कंपनियां नहीं बल्कि कोई और कर रहा है!

Advertisement
Data Brokers: companies who are smarter than social media agencies in your data collection
आपके डेटा का इस्तेमाल कहां-कहां हो सकता है? (image-pexels)
pic
सूर्यकांत मिश्रा
13 जुलाई 2022 (Updated: 13 जुलाई 2022, 11:33 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

"यदि आप प्रोडक्ट के लिए भुगतान नहीं कर रहे हैं, तो आप प्रोडक्ट हैं." आज से पांच दशक पहले 1970 में बोली गई ये लाइन डेटा के दलालों पर एकदम मुफीद बैठती है. नाम सुनकर अजीब लगा क्या? शेयर मार्केट के दलाल, RTO के दलाल, पोस्ट ऑफिस के दलाल आपने सुने होंगे. लेकिन हम आज कच्चा चिट्ठा खोलेंगे डेटा के दलालों का. इंटरनेट वाली दुनिया में सबसे कीमती कोई चीज है तो वो है डेटा. दुनिया के कई बिजनेस सिर्फ इसी पर निर्भर हैं. विशेषकर सोशल मीडिया कंपनियां. विज्ञापन तभी चलेंगे जब डेटा सॉलिड होगा. अभी तक आपको लग रहा होगा हम फ़ेसबुक और गूगल का कोई नया कांड बताने आए हैं. जी नहीं हम तो इनके भी बाप, डेटा के असली खिलाड़ियों(Data Brokers)की बात करने वाले हैं.

डेटा ब्रोकर्स कौन हैं

ऐसे फर्म जो यूजर्स के बारे में जानकारी एकत्रित करते हैं और फिर इसे बेचने के लिए एक ऑर्गनाइज़्ड फॉर्मेट में तैयार करती है. खरीददार कौन. कंपनियों से लेकर एक व्यक्ति तक. डेटा कलेक्शन कितना लुभावना व्यापार है कि 2020 के अंत तक इसमें दुनियाभर से 4000 कंपनियां इनवॉल्व थीं. आपको लगेगा सिर्फ 4000 तो जनाब ये कोई मेहनत मजदूरी वाला काम नहीं है. सिर्फ एक आदमी और कुछ अच्छे डिवाइस. 4000 कंपनियों के बराबर है. ऐसे में 4000 एक बड़ा नंबर है. चलिए नंबर गेम को और आसान बनाते हैं. Acxiom जो डेटा कलेक्शन करने वाली कंपनी है. उसके 23000 सर्वर हैं और एक सर्वर पर एक आदमी 3000 डेटा पॉइंट को कंट्रोल करता है. अब आगे गणित आप लगा लो.

अब ऐसी कंपनी की कल्पना कीजिए जो इन डेटा जीवियों से सर्विस नहीं लेती हो और खुद सब मैनेज करती हों. मुश्किल क्या असंभव ही होता होगा.

क्या जानकारी इकट्ठा करती हैं?

निजी जानकारी जैसे आपका पूरा नाम, उम्र, लिंग, ईमेल, फोन नंबर, जन्म की तारीख. एक शब्द में कहें तो आपसे जुड़ी हरसंभव जानकारी. आपकी राजनैतिक दिलचस्पी, शिक्षा, और मौका लगे तो आपकी सेहत से जुड़ी जानकारी भी. इनकम कितनी है आपकी. उस पर भी नजर रहती है इनकी. ऐसे लगता है जैसे हमसे ज्यादा पता होता है इनको हमारे बारे में.  

नाम-पता-उम्र
कैसे इकट्ठा करती हैं?

