The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • the story of Jemimah Rodrigues who used to cry whole night but never quit

जेमिमा रोड्र‍िग्स की कहानी, जो ऐतिहासिक रन चेज में अंत तक डटी रहीं, कभी रात-रातभर रोती थीं

भारतीय महिला टीम वीमेंस वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंच गई है. ऑस्ट्रेलिया के ख‍िलाफ टीम ने रिकॉर्ड 339 रन के टारगेट को चेज कर लिया. इस जीत की स्टार Jemimah Rodrigues रहीं, जिन्होंने 14 चौकों के दम पर 127 रन बनाए.

Advertisement
Jemimah Rodrigues, Harmanpreet Kaur, Womens World Cup 2025
जेमिमा रोड्र‍िग्स ने वीमेंस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में खेली 127 रनों की ताबड़तोड़ पारी. (फोटो-PTI)
pic
सुकांत सौरभ
31 अक्तूबर 2025 (Updated: 30 अक्तूबर 2025, 03:42 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

18 साल की उम्र में इंडिया डेब्यू. ये हर क्रि‍केटर के वश की बात नहीं है. नेशनल टीम से खेलना एक बात है. उस टीम से ड्रॉप होकर फिर वापसी करना, कोई साधारण बात नहीं है. इन सबसे मुश्किल है, एक ऐसी पारी खेलना, जो आपको इतिहास में अमर बना दे, वो भी तब जब मेंटली बहुत दबाव से गुजर रहे हों. टीम में जगह तक पक्की नहीं हो. यहां तक कि ये तक नहीं पता हो कि बैटिंग आएगी तो किस नंबर पर आएगी. जी हां, हम बात वीमेंस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में सेंचुरी जड़ने वाली जेमिमा रोड्र‍िग्स (Jemimah Rodrigues) की ही कर रहे हैं. वही जेमिमा, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के 339 रन के टारगेट को 9 बॉल रहते हासिल करने में टीम इंडिया का एक छोर अंत तक संभाले रखा.  जेेेमिमा ने 134 बॉल्स में 14 चौकों की मदद से नाबाद 127 रनों की पारी खेली.

जेमिमा ने दिखाया जज्बा

अंग्रेजी में एक कहावत है,

When the going gets tough, the tough get going.

यानी जब राह मुश्किल हो जाए, तब मजबूत इंसान उसे पार करने के लिए उपाय निकाल ही लेता है.

जेमिमा रोड्र‍िग्स के लिए पिछले कुछ समय से भारतीय टीम में जगह बनाने का संघर्ष कुछ ऐसा ही रहा है. 2022 वर्ल्ड कप टीम में जब उन्हें जगह नहीं मिली, तो ये जेमिमा के लिए एक बड़ा रियालिटी चेक था. ये उनके लिए इतना मुश्किल था कि वो रात-रातभर रोती थीं. ये बात खुद जेमिमा ने सेमीफाइनल के पोस्ट मैच प्रजेंटेशन में बताया. लेकिन, वो भी हार मानने वाली कहां थीं. एक छोटा मेंटल ब्रेक लेने के बाद वह वापस भ‍िड़ गईं. अपने पहले प्यार यानी क्र‍िकेट पर.

मुंबई के लोकल कोच के साथ प्रैक्टिस की. मुंबई के ‘मैदानों’ में पसीना बहाया. लोकल सर्कि‍ट के टफेस्ट मेंस और वीमेंस बॉलर्स के साथ प्रैक्टिस की और नतीजा हमारे सामने है. कहते हैं सफलता उन्हें ही मिलती है, जो हार नहीं मानते. जेमिमा ने अपने करियर में कभी हार नहीं मानी. अब ऑस्ट्रेलिया के ख‍िलाफ वीमेंस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में एक ऐसी पारी खेल दी है, जो वीमेंस क्र‍िकेट के इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गया है.

ये भी पढ़ें : महिला वर्ल्ड कप: 7 बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को भारत ने रौंदा, 339 रन भी कम पड़ गए

पिता कोच, मां सिंगर हैं

जेमिमा का जन्म 5 सितंबर 2000 को मुंबई के बांद्रा इलाके में हुआ था. वह एक कैथोलिक परिवार से आती हैं. पिता इवान रोड्रिग्स मुंबई की ही एक स्कूल क्रिकेट टीम के कोच हैं. जेमिमा को शुरुआती ट्रेनिंग भी उन्होंने ही दी थी. मां लोरी रोड्रिग्स एक म्यूजिक टीचर हैं, और जेमिमा भी एक अच्छी गिटार प्लेयर और सिंगर हैं. मैच के बाद उन्हें अक्सर अपने टीममेट्स के साथ गाते या गिटार बजाते देखा जाता है. लेकिन, जेमिमा का पहला प्यार क्रिकेट ही था. इसलिए महज 18 साल की उम्र में जेमिमा ने साल 2018 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ इंटरनेशनल डेब्यू कर लिया. तब उन्हें टीम की “बेबी ऑफ द स्क्वाड” कहा जाता था. लेकिन, अब उसी ‘बेबी’ ने इतिहास रच दिया है.  

