सांस लेने पर आवाज आती है? पॉपकॉर्न लंग तो नहीं, ये खतरनाक बीमारी आसानी से पकड़ में नहीं आती
Popcorn lungs फेफड़ों की ऐसी बीमारी है जिसमें सांस लेने के दौरान सांय-सांय की आवाज आने लगती है जिसे वीज़िंग (Wheezing) कहते हैं. इसके अलावा इसमें सांस फूलने की समस्या भी होने लगती है. लेकिन ये बीमारी होती कैसे है?
पॉपकॉर्न खाना किसे पसंद नहीं है. पसंद के मामले में ये टॉप 5 स्नैक की लिस्ट में आते हैं. पर आपको पता है, पॉपकॉर्न में जो मक्खन वाला फ्लेवर आता है, जिसे आप बड़े चाव से खाते हैं, वो कभी कितना ज़्यादा ख़तरनाक हुआ करता था. इतना कि इसकी वजह से फेफड़ों की एक बीमारी हो जाती थी, जिसका बोलचाल में नाम भी पॉपकॉर्न लंग्स ही रखा गया था. अच्छी बात ये है कि लगभग 10 साल पहले, एक्सपर्ट्स को एहसास हो गया कि पॉपकॉर्न में ये मक्खन वाला फ्लेवर बेहद ख़तरनाक है. उसके बाद चीज़ें बदलीं. पर किस्सा यहां खत्म नहीं होता. जो चीज़ पॉपकॉर्न लंग के लिए ज़िम्मेदार थी, उसका इस्तेमाल ई-सिगरेट में होने लगा. अब लोग ई-सिगरेट ये सोचकर पीते हैं कि ये सिगरेट से कम ख़तरनाक है. पर ये बहुत बड़ी ग़लतफहमी है. तो आज डॉक्टर से जानेंगे पॉपकॉर्न लंग्स के बारे में. ये क्या है, किस वजह से ये बीमारी होती है? इसमें किस तरह के लक्षण सामने आते हैं. और इसका इलाज क्या है?
पॉपकॉर्न लंग्स क्या होते हैं?ये हमें बताया डॉक्टर अंबरीश जोशी ने.
पॉपकॉर्न लंग का मतलब है ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटरन्स (Bronchiolitis Obliterans) नाम की बीमारी. ये फेफड़ों में मौजूद सांस के रास्तों के उन हिस्सों की बीमारी है, जो बहुत छोटे होते हैं और नंगी आंखों से नहीं दिखते.
करीब 10 साल पहले पॉपकॉर्न में बटर का स्वाद लाने के लिए डायएसिटिल (Diacetyl) नाम का केमिकल मिलाया जाता था. डायएसिटिल एक पीले रंग का पदार्थ होता है. पॉपकॉर्न के अलावा इसका इस्तेमाल खाने की चीजों में बटर स्कॉच और कॉफी फ्लेवर लाने के लिए भी किया जाता है. ई-सिगरेट में भी इस केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. डायएसिटिल सांस के छोटे-छोटे रास्तों में पहुंचकर फाइब्रोसिस यानी सिकुड़न कर देता है. चूंकि ये रास्ते छोटे हैं इसलिए लंबे समय तक डायएसिटिल का असर इनमें रहता है. ये रास्ते हमेशा के लिए सिकुड़ जाते हैं, इस वजह से खांसी होने लगती है.
कुछ समय बाद सांय-सांय की आवाज आने लगती है जिसे वीज़िंग (Wheezing) कहते हैं. इसके अलावा सांस फूलने की समस्या भी होने लगती है. जब से डायएसिटिल के साइड इफेक्ट के बारे में पता चला है, पॉपकॉर्न में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता. लेकिन फिलहाल डायएसिटिल ई-सिगरेट में इस्तेमाल हो रहा है जिसे बड़ी संख्या में युवा पीते हैं. पहले से धूम्रपान कर रहे लोग भी ई-सिगरेट इसलिए पीते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनका सिगरेट पीना छूट जाएगा. ई-सिगरेट में एक लिक्विड भरा होता, जिसे ई-जूस कहते हैं.
इस ई-जूस में आज भी कई बार डायएसिटिल का इस्तेमाल फ्लेवर्स को बनाए रखने के लिए होता है. ई-सिगरेट पीने के दौरान इसके फ्यूम्स के साथ डायएसिटिल फेफड़ों में पहुंच जाता है. इस वजह से ई-सिगरेट पीने वालों के फेफड़ों में भी ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटरन्स की समस्या हो जाती है.
लक्षणलंबे समय से हो रही धीमी खांसी. सांस फूलने की समस्या जो समय के साथ और बढ़ रही हो, ये इस बीमारी के लक्षण होते हैं. इस बीमारी की शुरुआत में X-ray नॉर्मल आता है. फेफड़ों से जुड़ी दूसरी जांचें भी नॉर्मल आती हैं. इसके बाद सीटी स्कैन किया जाता है, जिसमें इस बीमारी का पता चलता है. बीमारी की पुष्टि करने के लिए बायोप्सी की जाती है.
बचावपॉपकॉर्न लंग से बचाव करने का एक ही तरीका है, ई-सिगरेट न पिएं. ICMR समेत दुनियाभर के कई संस्थानों ने ई-सिगरेट पर बैन लगा रखा है.
इलाजइस बीमारी में खांसी और सांस फूलने की दिक्कत होती है. खांसी के लिए कॉफ सिरप दिया जाता है. और सांस फूलने पर मरीज को इनहेलर दिया जाता है. अगर बीमारी गंभीर हो गई है तो मरीज को सपोर्ट थेरेपी दी जाती है, जिसमें ऑक्सीजन सबसे जरूरी है. मरीज की हालत बिगड़ने पर फेफड़ों का ट्रांसप्लांट करना पड़ता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)