रिप्लाई देते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, 'देखो-देखो ये भी महंगा वाला पर्स है'
महंगाई पर चर्चा के दौरान ढाई लाख का बैग छुपाने का आरोप महुआ पर पिछले दिनों लगा था.
TMC सांसद महुआ मोइत्रा पर बीते दिनों खूब हेडलाइनंस बनी. भई, सांसद हैं. मानसून सत्र में पूछा होगा कोई सवाल, इसलिए खबर बनी उन पर. यही सोचा न आपने? लेकिन नहीं, खबरें बनीं महुआ मोइत्रा के बैग पर. लुई विटॉन का बैग, जिसे ढाई लाख का बताया गया. आरोप लगे कि महुआ ने महंगाई पर चर्चा के दौरान अपना महंगा बैग छुपा लिया. अब महुआ ने पर्स बदला तो पत्रकार रोहन दुआ ने उन्हें घेर लिया.
रोहन दुआ ने लिखा,
"संसद सेः मेरा अपना लुई विटॉन? सांसद महुआ ने हैंडबैग पर हुए विवाद के बाद अपना फैशन सेंस बदला या..."
इस पर महुआ ने जवाब दिया,
"माय डियर- ये भी लुई विटॉन है- पॉशेट. इसे खोज लेना, आपका समय बचेगा. जिस कार से मैं उतर रही हूं वो जी-वैगन है, उसका नंबर प्लेट आंध्र प्रदेश का है. गाड़ी आंध्र प्रदेश के एक सांसद की है, जिनके साथ हम अक्सर कार पूल करते हैं. आपकी जासूसी का थोड़ा और वक्त मैंने यहां बचा लिया. चियर्स!"
इसके जवाब में एक शख्स ने ये भी पूछ लिया कि महुआ पानी की अपनी बोतल पर क्या कहेंगी? महुआ ने भी कह दिया,
"आमतौर पर मैं अमेरिका से कॉन्टिगो बॉटल खरीदती हूं. लेकिन ये वाला मुझे माउंट होक्योक के एक क्लासमेट ने दिया है. और अब शायद आप मुझे बताना चाहेंगे कि आप अपनी लक्स कोज़ी कहां से खरीदते हैं."
महुआ मोइत्रा के बैग पर क्या विवाद हुआ था?1 अगस्त को संसद का एक वीडियो वायरल हुआ. वायरल वीडियो में दिख रहा है कि TMC सांसद काकोली घोष दस्तीदार लोकसभा में अपनी बात रख रही हैं. उनके पास ही महुआ मोइत्रा भी बैठी हैं. जैसे ही काकोली घोष ने महंगाई का मुद्दा उठाया, महुआ ने अपना बैग बेंच से उठाकर नीचे रख दिया. इस वीडियो को अजित दत्ता ने ट्वीट किया. वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा,
"जैसे ही महंगाई का मुद्दा उठाया जाता है, किसी का लुई वुइटन बैग जल्दी से बेंच के नीचे खिसक जाता है."
वीडियो सामने आया तो कई लोगों ने सवाल पूछा कि जब इतनी महंगाई है तो महुआ मोइत्रा इतना महंगा बैग कैसे अफॉर्ड कर सकती हैं? पर जवाब भी जनता ने ही दे दिया कि महुआ इंवेस्टमेंट बैंकर रही हैं, अच्छा करियर रहा है उनका. वो तो खरीद ही सकती हैं. दूसरी बात ये कि महुआ मोइत्रा एक जनप्रतिनिधि हैं. जनता के मुद्दे उठाना उनका और दूसरे सांसदों का काम है. ये ज़रूरी तो नहीं है कि वो गरीबी और महंगाई पर तभी बोलें जब वो खुद गरीब हों.
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