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गर्भपात को लेकर कॉमेडियन ने जोक के नाम पर घिना देने वाली बात लिख दी

"मैं गर्लफ्रेंड को गर्भपात कराने को कहूंगा तो उसको कराना पड़ेगा. वो माय बॉडी माय चॉइस नहीं बोल सकती."

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Abortion Rights samay raina
लेफ्टः रो वर्सेज़ वेड फैसले के खिलाफ प्रोटेस्ट- Pexel/Katie Godowski, राइट- समय रैना- Twitter
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6 जुलाई 2022 (Updated: 6 जुलाई 2022, 22:10 IST)
Updated: 6 जुलाई 2022 22:10 IST
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कॉमेडियन और यूट्यूबर हैं समय रैना. उन्होंने अबॉर्शन को लेकर ट्विटर पर एक जोक पोस्ट किया. ये जोक आपत्तिजनक, असंवेदनशील और महिला विरोधी था. Samay Raina ने अपने ट्वीट में अबॉर्शन, महिला के उसके शरीर पर अधिकार को लेकर मज़ाक बनाया. उन्होंने अपने एक ट्वीट की तुलना एक महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे से भी कर डाली और भद्दी बात कही. 

समय रैना ने ट्वीट किया,

“परसों मैंने आधा घंटा सोचके मेरी गर्लफ्रेंड पर एक फनी ट्वीट लिखा था. उसको पसंद नहीं आया तो उसने डिलीट करवा दिया. कल को जब मैं अबॉर्शन करवाने बोलूं तब मत बोलना माय बॉडी माय चॉइस.”


इसके बाद उन्होंने लिखा,

"मैंने एक सिंपल जोक मारा था कि मेरी गर्लफ्रेंड ने मुझे मेरा फनी ट्वीट डिलीट करने को कहा, तो मुझे लगता है कि मैं भी उससे उसका फीटस (भ्रूण) डिलीट करने के लिए कह सकता हूं. ज़ाहिर है कि ये एक आयरॉनिकल जोक था. उसे जोक पसंद नहीं आया और उसने कहा कि मुझे इसे तुरंत बदलना होगा. अब वो जोक मेरी एक्स-गर्लफ्रेंड से शुरू होता है."


समय रैना के यूट्यूब पर 9.58 लाख सब्सक्राइबर्स हैं और ट्विटर पर 1.75 लाख फॉलोअर्स हैं. समय का ये जोक ऐसे टाइम पर आया है जब अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के रो वर्सेज वेड फैसले को पलट दिया है.अबॉर्शन के कानूनी अधिकार को खत्म कर दिया है. अब राज्यों के पास अधिकार होगा कि वो अपने यहां अबॉर्शन को कानूनी या गैर-कानूनी बना सकते हैं.

ऐसे वक्त में जब महिलाएं अपने शरीर पर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रही हैं, तब समय का ऐसा जोक लोगों को पसंद नहीं आया. शीनम गौतम नाम की यूजर ने लिखा,

"डार्क ह्यूमर के स्टैंडर्ड के हिसाब से भी ये घटिया है और मज़ाकिया बिल्कुल नहीं है."


एक यूज़र ने लिखा,

"इसीलिए दुनिया को पुरुष कमेडियन की ज़रूरत नहीं है."

एक और यूज़र ने लिखा,

"अगर ह्यूमर और जोक की आपकी समझ ये है तो खुद को कॉमेडियन कहने में आपको बड़ी हिम्मत लगती होगी."

पर्पेचुअली टायर्ड नाम के हैंडल से लिखा गया,

"अभिव्यक्ति की आज़ादी से लिपटा हुआ मेल एनटाइटलमेंट ऐसे बात करता है. एकदम रद्दी"

गर्भपात का अधिकार छीने जाने को महिलाओं के शरीर पर से उनका अधिकार खत्म करने के तौर पर देखा जा रहा है.क्योंकि एक महिला के पास ये अधिकार नहीं होगा कि वो अनचाही प्रेग्नेंसी को खत्म कर सके. किसी भी वजह से प्रेगनेंट हो जाने पर महिला को मर्ज़ी नहीं होने पर भी उस गर्भ को पालना होगा, बच्चे को पैदा करना होगा. इसमें उसकी कोई मर्ज़ी शामिल नहीं होगी.

शरीर पर अधिकार के कॉन्सेप्ट का मतलब ही यही है कि एक महिला के पास ये तय करने का अधिकार हो कि वो अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को रखना चाहती है या नहीं. उसे बच्चा चाहिए या नहीं इसमें उसका फैसला हो, न कि उसके पार्टनर का या सरकार का.

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