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गोली लग जाए तो ये गलती कभी नहीं करनी चाहिए

गोली बनाने के लिए बहुत सारे हेवी मेटल इस्तेमाल होते हैं जैसे लेड और आजकल कैल्शियम सिलिकेट.

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मतलब गोली लगने के पहले 10 मिनट में आप क्या कर सकते हैं, जानिए डॉक्टर्स से.
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सरवत
2 अगस्त 2021 (Updated: 5 अगस्त 2021, 07:14 AM IST) कॉमेंट्स
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

2017 में सलमान खान की एक फ़िल्म आई थी. टाइगर जिंदा है. उस फ़िल्म के एक सीन में सलमान के हाथ में MG 42 मशीन गन है. लगभग 25-30 किलो की. ये एक एक्शन सीन है जिसमें वो अपने दुश्मनों पर अंधाधुंध फायरिंग कर रहे हैं. गोली लगते ही दुश्मन ज़मीन पर गिर जाते हैं और परलोक सिधार जाते हैं. फ़िल्म के डायरेक्टर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि इस सीन में सलमान ने 5000 गोलियां फायर की थीं. ये सीन बड़ा हिट हुआ. वैसे बॉलीवुड में ऐसे सींस की भरमार है. एक फ़िल्म है लोहा. 1987 में आई थी. धर्मेन्द्र हैं इसमें. फ़िल्म के एक सीन में तो वो बंदूक से निकली हुई गोली अपने हाथ से रोक लेते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि हम सेहत में फ़िल्मों के बारे में क्यों बात कर रहे हैं? इससे हेल्थ का क्या रिश्ता? आपने कभी सोचा है गोली लगने से ऐसा क्या होता है कि इंसान मर तक जाता है. फ़िल्मों में चाहे कितनी भी कलाबाजी दिखाएं, पर रियल लाइफ बहुत अलग है. लाइफ लाइफ में गोली लगने से क्या होता है, जानते हैं डॉक्टर्स से. गोली लगने से शरीर में क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर राजेश मिश्रा ने.
डॉक्टर राजेश मिश्रा, कंसल्टेंट, क्रिटिकल केयर, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
डॉक्टर राजेश मिश्रा, कंसल्टेंट, क्रिटिकल केयर, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम


जब गोली हमारे शरीर पर लगती है तो बहुत सारे कारणों से दुष्प्रभाव पड़ता है. पहला होता है हीट. गोली शरीर में लगने पर बहुत गर्मी पैदा करती है, गोली बनाने के लिए बहुत सारे हेवी मेटल इस्तेमाल होते हैं जैसे लेड और आजकल कैल्शियम सिलिकेट. इन सारे मेटल्स के दुष्प्रभाव के कारण जान जाती है, जो गैस फ्यूम निकलती है उसके कारण भी मौत होती है. अनबर्न पाउडर यानी वो बारूद जो पूरी तरह से जला नहीं होता, उसकी वजह से भी जान जा सकती है. गोली लगने से मौत क्यों हो जाती है? - इसका सबसे बड़ा कारण है ब्लीडिंग. जिसे मेडिकल भाषा में हैमरेज कहा जाता है. ब्लीडिंग ज्यादा होने की वजह से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं.
- दूसरा कारण होता है सेकेंडरी इन्फेक्शन. यानी किसी इन्फेक्शन के इलाज के दौरान या बाद में होने वाला दूसरा इन्फेक्शन
- तीसरा कारण है ऑर्गन डैमेज यानी अगर कोई ज़रूरी अंग डैमेज हो जाता है, खराब हो जाता है, उस सिचुएशन में भी मौत हो सकती है
Firing on Shiv Sena functionary in Mumbai, assailant nabbed गोली बनाने के लिए बहुत सारे हेवी मेटल इस्तेमाल होते हैं जैसे लेड और आजकल कैल्शियम सिलिकेट

शरीर के किस अंग पर गोली लगने से मौत हो जाती है? कुछ लोगों को गोली लगने की वजह से कुछ भी नहीं होता और कुछ लोगों की गोली लगने से मौत हो जाती है. ऐसा क्यों होता है? अगर गोली शरीर के उन हिस्सों पर लगे जिन्हें हम नॉन वाइटल ऑर्गन बोलते हैं, जैसे हाथ को या पैर को छूकर निकल जाए, बाहरी हिस्से को छू कर चली जाए, ऐसे केसेस में गोली के दुष्प्रभाव नहीं होते या बहुत कम होते हैं. अब हमारे शरीर में बहुत सारे वाइटल ऑर्गन होते हैं यानी ज़रूरी अंग जैसे हमारा दिमाग, दिल, किडनी, लिवर. अगर गोली लिवर, सीने या किसी ऐसी जगह पर लग जाए जहां मोटी-मोटी खून की नलियां होती हैं, तो गोली लगते ही जान भी जा सकती है.
Firing On Jewelry Businessman In Raipur - Breaking: रायपुर के सराफा कारोबारी पर अज्ञात लोगों ने की फायरिंग, हालत गंभीर | Patrika News कभी भी ऑन द स्पॉट गोली निकालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए

फर्स्ट एड क्या देना चाहिए? एक टर्म है प्लैटिनम 10 मिनिट्स. मतलब गोली लगने के पहले 10 मिनट में आप क्या कर सकते हैं? अगर किसी को हाथ में, पैर में या किसी और जगह पर गोली लगी है तो उस जगह पर बैंडेज कसकर बांध दें. इससे होगा ये कि ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाएगा, ब्लीडिंग रुक जाएगी.
दूसरा मान लीजिए अगर किसी को सीने में या किसी ऐसी जगह पर गोली लगी है जहां पर बैंडेज बांध नहीं सकते तो वहां पर कम्प्रेशन बैंडेज ही करना पड़ेगा या फिर उसको दबाकर ही रखा जा सकता है. घायल इंसान को जल्दी से जल्दी हॉस्पिटल ले जाने की कोशिश करनी चाहिए. कभी भी ऑन द स्पॉट गोली निकालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. जैसा कि फिल्मों में दिखाते हैं, बल्कि एकस्पर्ट की हेल्प लेनी चाहिए.
फ़िल्मों में 10 गोली लगने के बाद भी हीरो जिंदा रहता है, लड़ता रहता है, पर असलियत में ऐसा नहीं होता है. वैसे उम्मीद तो यही करेंगे कि कभी इसकी ज़रुरत न पड़े, पर इस केस में क्या फर्स्ट ऐड देनी चाहिए और क्या गलती नहीं करनी चाहिए, वो याद कर लीजिए.

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