'आज संडे है, जीसस छुट्टी पर हैं... ', जेमिमा के आउट होने पर घटियापन पर उतर आए कुछ लोग
Womens World Cup 2025 Final: भारत और साउथ अफ्रीका के बीच हुए खिताबी मुकाबले में Jemimah Rodrigues का बल्ला कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया. इसके बाद सोशल मीडिया पर एक गिरोह उन्हें ट्रोल करने लगा.
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ICC महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 के सेमीफाइनल मुकाबले में जेमिमा रोड्रिग्स ने अपनी शानदार पारी से सबका दिल जीत लिया. जैसे ही मैच खत्म हुआ, उन्होंने जीसस को धन्यवाद दिया. लेकिन सोशल मीडिया पर एक ‘नफरती गिरोह’ को यह कतई पसंद नहीं आया. रविवार, 2 नवंबर को भारत और साउथ अफ्रीका के बीच हुए खिताबी मुकाबले में जेमिमा का बल्ला कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया. ‘गिरोह’ एक्टिव हुआ और उनके धर्म को निशाना बनाकर उन्हें ट्रोल करने लगा (Jemimah Rodrigues Trolled).
जेमिमा ने क्या कहा था?30 अक्टूबर को हुए सेमीफाइनल के उस मुकाबले में जेमिमा ने नाबाद 127 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली. मैच खत्म होने के बाद भावुक होकर उन्होंने कहा,
मैं यीशु का धन्यवाद करना चाहती हूं, मैं ये सब अपने दम पर नहीं कर सकती थी. मैं अपने मम्मी-पापा, कोच और उन सभी लोगों की शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया. पिछले एक महीने का वक्त बहुत मुश्किल था, ये जीत किसी सपने जैसी है, अब तक यकीन नहीं हो रहा है.
जिन शब्दों में कृतज्ञता थी, ट्रोल्स ने उनमें विवाद तलाश लिया. जेमिमा ने किसी पर हमला नहीं किया, बस अपने ईश्वर का धन्यवाद दिया. मगर सोशल मीडिया के कुछ लोगों ने इसे भी निशाना बना डाला. ये वही मानसिकता है जो खिलाड़ियों की मेहनत को नहीं, उनकी आस्था को तौलती है.
फाइनल मुकाबले में जेमिमा के आउट होने के बाद, सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, “जीसस ने आज मदद नहीं की?”

एक दूसरे यूजर ने लिखा, “आज जीसस खाका के साथ हैं.” बताते चलें कि फाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका की खिलाड़ी अयाबोंगा खाका ने जेमिमा का विकेट लिया.

इसी तरह एक यूजर ने लिखा, “आज जीसस को क्या हुआ?”

कुछ यूजर्स ने लिखा, “संडे होने की वजह से जीसस छुट्टी पर हैं.”


एक यूजर ने लिखा, “जीसस ने जब शतक लगवाया तो, जल्दी आउट भी तो जीसस ने ही करवाया होगा न.”

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बताते चलें कि जेमिमा रोड्रिग्स ने 18 साल की उम्र में इंडिया डेब्यू किया. ये हर क्रिकेटर के वश की बात नहीं है. नेशनल टीम से खेलना एक बात है. उस टीम से ड्रॉप होकर फिर वापसी करना, कोई साधारण बात नहीं है. इन सबसे मुश्किल है, एक ऐसी पारी खेलना, जो आपको इतिहास में अमर बना दे, वो भी तब जब आप मेंटली दबाव से गुजर रहे हों. टीम में जगह तक पक्की नहीं हो. यहां तक कि ये तक नहीं पता हो कि बैटिंग आएगी तो किस नंबर पर आएगी.
खेल की खूबसूरती यही है कि वह सबको जोड़ता है- धर्म, भाषा और पहचान से ऊपर उठकर. लेकिन ट्रोल्स बार-बार हमें याद दिलाते हैं कि सबसे कठिन मैच मैदान पर नहीं, बल्कि समाज की सोच से लड़ा जाता है.
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