बीजेपी में शामिल होने वाली वीरप्पन की बेटी को पार्टी ने कौन सी जिम्मेदारी दी?
फरवरी 2020 में बीजेपी में शामिल हुई थीं.

वीरप्पन. चंदन और हाथी दांत का कुख्यात तस्कर, जिस पर 150 लोगों की हत्या और 100 हाथियों के शिकार का आरोप था. तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में जिसका नाम कभी आतंक का पर्याय था. साल 2004 में उसे पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था. उसके परिवार से जुड़ी एक खबर है. वीरप्पन की बेटी विद्या अब तमिलनाडु बीजेपी के युवा मोर्चे की उपाध्यक्ष हैं. वह फरवरी 2020 में बीजेपी में शामिल हुई थीं.
फेसबुक पोस्ट से उपाध्यक्ष बनने का पता चला
विद्या को 15 जुलाई को युवा मोर्चे का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. इस बारे में उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उन्हें फेसबुक पोस्ट के जरिए नियुक्ति के बारे में पता चला. यह फेसबुक पोस्ट तमिलनाडु बीजेपी ने डाली थी. विद्या का कहना है कि राजनीति अभी भी उनके लिए एक अनजान जगह है. लेकिन यहां भी अपनी पहचान बनाने के लिए वह कड़ी मेहनत करेंगी.
साल 2018 में भी विद्या को मिला था ऑफर
29 साल की विद्या कानून की पढ़ाई कर चुकी हैं. अभी कृष्णागिरी में बच्चों का स्कूल चलाती हैं. वह कहती हैं कि उनका भरोसा इंसानियत में है. वह किसी एक समुदाय या जाति का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं. बीजेपी में शामिल होने के लिए विद्या को साल 2018 में भी ऑफर दिया गया था. एक स्थानीय नेता ने उन्हें तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद पोन राधाकृष्णन से मिलवाया था. इस बारे में विद्या बताती हैं,
सोशल सर्विस में मेरी रुचि है. राधाकृष्णन ने सुझाव दिया कि पार्टी के लिए भी वह यही काम कर सकती हैं.
Tamil Nadu: Vidhya Rani - daughter of Veerappan, joined BJP in Krishnagiri yesterday, in the presence of party leaders Murlidhar Rao, Pon Radhakrishnan and others. pic.twitter.com/O1TJKGbrMi
— ANI (@ANI) February 23, 2020
वीरप्पन से केवल एक बार मिली विद्या
विद्या की बात जब भी होती है तो उनके पिता वीरप्पन का भी जिक्र होता है. पिता से जुड़ी यादों के बारे में विद्या ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
मैंने उन्हें केवल एक बार स्कूल की छुट्टियों में देखा था. मैं कर्नाटक के हनुर में अपने नाना के गांव गोपीनाथम में थी. वहां पास में ही जंगल था. उस समय मेरी उम्र छह-सात साल रही होगी. जहां हम लोग खेल रहे थे, वह वहीं पर आए. मुझसे कुछ मिनट बात की और फिर चले गए. मुझे याद है कि उन्होंने कहा था, अच्छे से रहो, बढ़िया पढ़ाई करो और डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करो.
उन्होंने आगे कहा,
जब तक मुझे दुनियादारी की समझ हुई तब तक वे अपनी जिंदगी जी चुके थे. मुझे लगता है कि उनके आसपास जो हालात थे, उनकी वजह से उन्होंने कष्टों से भरा रास्ता चुना. लेकिन उनके बारे में मैंने कुछ कहानियां सुनी थीं, जिनसे मुझे लोगों की मदद करने की प्रेरणा मिली.
एसटीएफ ऑफिसर ने रखा था विद्या नाम
वीरप्पन को साल 2004 में तमिलनाडु पुलिस की स्पेशल टास्क फॉर्स (एसटीएफ) ने मार गिराया था. वीरप्पन को मारने वाली टीम का नेतृत्व के विजय कुमार के पास था. बाद में वे केंद्रीय गृह मंत्रालय में सुरक्षा सलाहकार भी बने थे. उन्होंने वीरप्पन को लेकर एक किताब भी लिखी थी. इसका नाम है- वीरप्पन चेज़िंग द ब्रिगांड.'
इसमें उन्होंने विद्या के जन्म और उसके नाम के बारे में भी लिखा है. किताब में बताया गया है कि एक एसटीएफ ऑफिसर ने वीरप्पन की बेटी का नाम विद्या रखा था. विद्या के जन्म से पहले उनकी मां ने सरेंडर कर दिया था. इसके बाद चेन्नई में डिलीवरी हुई थी.
वीरप्पन को मारने वाले विजय कुमार और डकैत दद्दुआ को मारने वाले अमिताभ यश के किस्से यहां सुनिए-

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