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'4G ज्यादा डेटा खाता है 3G से'... स्मार्टफोन से जुड़े ऐसे ही 10 झूठ

वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी पर मिलने वाला स्मार्टफोन का ज्ञान कितना सही है?

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स्मार्टफोन से जुड़ी इन काल्पनिक बातों के बारे में जानते हैं आप?
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सूर्यकांत मिश्रा
6 दिसंबर 2021 (Updated: 6 दिसंबर 2021, 11:35 AM IST) कॉमेंट्स
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, हावर्ड यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) का नाम आपने सुना होगा. पर इन दिनों एक यूनिवर्सिटी इन सबसे बड़ी हो गई है जिसपर ज्ञान तो एक पैसे का नहीं मिलता लेकिन बकवास और मिथ किलो के भाव में मिल जाते हैं. सही समझे. हम वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी की बात कर रहे हैं. यहां पर खासकर स्मार्टफोन से जुड़ी कई ऐसी बातें पढ़ने को मिल जाएंगी जिनका सच से कोई लेना-देना नहीं है. स्मार्टफोन का नया मॉडल हो. नई तकनीक हो या फिर कोई नया जुगाड़. सब कुछ सबसे पहले वॉट्सऐप पर आता है और लोग भरोसा भी आसानी से कर लेते हैं. वैसे स्मार्टफोन से जुड़ी ये काल्पनिक कथाएं सिर्फ वॉट्सऐप पर मिलती हैं, ये भी पूरी तरह से सच नहीं है. इसमें गली-चौराहे पर होने वाली गपबाजी के योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता. हम ऐसे ही कुछ स्मार्टफोन से जुड़ी काल्पनिक कथाओं (Smartphone Myths) के बारे में बात करेंगे और सच्चाई भी जानेंगे. 4G ज्यादा डेटा खाता है 3G से अरे भाई तकनीक स्पीड बढ़ाती है डेटा की खपत नहीं. एक ऐप मान लीजिए 100 MB का है और 3G में 1 मिनट में डाउनलोड हो रहा है और 4G में 30 सेकेंड में तो डेटा तो 100 MB ही डाउनलोड हुआ ना बस समय कम लगा. दिमाग से भ्रम दूर कीजिए और नई तकनीक का मजा लीजिए. 4जी या 3जी, तकनीक का स्तर है और डेटा खपत का मापदंड. ऐसे समझिए. किसी सामान को खरीदने के लिए 1,000 रुपये चाहिए. चाहे आप 10 रुपये के 100 नोट खर्च दो या फिर 100 के 10 नोट. दोनों में खर्चा वही हुआ. स्मार्टफोन से केंसर होता है? पहले मोबाइल टावर से कैंसर होने की बात फैली, फिर स्मार्टफोन से. मोबाइल टावर को लेकर तो सरकार को भी स्थिति साफ करने पड़ी. स्मार्टफोन को लेकर भी कई बार सफाई दी जा चुकी है. SAR (सार) वैल्यू नाम की एक चीज होती है जिससे गुजर कर ही फोन आप तक आता है. Specific Absorption Rate एक इंटरनेशनल मानक है रेडिएशन मापने का. इसका जो स्टेंडर्ड है 1.6W/kg उसको पास किए बिना कोई भी फोन बाजार में नहीं आता भले वो इंडिया में बने या इंपोर्ट होकर आए. भारत की अपनी खुद की लैब है इसकी टेस्टिंग के लिए जो 2012 में बनी थी. यदि आप पूरा तकनीकी ज्ञान चाहते हैं तो डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम की वेबसाइट पर जाएं. सार वैल्यू आपको हर मोबाइल के डब्बे और कागजातों के साथ लिखी मिल जाएगी. ज्यादा RAM मतलब तगड़ी परफॉर्मेंस बड़ा है तो बेहतर है से प्रभावित लगता है, लेकिन जब बात स्मार्टफोन की है तो RAM का अपना एक सीमित रोल है. आप 8 जीबी रैम वाले स्मार्टफोन पर कोई गेम खेलिए या 12 जीबी रैम वाले हैंडसेट पर, कोई खास फर्क आपको नजर नहीं आएगा. क्यूंकि यहां परफॉर्मेंस का असली रिश्ता फोन के प्रोसेसर से है. रैम को तो आप आसानी से खाली कर सकते हो और उसका पूरा जूस निकाल सकते हो. कई बार तो एक 6 जीबी रैम वाला फोन भी आपके लिए बढ़िया काम करेगा. ब्लूटूथ, GPS ,Wi-Fi बंद रखो वरना बैटरी खल्लास! घर का दरवाजा है क्या? जो खुला रखा तो चोर आ जाएगा. Smartphone है आपका और इतना स्मार्ट है कि जब कोई चीज इस्तेमाल