प्रेग्नेंसी में बीमार हो जाएं तो एंटीबायोटिक दवाएं लेना सही या गलत?
प्रेग्नेंसी के शुरुआती 3 महीने बेहद नाजुक होते हैं. इस दौरान बच्चे के अंग बनना शुरू हो जाते हैं. ऐसे में बीमार होना जाहिर तौर पर ठीक नहीं है.
प्रेग्नेंसी के नौ महीने किसी भी औरत के लिए आसान नहीं होते. आमतौर पर जब भी खांसी, ज़ुकाम, बुखार या कोई भी बीमारी होती है तो आप क्या करते हैं? बुखार की, ज़ुकाम की या बीमारी की दवाई खाते हैं और तबियत ठीक. अब सोचिए, अगर आप बीमार पड़ने के बावजूद दवा नहीं खा सकते तो क्या होगा! ठीक कुछ ऐसा ही प्रेग्नेंसी के दौरान होता है.
प्रेग्नेंसी में आमतौर पर एंटीबायोटिक्स खाने से मना किया जाता है. चाहे वो बुखार की दवा ही क्यों न हो. आज के एपिसोड में इसी के बारे में बात करेंगे. पहला सवाल, क्या प्रेग्नेंसी में एंटीबायोटिक्स नहीं खानी चाहिए? दूसरा सवाल, किस तरह की दवाइयां मना हैं? तीसरा सवाल, प्रेग्नेंसी में एंटीबायोटिक से किस तरह का ख़तरा होता है? और चौथा सवाल. अगर बुखार या कोई बीमारी हो जाए तब क्या करना चाहिए? चलिए इन सारे सवालों के जवाब जानते हैं डॉक्टर से.
क्या प्रेग्नेंसी में एंटीबायोटिक्स नहीं खानी चाहिए?ये हमें बताया डॉ अलका कृपलानी से.
प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे को हर खतरे से बचाने की कोशिश की जाती है. लेकिन अगर मां किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित है जिसके इलाज में एंटीबायोटिक की जरूरत है, तो एंटीबायोटिक देनी ही पड़ती है. हालांकि फायदा और नुकसान देखकर ही एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं. ऐसी एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं जो सुरक्षित हों. जैसे जिन दवाइयों में पेनिसिलिन होता है वो सुरक्षित मानी जाती हैं. मरीज अपने आप कभी भी एंटीबायोटिक्स न लें, हमेशा डॉक्टर से सलाह लेकर ही इन्हें इस्तेमाल करें.
अक्सर लोग जरूरत न पड़ने पर भी एंटीबायोटिक्स खाते हैं, ये ठीक नहीं है. इसके अलावा प्रेग्नेंसी के शुरुआती 3 महीने बेहद नाजुक होते हैं. इस दौरान बच्चे के अंग बनना शुरू हो जाते हैं, इस वक्त बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें. एंटीबायोटिक्स तो बिल्कुल भी न लें क्योंकि इससे बच्चे में जन्म से ही कुछ दिक्कते हो सकती हैं. बच्चे को ब्लीडिंग और जन्म के बाद दूसरी परेशानियां भी हो सकती हैं.
किस तरह की दवाइयां मना हैं?> सुरक्षा के लिहाज से एंटीबायोटिक्स को चार कैटेगरी में बांटा गया है A,B,C और D.
> A और B कैटेगरी सेफ होती हैं.
> इनमें विटामिन, मिनिरल होते हैं.
> C कैटेगरी की दवाइयां देने से पहले ये देखा जाता है कि इनसे कितना फायदा होगा.
> वहीं D और X कैटेगरी वाली दवाइयां बिल्कुल भी नहीं दी जातीं.
> कौन सी दवाई किस कैटेगरी में है, ये सिर्फ डॉक्टर ही जानते हैं.
> जरूरत पड़ने पर C और D कैटेगरी की दवाइयां भी दी जाती हैं.
प्रेग्नेंसी में एंटीबायोटिक से किस तरह का ख़तरा होता है?> प्रेग्नेंसी के वक्त ली गई दवा का प्लेसेंटा में जाने का खतरा होता है.
> ऐसा हुआ तो बच्चे को नुकसान होता है.
> प्रेग्नेंसी की शुरुआत में ली गई एंटीबायोटिक से बच्चे में कुछ जन्मजात रोग हो सकते हैं.
> जैसे दिल में छेद, तालु का ठीक से न बनना (इससे बच्चे को बोलने में दिक्कत होती है).
> साथ ही बच्चे के ब्लड सिस्टम और इम्यूनिटी पर भी असर पड़ सकता है.
बुखार या बीमारी की स्थिति में क्या करना चाहिए?> बुखार के बहुत सारे कारण हो सकते हैं और किसी आम इंसान की तरह ही प्रेग्नेंट महिला को भी बुखार हो सकता है.
> कई बार बुखार वायरल इंफेक्शन के कारण होता है, इसमें एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं पड़ती.
> बिना मतलब एंटीबायोटिक्स खाने से मां और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है, खासकर शुरुआती महीनों में.
> बुखार होने पर डॉक्टर को दिखाएं, वो जांच कर के बुखार के कारण का पता लगाएंगे.
> डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारी बिना दवाई के ठीक नहीं होगी, इसलिए जांच जरूरी है.
> जांच इसलिए जरूरी है ताकि ये पता लगाया जा सके कि कहीं कोई ऐसी बीमारी तो नहीं जो सिर्फ एंटीबायोटिक से ठीक होगी.
> ताकि बच्चे को किसी भी नुकसान से बचाया जा सके.
> अपने आप किसी भी तरह की एंटीबायोटिक लेने से बचें.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)