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बच्चे का खर्राटे लेना चिंता की बात, जानें ये क्यों खतरनाक हो सकता है

अगर बच्चा खर्राटे ले रहा है तो इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

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children snoring is dangerous
जब आपका बच्चा सो रहा हो तो ज़रूर नोट करें कि वो खर्राटे ले रहा है या नहीं.
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5 मई 2023 (Updated: 5 मई 2023, 18:31 IST)
Updated: 5 मई 2023 18:31 IST
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सोते हुए खर्राटे लेना एक बहुत ही आम प्रॉब्लम है. ये कोई घबराने की बात नहीं होती. लेकिन तब तक ही, जब तक तक खर्राटे लेने वाला इंसान एक अडल्ट है. बच्चों का खर्राटे लेना ख़तरे की घंटी हो सकती है. ये नाक से सांस लेते हैं. इन्हें खर्राटे आने का मतलब है वो मुंह से सांस ले रहे हैं. अब ये ख़तरनाक क्यों है, जानते हैं डॉक्टर्स से.

बच्चों का खर्राटे लेना ख़तरे की घंटी क्यों है?

ये हमें बताया डॉक्टर प्रवीण खिलनानी ने.

Dr. Praveen Khilnani | Medanta
डॉक्टर प्रवीण खिलनानी, चेयरमैन, बालचिकित्सा, मेदांता, गुरुग्राम

बच्चों में एक अपर एयरवे (ऊपरी श्वसन मार्ग) होता है, यानी सांस लेने का रास्ता. ये नाक के पीछे होता है. यहां से हवा आती-जाती है. अगर इस पैसेज में कहीं भी ब्लॉकेज होता है तो खर्राटों की आवाज़ आती है. खर्राटे लेने का मतलब है अपर एयरवे ब्लॉक है. इससे बच्चे की सांस रुक सकती है. लंग्स में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ सकती है. इससे लंग्स और दिल के ब्लड वेसेल (रक्त वाहिकाएं) को ख़तरा होता है. ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है.

किन कारणों से बच्चे खर्राटे लेते हैं?

बच्चों में एक ग्रंथि होती है जिसको एडिनोइड कहते हैं. एडिनोइड उम्र के साथ सिकुड़ते जाते हैं. अगर ये छोटे नहीं होते हैं तो सांस लेने में दिक्कत होती है. बच्चे का हर वक़्त मुंह खुला रहता है. रात को सोते हुए खर्राटों की आवाज़ आती है. नींद पूरी नहीं होती. इसलिए डॉक्टर्स को एडिनोइड निकालना पड़ता है. जिससे सांस लेने का रास्ता साफ़ हो जाए. खर्राटे न आएं. जिन बच्चों में चेहरे का विकार होता है. उनमें बचपन से ही नाक का सेप्टम ठीक नहीं होता. क्लेफ्ट है, जिसकी वजह से एयरवे ठीक नहीं है. इन कारणों से भी ये दिक्कत आती है.

Snoring in Children: Causes & Treatments | Sleep Foundation
बच्चों का खर्राटे लेना ख़तरे की घंटी होती है?
इलाज

80 पर्सेंट बच्चों में एडिनोइड टोंसिल की वजह से होती है. इसका इलाज आसान है. ENT के डॉक्टर उसको निकाल देते हैं. लेकिन 20 पर्सेंट बच्चे जिनमें चेहरे का विकार होता है, उसका इलाज थोड़ा लंबा होता है. अलग-अलग तरह की सर्जरी की जाती है. जिन बच्चों में थोड़ी-बहुत रुकावट रह जाती है उनकी नाक में सी-पैप लगाया जाता है. ये रात को लगानी पड़ती है. लेकिन ज़्यादातर बच्चों में एडिनोइड और टोंसिल को निकालकर इलाज किया जा सकता है.

बच्चों का खर्राटे लेना ध्यान देने वाली बात क्यों है, ये तो आप समझ ही गए होंगे. इसलिए जब आपका बच्चा सो रहा हो तो ज़रूर नोट करें कि वो खर्राटे ले रहा है या नहीं. अगर ले रहा है तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: क्यों होती है Motion Sickness जिससे गाड़ी, बस, प्लेन में बैठकर चक्कर आते हैं?

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