डार्क मोड में बैटरी बचने का दावा कहीं कोई छलावा तो नहीं?
OLED और AMOLED तो फ्लैगशिप स्मार्टफोन तक सीमित हैं. जैसे कि Samsung, OnePlus, और Google के महंगे स्मार्टफोन और iPhone X से ऊपर की सीरीज. अब बची LCD जो अधिकतर स्मार्टफोन की स्क्रीन होती है. अब ये जो ओलेड और एमोलेड स्क्रीन हैं, दरअसल वही जिम्मेदार हैं डार्क मोड की परफ़ॉर्मेंस के लिए.
Smartphone में Dark Mode अब कोई नई बात नहीं रह गई है. ऐसा माना जाता है कि डार्क मोड से बैटरी की खपत कम होती है, साथ में आंखों को सुकून तो मिलता ही है. लेकिन ये दावा कितना सही है? स्मार्टफोन में आजकल डीफॉल्ट डार्क मोड(Dark mode in smartphones) तो आता ही है ,सभी डेवलपर्स भी ये फीचर अपने ऐप पर देते हैं. Google ने तो डार्क मोड से आगे जाकर pitch-black dark mode भी इस साल उपलब्ध करा दिया. लेकिन क्या सच में डार्क मोड बैटरी बचाता है या फिर ये एक छलावा मात्र है.
अब हुआ यूं कि हमारे एक साथी हैं जिनको हम प्यार से 'विधायकजी' बुलाते हैं, वो हमारे पास अपना लाख रुपये वाला फोन लेकर आए और बोले यार बहुतई बैटरी खाता है. हमने भी फट से ज्ञान दे डाला और कहा कि डार्क मोड ऑन कर लो. विधायकजी ने हमारी कही मान ली और उनको फर्क भी नजर आया. झोल तो तब हुआ जब एक और दूसरे साथी हमसे आकर बोले कि क्या यार ये डार्क मोड से कुछ नहीं हो रहा. बैटरी तो सैलरी की तरह तुरंत खत्म हो जा रही. साथी ठहरे सीनियर तो उनको डपट तो सकते नहीं थे, इसलिए आदर से उनको बताया कि डार्क मोड का चक्कर क्या है? अब उनको बताया तो आपको नहीं बताते, ऐसा कैसे हो सकता है भला. तो चलिए डार्क मोड पर प्रकाश डालते हैं.
डार्क मोड का गणित समझने से पहले आपको स्मार्टफोन की स्क्रीन का गुणा-भाग जानना होगा. स्मार्टफोन में तीन तरह की स्क्रीन यूज होती हैं. LCD (लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले), OLED (Organic Light Emitting Diodes) और AMOLED(active-matrix organic light-emitting diode). OLED और AMOLED तो फ्लैगशिप स्मार्टफोन तक सीमित हैं. जैसे कि Samsung, OnePlus, और Google के महंगे स्मार्टफोन और iPhone X से ऊपर की सीरीज. अब बची LCD जो अधिकतर स्मार्टफोन की स्क्रीन होती है. अब ये जो ओलेड और एमोलेड स्क्रीन हैं, दरअसल वही जिम्मेदार हैं डार्क मोड की परफ़ॉर्मेंस के लिए.
आसान भाषा में कहें तो जैसे घर के अंदर बहुत सी लाइट को एक साथ बंद कर देने पर पावर की बचत होती है, वैसे ही कुछ ओलेड और एमोलेड स्क्रीन में होता है. सारा खेल ही ब्लैक पिक्सल के आस-पास है. ओलेड में प्रत्येक पिक्सल अपना स्वयं का प्रकाश उत्पन्न करता है जबकि एलसीडी स्क्रीन किनारों (edge) से सभी पिक्सल को प्रकाश में लाती है. ओलेड पिक्सल जो काले रंग के होते हैं उनमें कोई पावर होती ही नहीं है और वो पिच ब्लैक अवस्था तक पहुचने के काफी नजदीक होते हैं. दूसरी तरफ एलसीडी के पिक्सल एक सी पावर लेते हैं, भले इमेज पूरी सफेद हो या पूरी काली. उदाहरण के तौर पर, यदि ओलेड स्क्रीन पर ब्लैक रंग का वालपेपर है तो उसमें सिर्फ उस जगह के पिक्सल चालू होंगे जहां कोई टेक्स्ट या आइकन शो करना होगा. बचे हुए बैकग्राउंड को खाली छोड़ दिया जाएगा. अब ये बताने की जरूरत बचती नहीं की एलसीडी में ऐसा नहीं होता.
अब आपके पास यदि ऊपर बताए स्मार्टफोन्स में से कोई है तो डार्क मोड आपके काम का है. कम-से-कम एक घंटा ज्यादा मिलेगा आपको. Google के इंजीनियर्स ने बैटरी की पावर के इस्तेमाल में 63 प्रतिशत कमी दर्ज की जब उन्होंने Google maps को डार्क मोड में इस्तेमाल किया. AppleInsider ने रियल वर्ल्ड में 60 प्रतिशत सेविंग दर्ज की. कहने का मतलब है कि डार्क मोड काम करता है लेकिन .........आगे आप खुद समझ गए होंगे.
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