The Lallantop
Advertisement

हिंदू हो या मुस्लिम, महिलाओं को नौकरी नहीं मिल रही! वजह जान लीजिए

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में पता चली महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव की वजह.

Advertisement
indian discrimination report 2022
रिपोर्ट में निपटान के भी कई तरीक़े बताए हैं. (फोटो - पेक्सेल्स)
font-size
Small
Medium
Large
15 सितंबर 2022 (Updated: 15 सितंबर 2022, 16:13 IST)
Updated: 15 सितंबर 2022 16:13 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

ऑक्सफैम (Oxfam) की एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत के गांवों में महिला को महिला होने की वजह से 100% भेदभाव (gender discrimination) का सामना कर पड़ता है. शहरों का हाल बहुत अच्छा नहीं है. शहरों में भी महिलाओं के काम पाने की संभावना केवल दो प्रतिशत ही है. वजह? सामाजिक ढर्रा और एम्प्लॉयर्स के पूर्वाग्रह.  14 सितंबर को प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक़, महिलाओं की वेतन पुरुषों की तुलना में 67 प्रतिशत कम है. यानी अगर पुरुषों को किसी काम के 100 रुपये मिलते हैं तो महिलाओं को उसी काम के 33 रुपये ही मिलते हैं.

लिंग का भेद, जाति और धर्म से भी बड़ा

ऑक्सफैम. 21 स्वतंत्र संगठनों का एक परिसंघ. ऑक्सफैम इंटरनेशनल नाम की संस्था के नेतृत्व में स्थापित हुआ. 1942 में. अपनी वेबसाइट के 'अबाउट अस' में ऑक्सफैम वालों ने लिखा है कि ऑक्सफैम एक वैश्विक आंदोलन है, जो ग़रीबी और अन्याय को ख़त्म करने के लिए ग़ैर-बराबरी के खिलाफ़ लड़ रहा है. ये संस्था सालाना असमानता, बेरोज़गारी और ग़रीबी पर एक रिपोर्ट जारी करती है. इस साल भी की. 'इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट 2022' नाम से.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ भेदभाव इस क़दर है कि धर्म और जाति का भेद पीछे छूट जाता है. महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति चाहे जो हो, उनके साथ भयंकर भेदभाव किया जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है,

"जेंडर का भेद इतना ज़्यादा है कि एक महिला का बैकग्राउंड कैसा है, क्या है, इससे कतई तय नहीं होता कि उसे कोई ढंग की नौकरी मिल जाए. महिला चाहे जितना पढ़ी-लिखी हो, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. ये एक सिस्टम है, जिसमें जेंडर डिस्क्रिमिनेशन लगभग हर जगह ही है."

वजह क्या है?

रिपोर्ट के प्रमुख लेखक प्रोफेसर अमिताभ कुंडू कहते हैं,

"ऐसा इसलिए है कि एम्प्लॉयर्स के मन में महिला उम्मीदवारों से जुड़े स्टीरियोटाइप्स हैं. इसीलिए उनका चयन नहीं किया जा रहा. इससे भी ज़रूरी बात ये है कि योग्य महिलाओं का एक बड़ा तबका मार्केट में है ही नहीं. इसके कई कारण हैं. पारिवारिक ज़िम्मेदारियां, सामाज की अपेक्षाएं, जाति और समुदाय के अंदर क्या स्थिति है, वग़ैरह."

रिपोर्ट में इससे निपटने के भी कई तरीक़े बताए हैं. लिखा है कि महिलाओं की लेबर-फ़ोर्स में भागीदारी के अंतर को पाटने के लिए, भारत सरकार को संभावित एम्प्लॉयर्स को इंसेंटिव देना होगा. ताकि वो महिलाओं को बेहतर वेतन, ट्रेनिंग और नौकरी में कोटा दे सकें.

शार्क टैंक में आए औरतों के टॉप-5 बिजनेस आइडियाज!

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement