दुबई से लौटे अमृतपाल सिंह का कच्चा चिट्ठा, जो भिंडरावाले बनना चाहता है
वारिस-ए-पंजाब संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह, खुद को भिंडरावाले की तरह पेश करने की कोशिश कर रहा है.

तारीख 22 दिसंबर 1981. दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जत्थेदार संतोक सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई. उनकी हत्या के बाद शोक सभा हुई. पंजाब से कई ट्रकों का काफिला आता है, जो लुटियंस दिल्ली के कई चक्कर लगाता है. काफिले में हथियारबंद साथियों के साथ खुले ट्रक पर एक व्यक्ति बैठा था. नाम- जनरैल सिंह भिंडरावाले. सत्ता के केंद्र में आकर मानो वो हिंदुस्तान की समूची सरकार को चुनौती दे रहा था. ये वो वक्त था जब खालिस्तान की मांग जोरों पर थी और पंजाब में कई हिंदुओं की हत्या हो चुकी थी. जिसके आरोप भिंडरावाले पर लगे थे. इस घटना का जिक्र करते हुए कई वरिष्ठ पत्रकार और जानकार कहते रहे हैं, कि जब भिंडरावाले 1981 में दिल्ली आया था ,उसी वक्त अगर उसे गिरफ्तार कर लिया जाता तो शायद 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार की नौबत ही ना आती.
अगर-मगर की ये बाइनरी एक बार फिर से उभर चुकी है. वजह है वारिस-ए-पंजाब संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह, जो खुद को भिंडरावाले की तरह पेश करने की कोशिश कर रहा है.
खालिस्तान की मांग करने वाले अमृतपाल सिंह ने, अमृतसर के अजनला थाने में हथियार बंद लोगों के साथ, अपने साथी लवप्रीत सिंह तूफान की रिहाई के लिए उत्पात मचाया. उसने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को धमकी दी.
अमृतपाल सिंह के हिंसात्मक प्रदर्शन के बाद लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी को लेकर पंजाब पुलिस दबाव में नजर आई. आप जानते हैं कि अगर किसी का नाम FIR में दर्ज हो जाए तो पुलिस खुद नहीं छोड़ नहीं सकती, उसके लिए कोर्ट जाना पड़ता है. सो अजनाला थाने की पुलिस ने वैसा ही किया. जिसके बाद अजनाला कोर्ट ने शुक्रवार को लवप्रीत तूफान की रिहाई का आदेश दे दिए. रिहाई का ये आदेश ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मनप्रीत कौर ने जारी किया, जिसके बाद 16 फरवरी को हुई मारपीट के मामले में लवप्रीत सिंह तूफान के जेल से बाहर आ गया. रिहाई होते ही उसने खालिस्तान की मांग कर दी.
पुलिस अधिकारियों ने कहा था कि मारपीट की घटना में लवप्रीत संलिप्त नहीं था. वही लवप्रीत छूटते ही खालिस्तान की बात करता है. पहले थाने पर चढ़कर अमृतपाल का उसको छुड़ाने के लिए दवाब बनाना और फिर उसका छूट जाना. इस घटना ने पंजाब पुलिस और सरकार दोनों के रवैये पर कई सवाल उठा दिए हैं. इंडिया टुडे के डिप्टी एडिटर मनजीत सहगल की रिपोर्ट के मुताबिक घटना पर पंजाब सरकार की सफाई आई है.
आप की भगवंत मान सरकार में कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा है कि
"अमृतपाल गुरु ग्रंथ साहिब लेकर थाने में पहुंच गया, इसलिए पुलिस ने बेअदबी के डर से उपद्रवियों के साथ संयम बरता. पंजाब पुलिस और सरकार के खिलाफ ऐसी कहानी गढ़ी जा रही है कि पंजाब में कानून व्यवस्था बिगड़ रही है,"मैं कहना चाहता हूं कि जब कोई व्यक्ति गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर ही पुलिस थाने पहुंच जाए तो कोई क्या करे, क्योंकि इसके साथ पंजाब के 3 करोड़ लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई है"
तो यहां से उपजा पहला सवाल यही है कि क्या कोई भी व्यक्ति अपने हाथ में धर्मग्रंथ लेकर कानून तोड़ सकता है? क्या तब की स्थिति में सरकार निढाल हो जाएगी? पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगी? घटना के बाद एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें अमृतपाल सिंह हथियारबंद साथियों के साथ SSP को धमकाता है.
