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धरती पर क्यों हुआ हरियाणा के साइज जितना बड़ा गड्ढा, वैज्ञानिकों को अब पता चला है

Antarctica की समुद्री बर्फ पर ये गड्ढा अचानक बना और फिर धीरे-धीरे आकार में इतना बड़ा होता चला गया कि इसका क्षेत्रफल भारतीय राज्य Haryana के बराबर हो गया. हालांकि, अब वैज्ञानिकोंं ने इसके पीछे की वजह का पता लगा लिया है.

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Scientists have found a hole Polynya as big as Haryana in antarctica sea ice earth
इस खाई को नाम दिया गया- 'पोलिन्या' (Photo : NASA Earth Observatory)
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अर्पित कटियार
28 अप्रैल 2025 (Updated: 28 अप्रैल 2025, 12:27 PM IST) कॉमेंट्स
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अंटार्कटिका की बर्फीली सतह पर एक बड़ा गड्ढा देखने को मिला है. जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए. अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ पर ये गड्ढा अचानक बना और फिर धीरे-धीरे आकार में इतना बड़ा होता चला गया कि इसका क्षेत्रफल भारतीय राज्य हरियाणा के बराबर हो गया. ये कई दिनों तक वैज्ञानिकों की परेशानी का सबब बना रहा, लेकिन अब उन्होंने इसके पीछे की वजह का पता लगा लिया है.

नासा के वैज्ञानिकों की नजर सबसे पहले इस काले धब्बे पर पड़ी थी. ये गड्ढा ‘माउड राइज’ नाम के पठार के ठीक ऊपर दिखाई दे रहा था, जो पूरी तरह से जल में डूबा हुआ है. इस खाई को नाम दिया गया- पोलिन्या (Polynya). इतिहास बताता है कि पोलिन्या की खोज सबसे पहले 1970 के दशक में हुई थी. जब दक्षिणी महासागर के ऊपर समुद्री बर्फ का निरीक्षण करने के लिए सैटेलाइट्स को पहली बार लॉन्च किया गया था. साइंस एडवांसेज (earth) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह गड्ढा 1974 से 1976 तक लगातार सर्दियों में बना रहा और उस समय समुद्र विज्ञानियों ने मान लिया था कि यह एक सालाना घटना बन जाएगी. लेकिन 1970 के दशक से, यह केवल छिटपुट रूप से और कुछ समय के लिए ही रहा. साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय से जुड़े प्रमुख लेखक आदित्य नारायणन का कहना है,

1970 के दशक के बाद से 2017 में पहली बार वेडेल सागर में इतना बड़ा और लंबे समय तक रहने वाला पोलिन्या देखा गया.

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कैसे बना पोलिन्या?

पानी में डूबा माउड राइज पहाड़ समुद्री धाराओं को हिलाता है. सर्दियों में क्लॉक वाइज घूमने वाले वेडेल गाइर (वेडेल सागर में मौजूद एक समुद्री धारा) की स्पीड बढ़ गई, जिससे गहरी और नमकीन पानी की एक गहरी परत सतह के पास आ गई. इससे नीचे की बर्फ पिघलने लगी. जिससे सतह की बर्फ कमजोर हो गई और गड्ढा बनने लगा. इस प्रक्रिया को ‘अपवेलिंग’ कहते हैं. गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में भौतिक समुद्र विज्ञान के प्रोफेसर फैबियन रोक्वेट ने बताया, 

ये अपवेलिंग यह समझाने में मदद करता है कि समुद्री बर्फ कैसे पिघल सकती है. लेकिन जैसे-जैसे समुद्री बर्फ पिघलती है, इससे सतह का पानी ताज़ा हो जाता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस गड्ढे को बनाने में सिर्फ अपवेलिंग ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि कुछ और कारकों का भी इसमें हाथ रहता है. जैसे समुद्री तूफान और एटमॉस्फेरिक रिवर जैसी वायुमंडलीय प्रकियाएं. हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी घटनाएं भविष्य के लिए चिंताजनक हैं.

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