दिल्ली हिंसा की आरोपी इशरत जहां ने कहा, 'मुझे जेल में पीटते हैं, आतंकी बुलाते हैं'
इशरत जहां पर UAPA के तहत केस दर्ज है.

फरवरी के महीने में नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा भड़की थी. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध करने वालों और समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस घटना में करीब 54 लोगों की मौत हो गई थी और 200 के करीब लोग घायल हुए थे. घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की और आरोपियों की गिरफ्तारियां की जाने लगीं. इन आरोपियों में एक नाम इशरत जहां का भी था. उन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, यानी UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया. इशरत इस वक्त मंडोली जेल में बंद हैं, और रिपोर्ट्स की मानें तो काफी परेशान हैं. क्योंकि उन्हें जेल में साथी कैदी बहुत प्रताड़ित कर रहे हैं. 'द क्विंट' की रिपोर्ट के मुताबिक, 22 दिसंबर को दिल्ली की कड़कडड़ूमा अदालत में एक इमरजेंसी एप्लीकेशन डाली गई. ये एप्लीकेशन इशरत के वकील प्रदीप तेवतिया ने डाली. बताया कि इशरत को जेल के साथी बहुत परेशान कर रहे हैं और 22 दिसंबर के दिन उन्हें पीटा भी गया. 'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के मुताबिक, एप्लीकेशन के ज़रिए इशरत ने कोर्ट में बताया-
"ये इस महीने में ऐसी दूसरी घटना है. सुबह करीब साढ़े छह बजे, उन लोगों ने (कैदियों) ने मुझे बहुत पीटा और मुझे अपशब्द भी कहे. एक कैदी ने तो अपनी कलाई भी काट ली, ताकि मुझे गलत शिकायत के लिए सज़ा दी जाए. गनीमत रही कि जेल अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी. मैंने लिखित शिकायत दे दी है. वो लोग मुझे आतंकवादी बुलाते हैं. मुझसे कैंटीन में पैसे भी मांगते हैं."
परिवार क्या कहता है?
'द क्विंट' की रिपोर्ट के मुताबिक, 22 दिसंबर की सुनवाई के दौरान कोर्ट में इशरत के पति और बहन मौजूद थे. उन्होंने भी इशरत के साथ मारपीट होने की बात कही. बहन ने बताया कि जेल में इशरत के कपड़े भी फाड़ दिए गए, उसके सिर को कई बार दीवार पर पटका गया, उसे लगातार परेशान किया जा रहा है और धमकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इशरत जेल में ठीक नहीं है, वो सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं.
यही बातें इमरजेंसी एप्लीकेशन में भी लिखी गई हैं. वकील प्रदीप ने कोर्ट को बताया कि पहले जब एक महिला कैदी ने इशरत को पीटा था, तो शिकायत पर उस कैदी को दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया था.
कोर्ट ने क्या कहा?
अच्छी बात ये रही कि कोर्ट ने इशरत की दिक्कत को गंभीरता से लिया. जेल की असिस्टेंड सुपरिटेंडेंट से पूछा गया कि क्या इस तरह की घटना इशरत के साथ हुई है? तो असिस्टेंड सुपरिटेंडेंट ने इसमें हामी भरी और कहा कि ज़रूरी कदम उठा लिए गए हैं. इशरत के आवेदन पर सुनवाई कर रहे एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने जेल अधिकारियों को इशरत की सुरक्षा के इंतज़ाम करने के निर्देश दिए. कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि इस तरह की घटना इशरत के साथ दोबारा न हो. साथ ही कोर्ट ने अधिकारियों को इस पूरे मुद्दे पर डिटेल रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया. जज अमिताभ रावत ने कहा-
"ऐसा लग रहा है कि वो यानी इशरत काफी डरी हुई हैं. उनसे तुरंत बात कीजिए और स्थिति को समझिए. उनकी सुरक्षा और डर के खात्मे को लेकर क्या कदम उठाए गए, उस पर डिटेल में रिपोर्ट दीजिए. हर ज़रूरी कदम तुरंत उठाएं. मैं दोबारा ये नहीं सुनना चाहता कि आरोपी को दूसरे कैदियों ने परेशान किया या चोट पहुंचाई."
कोर्ट ने 23 दिसंबर को ये रिपोर्ट सौंपने को कहा था. ये भी निर्देश दिए कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए इशरत को कोर्ट में पेश किया जाए. हालांकि जेल अधिकारियों की तरफ से क्या रिपोर्ट सौंपी गई है, उसके बारे में खबर लिखे जाने तक जानकारी नहीं मिली थी. इशरत जहां को फरवरी के आखिरी हफ्ते में गिरफ्तार किया गया था, उन पर दिल्ली हिंसा को भड़काने के आरोप लगे थे. हालांकि मार्च में एक बार ज़मानत मिल गई थी, लेकिन अप्रैल में फिर इनकी गिरफ्तारी हो गई. UAPA के तहत केस दर्ज किया गया. जून में 10 दिन के लिए इशरत को फिर ज़मानत दी गई, क्योंकि उनकी शादी थी, लेकिन ज़मानत खत्म होने के बाद उन्हें दोबारा जेल जाना पड़ा. अभी वो करीब चार महीनों से जेल में ही हैं.