सोशल मीडिया कंपनियों की तरह ये भाई लोग भी ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरीकों से आपकी जानकारी जुटाते हैं. बात ऑनलाइन ट्रेकिंग की है तो application programming interfaces (APIs) से लेकर मोबाईल ऐप्स और सर्च इंजन तक. आप जहां...जहां, ये वहां...वहां... अगर आपका स्मार्टफोन आपके साथ है तो यकीन जानिए आप पर नजर बनी हुई है. आजकल वेबसाइट इतनी एडवांस्ड हो गई है कि आप कितनी बार क्लिक किये. पेज व्यू, साइट पर आपका टाइम, यहां तक कि आपके माउस की हरकत तक रिकॉर्ड होती है. ऑनलाइन से इतर ऑफ़लाइन के लिए इनके सोर्स हैं कोर्ट के रिकॉर्ड, गाड़ियों से जुड़ी जानकारी, शादी और तलाक, बैंक में डीफॉल्टर होने तक. अब ऐसे डेटा के लिए जाहिर है मेहनत लगती होगी तो ये बिकता भी ऊंची कीमत पर है.

माउस क्लिक से लेकर शादी और तलाक तक 
डेटा का इस्तेमाल कहां होता है?

इसके लिए हर कंपनी की अपनी स्ट्रेटजी होती है. एक महत्वपूर्ण बात. ये कंपनियां कभी भी अपना डेटा बेचती नहीं है. लीज पर मतलब किराये पर दिया जाता है डेटा. अब डेटा जितना रिफाइंड मतलब तराशा हुआ, कीमत भी उसके मुताबिक. अब ये तो आपको पता है कि डेटा का इस्तेमाल आपकी पसंद नापसंद के हिसाब से विज्ञापन देने के लिए होता है. काश इतना ही होता. आपके डेटा का इस्तेमाल ये जानने में भी होता है कि आपको जो लोन दिया जा रहा, वो चुका भी पाओगे या नहीं. शादी का इस्तेहार में आपने अगर लंबी-लंबी फ़ेकी है तो उसका भी पता है संबंधित कंपनी को. कहने का मतलब आपके डेटा को आपके पक्ष में और आपके खिलाफ दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है.

आप क्या कर सकते हो?

सच कहा जाए तो ज्यादा कुछ नहीं. मतलब अब हर डेटा के दलाल के पास तो जाकर ये नहीं कह सकते कि भैया हमारा डेटा डिलीट कर दो प्लीज. अब जो पहुंच भी गए तो पता कैसे चलेगा कि इन्ही भाईसाहब ने कांड किया है. तो तरीका बस एक बचता है. जितना बच सकें. एक बहुत छोटा सा उदाहरण हैं. किसी ने आपसे आधार मांगा नहीं और आप फट से दे देते हैं. ऐसा मत करिए बल्कि मास्क्ड आधार दीजिए. जिसमें सिर्फ आपका आधा आधार नंबर होता है. सोचिए कितनी छोटी बात है लेकिन हम करते नहीं. फुल DND सर्विस भी बहुत कमाल की है. एक बार इस्तेमाल करेंगे तो आपको कुछ दिनों में समझ आएगा कि इसका फोन मत उठाना वाले फोन नहीं आ रहे. VPN का इस्तेमाल भी बढ़िया विकल्प है अगर उपलब्ध हो तो. अब इसके बाद अगर आप सच में अपने डेटा को लेकर चिंतित हैं तो कुछ कंपनियां हैं जैसे DeleteMe और PrivacyDuck. ये पैसा लेंगी लेकिन आपके कहने पर दुनिया भर से आपका डेटा चुराने वालों को खोद-खोद कर निकालेंगी. डिलीट भी करा देंगी सो अलग. शेर के ऊपर सवा शेर वाली बात.  

मास्क्ड आधार और DND

अगली बार जो आपके लगे कि सिर्फ सोशल मीडिया कंपनी आपके डेटा का बेजा इस्तेमाल करती है तो इन डेटा के दलाओं का भी ध्यान रखिएगा.

वीडियो: लल्लनटेक: गूगल आपकी पर्सनल जानकारी का क्या करता है?

Advertisement

Advertisement

()