नहीं हो रही है तो उसको सुला कर रखता है. तकनीकी भाषा में कहें तो हाइबरनेशन में. आप जितना यूज करेंगे, उतना ही बैटरी और प्रोसेसर पर असर पड़ेगा. नहीं इस्तेमाल करने पर कोई भी असर नहीं होगा. इनकॉगनिटो मोड और टेंशन खत्म ये भी एक बहुत बड़ी गलतफहमी है. आपको लगता है कि आपने इनकॉगनिटो मोड पर कोई काम कर लिया और आप दुनिया जहान की आंखों से बच गए. याद रखें कि इनकॉगनिटो मोड पर जब आप काम करते हैं तो आपकी हिस्ट्री और कुकीज भले आपके ब्राउजर पर रिकॉर्ड नहीं होते. लेकिन इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर या इंटरनेट कंपनी जरूरत पड़ने पर इसको बड़े आराम से देख सकती है. तो अगली बार जब भी इनकॉगनिटो मोड पर काम करें तो थोड़ा सोच समझकर. क्रेडिट कार्ड और स्मार्टफोन को गलती से पास न रखना ये भी एक बहुत बड़ा भ्रम है जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं. आपका स्मार्टफोन किसी क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की क्षमता पर कोई असर नहीं डालता. अगर ऐसा कुछ होता तो कंपनी इसके बारे में बताती, जैसे कि Samsung अपने गेलेक्सी फोल्ड फोन के साथ ये चेतावनी देती है कि डेबिट/क्रेडिट कार्ड को फोन से दूर रखिए. यदि फोन गर्म हो रहा है तो वो खराब है ये भ्रम तो शायद उस शैतान बच्चे ने फैलाया होगा जिसको गेम खेलने नहीं मिला होगा. आमतौर पर पावरफुल ग्राफिक्स वाले गेम खेलते या फिर लगातार वीडियो देखते समय कभी-कभार फोन की सतह थोड़ी गरम हो जाती है. कई बार आपने चार्ज करते वक्त भी फोन के ज़्यादा गर्म होने को महसूस किया होगा. सारी बातें नॉर्मल हैं. फोन के गर्म होने का उसके खराब और अच्छे होने से कोई संबंध नहीं है. हां, यदि आपका फोन किसी भी परिस्थिति में जरूरत से ज्यादा गरम हो रहा है तो आपको तुरत कंपनी के सर्विस सेंटर जाने की जरूरत है. लेकिन चार्जिंग के दौरान गर्म हो रहा है तो आम बात है. नेटवर्क के पूरे डंडे मतलब झमाझम स्पीड मोबाइल में पूरे डंडे आ रहे हैं, पर आपके कॉल की क्वालिटी अच्छी नहीं है. नेटवर्क स्पीड भी स्लो आ रही है. संभव है कि आपके साथ भी ऐसा हुआ है. पूरे डंडे का मतलब है मजबूत नेटवर्क सिग्नल. पर नेटवर्क तो एक फोन टावर से आता है. किसी भी समय उस टावर से कई लोग कनेक्ट हो सकते हैं तो नेटवर्क स्पीड इसी बात पर निर्भर करेगी. यानी ज़्यादा लोग तो धीमी स्पीड. तो अगली बार जब भी ऐसा हो तो अपने फोन को मत कोसना. प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड किया तो सेफ ही होगा इस भ्रम ने न जाने कितनों का नुकसान कर दिया होगा. वैसे गूगल खुद ही अपने प्ले स्टोर पर कड़ी नजर रखता है लेकिन कई बार कुछ बदमाश डेवलपर्स घुस ही जाते हैं. ऐसे किसी ऐप का सबसे बड़ा उदाहरण वॉट्सऐप के तमाम डमी ऐप हैं जिनको लाखों लोगों ने डाउनलोड किया और अपनी जानकारी साझा की. वॉट्सऐप को आखिरकार चेतावनी देना पड़ी तब जाकर ये ऐप डिलीट हुए. आप जब भी कोई ऐप डाउनलोड करें तो जांच परख लें. इन सवालों का जवाब ढूंढें- डेवलपर कौन है, क्या रेटिंग है, अपडेट आते हैं या नहीं और ऐप के नीचे दिए कमेंट्स भी ध्यान से पढ़ें. ऐप को यूज करके बंद कर देना चाहिए ये हरकत तो हमारी एक तरह से आदत बन गई है कि ऐप यूज किया और बंद कर दिया. स्मार्टफोन की स्मार्टनेस पर संदेह कर रहें है आप. आपका फोन जानता है कि आप ऐप को यूज नहीं कर रहे है तो उसको थपकी मार कर सुला देता है और जब जरूरत तब फटाक से चालू. ऐप को बंद करके जब आप फिर चालू करते हैं तो पूरी प्रक्रिया शून्य से शुरू होती है जिससे उल्टा फोन के प्रोसेसर पर असर पड़ता है. वैसे स्मार्टफोन से जुड़ी ऐसी ही काल्पनिक बातों की लिस्ट और भी लंबी है. फिलहाल हमने आपसे ये 10 ही साझा किए हैं.

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