The Lallantop
Advertisement

उम्र के साथ आंखों में मोतियाबिंद क्यों हो जाता है?

क्या इससे बचने का कोई उपाय है?

Advertisement
Img The Lallantop
अगर चश्मे का नंबर बार-बार बदल रहा है तो सतर्क हो जाइए
pic
सरवत
8 अक्तूबर 2020 (Updated: 7 अक्तूबर 2020, 02:43 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.

कबीर झांसी के रहने वाले हैं. उनके पापा 60 साल के हैं. काफ़ी समय से उन्हें आंखों में दर्द था. वो चश्मा लगाते हैं, फिर भी उन्हें धुंधला दिख रहा था. रात में देखने में काफ़ी दिक्कत होती थी. सामने रखी चीज़ नहीं देख पा रहे थे. पहले कबीर को लगा उनके पापा के चश्मे का पावर बढ़ गया है. पर जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला उन्हें कैटरैक्ट यानी मोतियाबिंद हो गया है. इसलिए कबीर चाहते हैं हम मोतियाबिंद को लेकर डॉक्टर्स से सवाल करें. क्या इसका इलाज सिर्फ़ सर्जरी है, ये पता करें. तो सबसे पहले तो ये जानते है कि मोतियाबिंद क्या होता है और क्यों होता है? ज़्यादातर लोगों को यही जानकारी है कि बढ़ती उम्र के साथ मोतियाबिंद होना आम है. तो चलिए इसके बारे में और जानकारी हासिल करते हैं.
क्या होता है मोतियाबिंद?
डॉक्टर नेहा जैन, ऑय स्पेशलिस्ट, भारत विकास हॉस्पिटल, कोटा
डॉक्टर नेहा जैन, आई स्पेशलिस्ट, भारत विकास हॉस्पिटल, कोटा


कोटा के भारत विकास अस्पताल में आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर नेहा जैन ने बताया,
"बुढ़ापे में आंखों की रोशनी जाने के पीछे ये एक बड़ी वजह है. इसके बारे में जानने से पहले थोड़ा लेंस और आंख के स्ट्रक्चर के बारे में जान लेते हैं. हमारी आंख एक कैमरा की तरह है, जिसमें एक क्लियर लेंस होता है.  ये लेंस लाइट की रेज़ को आंख के परदे पर फोकस करने में मदद करता है, जिसकी वजह से हम साफ़-साफ़ देख पाते हैं. ये लेंस पानी और प्रोटीन का बना होता है, इसके फाइबर का स्पेशल अरेंजमेंट होता है जो इसे ट्रांसपैरेंट रहने में मदद करता है. जब लेंस अपनी ट्रांसपैरेंसी खोना शुरू कर देता है तो उसे कैटरैक्ट कहते हैं."
क्यों होता है कैटरैक्ट?
ये एज रिलेटेड कंडीशन है, जैसे हमारे बाल सफ़ेद होते हैं वैसे ही. उम्र के साथ लेंस में मौजूद प्रोटीन का टूटना शुरू हो जाता है, इससे लेंस के फाइबर का अरेंजमेंट डिस्टर्ब हो जाता है. कभी-कभी पानी की मात्रा भी बढ़ जाती है. इन सब वजहों से लेंस ट्रांसपैरेंसी खो देता है और लाइट की रेज़ पीछे पर्दे तक नहीं पहुंच पातीं. मरीज़ को धुंधला दिखना शुरू हो जाता है.
कुछ लोगों में ये दिक्कत ये समय से पहले भी होने लगती है. इसके पीछे वजहें हैं- सनलाइट एक्सपोज़र (यूवी लाइट के कारण), ज़रूरी विटामिन्स की कमी, कैल्शियम की कमी. डायबिटीज़ के मरीज़ों में ये समय से पहले होता है, जो लोग स्मोक करते हैं उन्हें समय से पहले हो सकता है, अगर आंख पर चोट लगती है तो भी समय से पहले हो सकता है. जेनेटिक कारण भी हो सकते हैं.
Cataracts: Definition and how it affects vision डायबिटीज़ पेशेंट में कैटरेक्ट समय से पहले होता है


कैटरेक्ट में क्या-क्या दिक्कत होती है?
-नाइट ड्राइविंग में दिक्कत हो सकती है
-सूरज की रोशनी देखने में दिक्कत हो सकती है
-कलर पहचानने में दिक्कत हो सकती है
-डबल दिखाई दे सकता है
- चश्मे का नंबर बार-बार बदल भी सकता है
- धुंधला दिखाई देता है, चश्मा लगाने के बाद भी साफ नहीं दिखता.
-किसी-किसी कंडीशन में पास का चश्मा उतर भी जाता है, इस कंडीशन को सेकंड साइट कहते हैं. लेकिन ये कैटरैक्ट की वजह से होता है
मोतियाबिंद क्या होता है और क्यों होता है, ये तो पता चल गया. पर आपको कैसे पता चलेगा आपको मोतियाबिंद की दिक्कत है, ताकि आप समय पर इलाज ले सके. साथ ही इससे बचने का क्या कोई तरीका है? और, इसका इलाज क्या है? ये सब पता करते हैं.
डॉक्टर कौशल शाह, ऑय स्पेशलिस्ट, ऑय हील कंप्लीट विज़न केयर, मुंबई
डॉक्टर कौशल शाह, आई स्पेशलिस्ट, आई हील कंप्लीट विज़न केयर, मुंबई


 
क्या मोतियाबिंद को अवॉयड किया जा सकता है?
इस पर आई हील कम्प्लीट विज़न केयर के डॉक्टर कौशल शाह कहते हैं,
"जवाब है नहीं. क्योंकि मोतियाबिंद एक एजिंग प्रोसेस है जैसे झुर्रियां और बालों का सफ़ेद होना. मोतियाबिंद कोई बीमारी नहीं है, पर अगर हेल्दी खाएं, यूवी लाइट से अपनी आंखों को बचाकर रखें और रेडिएशन से ख़ुदको बचाकर रखें तो आपकी आंखों की सेहत अच्छी रहेगी."
इलाज:
मोतियाबिंद का इलाज अभी तक तो सर्जरी ही है, पर रिसर्च चल रही है कि अगर कोई ड्रॉप या गोली इससे निजात दिला सके. हले के ज़माने में टांके वाली सर्जरी हुआ करती थी, उस सर्जरी के बाद ठीक होने में समय लगता था. रिजल्ट भी इतने अच्छे नहीं होते थे. पर लेटेस्ट टेक्नीक यानी लेज़र से रिजल्ट सही रहते हैं और ठीक होने में ज़्यादा समय नहीं लगता. इसमें इन्फेक्शन के चांस बहुत कम हो जाते हैं. इस सर्जरी में लेज़र से मोतियाबिंद को तोड़कर उसे बाहर निकाल लेते हैं. अंदर फोल्डिंग लेंस डालकर आपकी आंखें ठीक कर सकते हैं.
उम्मीद है जो भी लोग मोतियाबिंद की परेशानी से जूझ रहे हैं, ये जानकारी ज़रूर उनके काम आएगी.


वीडियो

Advertisement

Advertisement

()