विदेशी लीगों से करियर में आई थी उछाल

जेमिमा के अंतरराष्ट्रीय करियर की असली उड़ान विदेशी लीगों से आई. सबसे पहले, उन्हें इंग्लैंड की किया सुपर लीग (KSL) में खेलने का मौका मिला. वहां उन्होंने 401 रन बनाए. उनका औसत 57.28 और स्ट्राइक रेट 149.62 का रहा. इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड की द हंड्रेड, ऑस्ट्रेलिया की वीमेंस बिग बैश लीग और डब्लयूपीएल यानी वीमेंस प्रीमियर लीग में भी अपनी पहचान बनाई. उनकी विदेशी लीगों में परफॉर्मेंस ने न सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढ़ाया, बल्कि उन्हें एक ग्लोबल क्रिकेट स्टार बना दिया. जेमिमा का बेखौफ बैटिंग स्टाइल उन्हें दुनिया की बेस्ट मिडिल ऑर्डर बैटर बनाता है.

ये भी पढ़ें : 'मानसिक रूप से बहुत मुश्किल...', जेमिमा रोड्रिग्स ने मैच के बाद जो कहा, वो सुन इमोशनल हो जाएंगे

वर्ल्ड कप में नहीं रही थी अच्छी शुुरुआत

हालांकि, इस वर्ल्ड कप में भी जेमिमा की शुरुआत बेहद खराब रही थी. पहले ही मैच में वो बिना खाता खोले पवेलियन लौट गई थीं. बीच में, उन्हें टीम से ड्रॉप भी कर दिया गया था. लेकिन, न्यूजीलैंड के ख‍िलाफ करो या मरो के मैच में वापसी के बाद से जेमिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. ऑस्ट्रेलिया के ख‍िलाफ भी सेमीफाइनल में वह दूसरे ओवर में ही क्रीज पर आ गई थीं. लेकिन, इसके बाद अंत तक उन्होंने मोर्चा संभाले रखा और टीम इंडिया को जीत दिलाकर ही दम लिया. उनके दृढ निश्चय का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि न ही 50 और न ही सेंचुरी बनाने के बाद जेमिमा ने इसे सेलिब्रेट किया. उनका सेलिब्रेशन मैच खत्म करने के बाद ही आया, जहां वो अपने इमोशंस को कंट्रोल नहीं कर सकीं.

मैच में क्यों खास थी जेमिमा की पारी?

मैच की बात करें तो, जेमिमा को शेफाली वर्मा के आउट होने के बाद दूसरे ओवर में ही मैदान पर आना पड़ गया. वो तो यही सोचकर बैठी थीं कि नंबर 5 पर बैटिंग आएगी, लेकिन टीम मैनेजमेंट ने थोड़े देर पहले ही उन्हें बताया कि नंबर 3 पर ही बैटिंग करनी है. 339 रन के टारगेट को अचीव करने के लिए सबसे जरूरी थी, एक लंबी पार्टनरश‍िप. जेमिमा और स्मृति ने अच्छी शुरुआत ले ली, तभी एक बेहद खराब बॉल पर स्मृति आउट हो गईं.

जेमिमा और हरमनप्रीत ने इसके बाद 167 रनों की पार्टनरश‍िप की और 59 पर दो से भारत का स्कोर 226 पर तीन तक पहुंचा दिया. अभी भी जीत के लिए टीम इंडिया को 113 रन चाहिए थे. जेमिमा भी बिल्कुल थकी नजर आ रही थीं. लेकिन, पहले दीप्ति और फिर ऋचा के तेजतर्रार नॉक ने जेमिमा पर से भी दबाव हटा दिया. जेमिमा जैसे-जैसे टारगेट के करीब पहुंचीं अपना हाथ खोलना शुरू कर दिया. अंत में अमनजोत के साथ उन्होंने 9 गेंद रहते भारत को जीत दिला दी. जेमिमा की इस पारी की सबसे खास बात ये रही कि उन्होंने कभी रन रेट का दबाव खुदपर हावी नहीं होने दिया.

जेमिमा रोड्रिग्स की कहानी बताती है कि सफलता सिर्फ टैलेंट से नहीं, बल्कि संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास से भी मिलती है. 2 नवंबर को साउथ अफ्रीका के ख‍ि‍लाफ भारतीय टीम यही चाहेगी कि जेमिमा की ये फॉर्म वहां भी काम आए.

वीडियो: अमनजोत कौर, जिन्होंने World Cup के पहले मैच में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से सबका दिल जीत लिया

Advertisement

Advertisement

()