गंभीर की आलोचना से दिक्कत नहीं, लेकिन टीम इंडिया की शर्मनाक हार की ये वजहें भी हैं
गुवाहाटी टेस्ट में टीम इंडिया की 408 रनों की हार रनों के लिहाज से भारत में सबसे बड़ी हार है. साउथ अफ्रीका ने इसी के साथ सीरीज को 2-0 से 25 साल बाद क्लीन स्वीप कर लिया है. इस सीरीज हार के ये 5 प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से टीम के नाम एक और शर्मनाक रिकॉर्ड जुड़ गया है.

टीम इंडिया को साउथ अफ्रीका ने गुवाहाटी टेस्ट में 408 रनों से हराया. ये रनों के लिहाज से टेस्ट क्रिकेट में घर पर टीम की सबसे बड़ी हार है. वहीं, दो मैचों की सीरीज में टीम की ये लगातार दूसरी हार है. इससे पहले, कोलकाता टेस्ट में भी टीम इंडिया को 40 रनों से हार का सामना करना पड़ा था. साउथ अफ्रीका ने इसी के साथ भारत में 25 साल बाद टीम इंडिया को टेस्ट सीरीज में मात दी है.
2000 में भी साउथ अफ्रीका ने भारत में टेस्ट सीरीज 2-0 से जीती थी. वहीं, कप्तान टेंबा बावुमा (Temba Bavuma) ने टेस्ट क्रिकेट में अजेय रहने का अपना रिकॉर्ड बरकरार रखा है. 12 मैचों में ये उनकी अगुवाई में साउथ अफ्रीका की 11वीं जीत है. इसमें वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (World Test Championship) का फाइनल भी शामिल है, जब ऑस्ट्रेलिया को हराकर साउथ अफ्रीका ने टेस्ट मेस जीत लिया था. टीम इंडिया की इस शर्मनाक हार के वैसे तो कई कारण हैं. लेकिन, अगर हम प्रमुख 5 कारणों की बात करें तो इसमें सबसे पहली टीम में स्पेशलिस्ट बैटर्स की कमी है.
स्पेशलिस्ट बैटर्स की कमीटीम इंडिया दोनों ही टेस्ट में 5 ऑलराउंडर्स के साथ उतरी थी. कोलकाता में जहां ध्रुव जुरेल, वॉशिंगटन सुंदर, अक्षर पटेल, रविंद्र जडेजा और ऋषभ पंत खेले थे. गुवाहाटी में अक्षर पटेल की जगह नीतीश कुमार रेड्डी टीम में आ गए थे. इसमें केएल राहुल का नाम शामिल नहीं है क्योंकि वो टेस्ट में विकेटकीपिंग नहीं करते हैं. साथ ही कुलदीप ने गुवाहाटी में जैसी बैटिंग की है, उन्हें भी इस लिस्ट में जोड़ा जा सकता है.
बैटिंग के दौरान टीम का अप्रोचहार की दूसरी वजह है टीम इंडिया का बैटिंग के दौरान अप्रोच. दोनों ही टेस्ट में टीम इंडिया के बैटर्स बहुत हड़बड़ी में नज़र आ रहे थे. गुवाहाटी टेस्ट की पहली इनिंग में टीम इंडिया ने एक समय 95 रन पर सिर्फ एक विकेट गंवाया था. लेकिन, इसके बाद 122 तक पहुंचते-पहुंचते 7 बैटर्स पवेलियन लौट चुके थे. यही हाल दूसरी इनिंग में था. बैटर्स मैच बचाने के अप्रोच से खेलते नज़र ही नहीं आए. कोलकाता में तो टीम इंडिया महज 93 रन पर दूसरी इनिंग में ऑलआउट हो गई थी. पहली इनिंग में भी उनके पास वहां बड़ी लीड बनाने का मौका था, लेकिन टी20 वाली हड़बड़ाहट वहां भी नज़र आ रही थी.
कप्तान पंत का फील्डिंग सेटअपहार की तीसरी वजह टीम इंडिया की फील्डिंग सेटअप भी है. पहले दिन कप्तान पंत ने गुवाहाटी टेस्ट के अंतिम सेशन में फील्डर्स को क्लोज रखकर साउथ अफ्रीकी बैटर्स को सिंगल के लिए तरसा दिया था. नतीजा, प्लेयर्स उनके ऊपर से शॉट खेलने की कोशिश में फंसे हुए नज़र आए. ये एकमात्र सेशन है जिसमें टीम इंडिया के बॉलर्स ने 4 विकेट झटके थे. इसके बाद न कप्तान ने ऐसी फील्डिंग सेटअप लगाई, न बॉलर्स अग्रेसिव माइंडसेट से बॉलिंग कर रहे थे. टीम इंडिया चौके बचाने की कोशिश में आसानी से सिंगल दे दे रही थी, जिसका असर ये हुआ कि पहले दिन महज 247 रन पर 6 विकेट गिराने के बावजूद टीम इंडिया ने पहली इनिंग में 489 रन बनवा लिए. दूसरी इनिंग की भी कहानी बिल्कुल वैसी ही थी.
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स्पिनर्स की एवरेज स्पीड में अंतरदो मैचों की सीरीज में पहली बार किसी विदेशी स्पिनर ने भारत में 18 विकेट चटकाए. साइमन हार्मर को मिली इस सफलता के पीछे उनकी गति थी. 1000 से ज्यादा फर्स्ट क्लास विकेट ले चुके हार्मर की औसत गति 80 से 85 के बीच की थी. वहीं, इंडियन स्पिनर्स में सिर्फ कुलदीप इतनी धीमी बॉलिंग कर रहे थे. सुंदर और जडेजा अपनी स्पीड को 90 के नीचे नहीं रख पाते. इस कारण उन्हें उतनी टर्न नहीं मिल पा रही थी, जो दोनों साउथ अफ्रीकी स्पिनर महाराज और हार्मर को मिल रही थी. महाराज को भले ही विकेट्स कम मिल रहे थे, पर दोनों बॉलर्स दबाव बनाए रखने में सफल हो रहे थे. दोनों टीमों के स्पिनर्स के बीच सफलता का ये अंतर सीरीज हार का चौथा बड़ा कारण था.
बैटर्स का बॉल छोड़ने की कला को भूलनावहीं, अगर 5वें मुख्य कारण की बात करे तों, ये था टीम इंडिया के बैटर्स का बॉल छोड़ने की कला को भूलना. टेस्ट क्रिकेट में जितनी अहम बॉल को डिफेंड करने की कला है. उतनी ही अहम बॉल छोड़ने की भी कला है. साउथ अफ्रीकी बॉलर मार्को येन्सन ने गुवाहाटी टेस्ट की पहली इनिंग में शॉर्ट पिच बॉलिंग को अपना हथियार बनाया. इसी तरह उन्होंने पहली इनिंग में कुल 5 विकेट चटकाए. लेकिन, इंडियन बैटर्स, जो आसानी से इस बॉल को छोड़ सकते थे. इन बॉल्स पर शॉट खेलने की कोशिश में अपना विकेट फेंक गए. हार्मर को भी जितने विकेट्स मिले, उनमें से बहुत कम ही गेंद विकेट में फिनिश हो रही थीं. अधिकतर बॉल पड़ने के बाद बाहर निकल रही थी. लेकिन, इंडियन बैटर्स उस पर या तो ड्राइव करने में या डिफेंड करने में स्लिप में कैच थमा दे रहे थे.
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