महाराष्ट्र सरकार की फैमिली प्लानिंग किट में रबर का लिंग, BJP बोली- उद्धव सरकार ने दिमाग खोया
इस किट को लेकर आशा वर्कर्स का क्या कहना है?
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महाराष्ट्र सरकार की परिवार नियोजन परामर्श किट (Family Planning Counselling Kit) को लेकर विवाद हो गया है. राज्य में जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से सरकार आशा कार्यकर्ताओं को ये किट दे रही है. बवाल इस बात पर है कि इस किट में पुरुष जननांग (यानी लिंग) के रबर के मॉडल भी शामिल हैं. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि ये रबर मॉडल उन महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को शर्मिंदा करेंगे जो प्रजनन स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाने के लिए किट का इस्तेमाल करती हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक किट में महिला जननांग का भी मॉडल रखा गया है.
बीजेपी की नेता चित्रा वाघ ने किट में इन मॉडल्स को शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक उन्होंने यहां तक कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने दिमाग खो दिया है. इस मुद्दे को लेकर चित्रा ने महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक को टैग करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा,
"माननीय डीजीपी, लोगों में जागरूकता लाने के लिए महाविकास आघाडी सरकार ने आशा वर्कर्स को दी गई परिवार नियोजन किट में रबर के लिंग को शामिल किया है. भारतीय दंड संहिता 354 के तहत (ऐसा कार्य जो मन को लज्जित कर दे) उद्धव ठाकरे सरकार पर अभद्रता के आरोप में कार्रवाई की जाए.”
माननीय @DGPMaharashtra जी
बुलढाणा-कुटुंबनियोजन किटमध्ये रबरी लिंगाचा समावेश सरकारने करून त्याची जनजागृती करण्याचे काम आशा वर्करना दिलयं भारतीय दंड विधान ३५४ प्रमाणे (मनाला लज्जा उत्पन्न होईल असे कृत्य) डोक्यावर पडलेल्या या ठाकरे सरकार वर विनयभंगाचा गुन्हा तात्काळ दाखल व्हावा — Chitra Kishor Wagh (@ChitraKWagh) March 20, 2022
क्या कहती हैं आशा वर्कर?
महाराष्ट्र में आशा कार्यकर्ता परिवार नियोजन के लिए घर-घर जाकर परामर्श करती हैं. नसबंदी, लिंग, प्रजनन जैसे विषयों पर लोगों को शिक्षित करती हैं. बीबीसी मराठी की एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की प्रमुख डॉ अर्चना पाटिल ने बताया कि राज्य भर में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों को ऐसी लगभग 25 हजार किट वितरित की गई हैं जिनमें लिंग के मॉडल शामिल है. अर्चना पाटिल का दावा है कि मॉडल को लेकर केवल एक जिले बुलढाणा से नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है. उनके मुताबिक किसी को भी इन मॉडलों का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा. बीबीसी मराठी ने कुछ आशा कार्यकर्ताओं से पूछा कि क्या उन्हें लिंग और गर्भाशय के मॉडल ले जाने में शर्मिंदगी महसूस होती है. इनमें से एक वर्कर ने बताया,"पहले भी इन मॉडलों का इस्तेमाल परिवार नियोजन के पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था. हम ये किट लोगों को नहीं देते हैं. हम इसका इस्तेमाल लोगों को परिवार नियोजन के बारे में सलाह देने के लिए करते हैं. जो हमें हमारे प्रशिक्षण के दौरान मॉडल के बारे में बताया गया था."हालांकि दो आशा कार्यकर्ताओं ने इस पर बात करने से इन्कार कर दिया. वहीं अन्य दो आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को समझाने के लिए मॉडल का प्रदर्शन करना शर्मनाक होगा. क्योंकि वहां लोग पहले से ही यौन स्वास्थ्य के बारे में बात करने में झिझकते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि इन मॉडल्स को किट बैग में लेकर घूमने से वे शर्मिंदा महसूस करेंगी. हालांकि कुछ ने ये भी कहा कि ये तो उनके काम का एक हिस्सा है. इन आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर ज़रूरी हो तो वे लोगों को समझाने के लिए इन मॉडल का उपयोग करेंगी और इससे उन्हें कोई समस्या नहीं है.