अमृतपाल सिंह खुद वो व्यक्ति है जिसका नाम मारपीट वाले मामले की FIR में दर्ज है. इसके अलावा वो जब हथियारबंद लोगों के साथ अजनाला थाने पर धावा बोलता है तब 6 पुलिसवाले घायल होते हैं. इस पर एक अलग FIR बनती है. उस पर कार्रवाई कर, गिरफ्तार करने के बजाय वीडियो में SSP असहाय नजर आते हैं. गिरफ्तारी तो दूर अलबत्ता SSP के सामने अमृतपाल सिंह तनकर बैठा है. उसके अगल-बगल लोग हथियारों और कारतूस से लैस हैं. आपने आखिरी बार किसी आरोपी की ऐसी तस्वीर किस पुलिस अधिकारी के साथ देखी थी? किस सरकार में देखी थी? शायद ही ऐसी कोई तस्वीर हाल-फिलहाल आपके जहन में आए. इसीलिए सवाल गंभीर हो जाते हैं?
>> क्या जो 6 पुलिसवाले घायल हुए, उनके लिए सरकार और प्रशासन कुछ नहीं करेगा?
>> हथियार लहराने वालों को क्या ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाएगा?
>> क्या अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी?
और नहीं करती है तो.
भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने इस पर बयान देते हुए कहा है-
"पंजाब सरकार कि राज्य की कानून व्यवस्था पर पकड़ ढीली पड़ रही है, सरकार दिशाहीन है. पंजाब पुलिस द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करना इस बात का सबूत है कि उनके राजनीतिक आका खालिस्तानीयों के हिमायती हैं. पुलिस को असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन पंजाब पुलिस अपराधियों के सामने घुटने टेक रही है. पुलिस पर मामले वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है."
वहीं आप के कुछ नेता आरोप लगाते हैं कि ये सब बीजेपी करवा रही है. आरोप प्रत्यारोप से इतर बात यहां देश के अखंडता और संप्रभुता की है. जिसपर सीधा खतरा 80 के दशक में खालिस्तानी आतंकियों के सामने झेलना पड़ा था. अब फिर से वही मांग सिर उठा रही है. तो क्या वाकई पंजाब सरकार कार्रवाई से डर रही है?
सब जानते हैं कि मसला सिर्फ किसी सामान्य मारपीट की घटना का नहीं हैं.इसके सीधे तार अलग खालिस्तान राज्य की मांग से है. जिसको फिलवक्त देश में बैठकर चेहरे के तौर पर अमृतपाल सिंह लीड कर रहा है. 90 का दशक खत्म होते-होते खालिस्तानी मिलिटेंसी को खत्म कर दिया गया, जो बचे वो दूसरे मुल्कों में शरण लेकर अंदरखाने थोड़ी बहुत गतिविधियां करते रहे. ये पहला मौका है जब खुले तौर पर भारत में रहकर कोई व्यक्ति खालिस्तान की हिमायत कर रहा है और पुलिस-प्रशासन उसके आगे नतमस्तक है. अमृतपाल की मांग और बातें, सीधे-सीधे भारतीय गणराज्य को चुनौती देने वाली है. पंजाब एक धार्मिक सेंटीमेंट वाला, पाकिस्तान बॉर्डर से सटा राज्य है. पाकिस्तान हमेशा ऐसे कट्टपरपंथी तत्वों को प्रश्रय देता रहा है, जो भारत की अखंडता को चुनौती देते हैं. अमृतपाल भी उन्हीं में से एक के तौर पर उभर रहा है. कुछ लोग अमृतपाल की तुलना भिंडरावाले से कर रहे हैं.
यानी एक बात साफ है कि अमृतपाल सिंह उस कट्टरपंथी रिक्त स्थान को भर रहा है, जिसकी पंजाब के किसी ना किसी कोने में जगह रही है. हमने उसका ब्रीफ परिचय आपको कल के शो में दिया था. परिचय के बाद अब आते हैं मंसूबे पर. काउंटर इंसरजेंसी के देश छोड़कर भागे खालिस्तान समर्थकों ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में जाकर खालिस्तान की मांग को जिंदा रखा. इंडिया टुडे के पत्रकार विनय सुल्तान लिखते हैं.
पंजाब में रैडिकल सिख विचारधारा हालिया उभार का प्रस्थान बिंदु 2015 में हुई गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी को माना जा सकता है. उस समय सूबे में अकाली दल की सरकार थी. कांग्रेस की अमरिंदर सरकार आने के बाद भी मुकम्मल कार्रवाई नहीं हुई. असंतोष ने घर कर लिया. किसान आन्दोलन के दौरान भी किसान संगठनों पर तरह-तरह के सवाल खड़े किए. उन्हें आतंकवादी और खालिस्तानी कहा गया. आखिरकार केंद्र सरकार को बिल वापिस लेने पड़े. लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था. उधर विदेश में अलग खिचड़ी पक रही थी. प्रवासी सिखों के बीच खालिस्तानी समर्थक धड़े का यह उभार रेफरेंडम-2020 के साथ शुरु हुआ.
>>रेफरेंडम-2020 का आयोजन प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' के बैनर तले शुरू हुआ
>>2009 में इस संगठन की शुरुआत 1984 के दंगा पीड़ितों को न्यायिक सहायता मुहैय्या करवाने के लिए हुई थी.
>>इसका संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू है. पन्नू मूल रूप से अमृतसर के गांव खानकोट के रहने वाला है.
>>उसका हाल मुकाम अमेरिका है और वो पेशे से वकील है. पन्नू की संस्था सिख फॉर जस्टिस के संबंध जाहिर तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ रहे हैं.
रेफरेंडम-2020 के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए बनी आधिकारिक वेबसाइट पाकिस्तान से चलाई जा रही है. इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक कराची का रहने वाला आमिर सिद्दीकी इन वेबसाइट का बैकहैण्ड मैनेज कर रहा है. विदेशों में खालिस्तान मूवमेंट को लेकर हाल में कई घटनाएं हुईं, जिसकी मॉडस ऑपरेंडी को समझना जरूरी है.
>>17 जनवरी 2023 को मेलबर्न के ही शिव-विष्णु टेंपल और 12 जनवरी को स्वामी नारायण मंदिर पर खालिस्तानी नारे लिखे मिले थे.
>> 23 जनवरी के रोज मेलबर्न के अलबर्ट पार्क स्थित हरे कृष्ण इस्कॉन टेंपल की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए
>>29 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में खालिस्तान समर्थकों और आम हिंदुस्तानियों के बीच झड़प हुई
>>2022 में ठीक इसी तरह का हमला कनाडा के शहर टोरंटो के स्वामीनारायण मंदिर पर भी हुआ था
>>अगस्त 2022 में सेन फ्रांसिस्को के भारतीय काउंसलेट पर भी भारत विरोधी नारे पोत दिए गए थे.
एक बात और खालिस्तान की मांग सिर्फ जुबानी नहीं रही है, कुछ और घटनाओं को नोट करिए. जिसमें हथियारों का इस्तेमाल हुआ
>>7 नवम्बर 2021: नवाशहर में क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी(CIA) के दफ्तर पर हैण्ड ग्रेनेड से हमला.
>>22 नवम्बर 2021: पठानकोट की सैनिक छावनी के त्रिवेणी गेट पर हैण्ड ग्रेनेड से हमला
>>23 दिसम्बर 2021: लुधियाना डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बाथरूम में आईइडी धमाका
>>9 मार्च 2022: रोपड़ में कमला मोड़ पुलिस चौकी पर हैण्ड ग्रेनेड से हमला.
>>9 मई 2022: पंजाब पुलिस इंटेलिजेंस विंग के मोहाली स्थित मुख्यालय पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड लॉन्चर से हमला.
>> 10 दिसम्बर 2022: तरनतारण के सरहली पुलिस स्टेशन पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड लॉन्चर से हमला.
ये सारे घटनाक्रम बताते हैं कि अंदर ही अंदर बहुत कुछ पक रहा है. इस बीच अमृतपाल का उभार होता है. वो सोशल मीडिया के जरिए हीरो बनता है. बाकयदा उसकी दस्तारबंदी होती है और वही सब बातें करता है, जो भिंडरावाले किया करता था. मसलन ड्रग्स का मुद्दा उठाना,हाथ में तीर रखना, पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना समेत आतंकवाद के दोषियों की रिहाई की मांग करना. इतिहास में दर्ज है कि एक वक्त तक भिंडरवाले को कांग्रेस के कई राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त था, फिलवक्त अमृतपाल सिंह के साथ संगरूर से सांसद और कट्टरपंथी विचारों के नेता सिमरनजीत सिंह मान खड़े हैं.
ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार इस सब से बिलकुल बेखबर है. सूत्रों के मुताबिक 23 जनवरी को दिल्ली में हुई DGP कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी की मौजूदगी में रेफरेंडम-2020 और खालिस्तान के उभार पर गंभीरता से बात हुई. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की शिकायत के बाद सितम्बर 2022 में ट्विटर ने अमृतपाल का अकाउंट भारत में प्रतिबंधित भी कर दिया गया था. दिसंबर 2022 में इंस्टाग्राम ने भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की शिकायत के बाद उसका अकाउंट पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया . लेकिन उसके नाम से चलने वाले एकाउंट्स की इंस्टाग्राम पर बाढ़ आई हुई है. जाहिर है अमृतपाल सिंह और उसके विचारों के साथ सख्ती समझदारी और सूझबूझ से निपटने की जरूरत है.
वीडियो: अमृतपाल सिंह का नया वीडियो वायरल, SSP को धमकाया, पुलिस बोली- 24 घंटे में होगी रिहाई.